दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने शुक्रवार को कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को नोटिस जारी किया है। नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में यह नोटिस जारी किया गया है। मामले की अगली सुनवाई अब 8 मई को होगी। अदालत ने कहा कि राहुल और सोनिया गांधी के पास चार्जशीट पर संज्ञान लेते वक्त अपना पक्ष रखने का अधिकार है। निष्पक्ष कार्यवाही सुनिश्चित करने के लिए हर स्तर पर सुनवाई के अधिकार का होना जरूरी है।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 9 अप्रैल को चार्जशीट दाखिल की थी। हालांकि 25 अप्रैल को दिल्ली की अदालत ने सोनिया और राहुल गांधी के खिलाफ नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया था। अदालत ने ईडी को और प्रासंगिक दस्तावेज लाने को कहा था।
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सुब्रमण्यन स्वामी ने की थी शिकायत
नेशनल हेराल्ड मामले में भाजपा नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने 2012 में एक शिकायत दाखिल की थी। इस पर अदालत ने संज्ञान लिया तो प्रवर्तन निदेशालय ने भी 2021 से अपनी जांच शुरू की। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने साल 1938 में नेशनल हेराल्ड की स्थापना की थी। यह अखबार देश की आजादी के अभियान से भी जुड़ा रहा है। मौजूदा कानूनी विवाद नेशनल हेराल्ड अखबार, उसके प्रकाशक एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) और यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ा है।
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क्या है नेशनल हेराल्ड मामला?
ईडी ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि सोनिया, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीस, पित्रोदा और यंग इंडिया कंपनी ने आपराधिक साजिश रची। कांग्रेस ने एजेएल को ब्याज मुक्त कर्ज दिया। मगर कंपनी ने इसे चुकाया नहीं। बाद में साल 2010 में यंग इंडिया को 50 लाख रुपये में कंपनी के कर्ज को ट्रांसफर कर दिया गया। इसके बदले में एजेएल की लगभग 99 फीसदी हिस्सेदारी और प्रॉपर्टी यंग इंडिया के हिस्से में आ गई। ईडी के मुताबिक इस प्रॉपर्टी की कीमत 2000 करोड़ रुपये से अधिक की है। यंग इंडियन कंपनी में सोनिया और राहुल गांधी की 38-38 फीसदी हिस्सेदारी है। बाकी 24 प्रतिशत शेयर मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस के पास थे। बता दें इस मामले में ईडी राहुल और सोनिया गांधी से पूछताछ भी कर चुकी है।
एजेएल और यंग इंडिया के बारे में जानें
एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) नेशनल हेराल्ड के अलावा हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज नाम से दो अन्य अखबारों का प्रकाशन करती थी। 90 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज में डूबने के बाद 2008 में अखबार का कामकाज ठप हो गया। 2010 में कंपनी के पास सिर्फ 1057 शेयरधारक बचे थे। 2011 में इसकी हिस्सेदारी यंग इंडिया को हस्तांतरित कर दी गई। सारा विवाद इसी अधिग्रहण से जुड़ा है। एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड कंपनी किसी व्यक्ति विशेष की नहीं थी। इसमें 5000 स्वतंत्रता सेनानी शेयरधारक थे। 21 जनवरी 2016 को एजेएल ने अपने तीनों दैनिक अखबारों को दोबारा शुरू करने का निर्णय लिया था।