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लालू यादव को झटका! नहीं हटेगा 'लैंड फॉर जॉब' केस से नाम

दिल्ली हाई कोर्ट से शनिवार को आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव को 'जमीन के बदले नौकरी' केस में राहत देने से इनकार कर दिया।

Lalu prasad Yadav

लालू प्रसाद यादव। Photo Credit- PTI

दिल्ली हाई कोर्ट से शनिवार को आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव को झटका लगा है। हाई कोर्ट ने आरजेडी सुप्रीमों की 'जमीन के बदले नौकरी' घोटाले के सिलसिले में लोअर कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने की याचिका खारिज कर दी। उन्होंने हाई कोर्ट में सीबीआई की तरफ से दर्ज एफआईआर और चार्जशीट रद्द करने की गुहार लगाई थी।

 

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने साफ कर दिया कि ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक नहीं लगेगी। सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED) बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और उनके परिवार की जांच कर रही हैं। आरोप है कि लालू प्रसाद यादव उन्होंने कथित तौर पर उम्मीदवारों या उनके रिश्तेदारों से जमीन के बदले रेलवे की नौकरी दी थी।

 

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कपिल सिब्बल ने लालू यादव का पक्ष रखा

 

सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने दिल्ली हाई कोर्ट में लालू यादव का पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि रॉउज एवेन्यू कोर्ट के सीबीआई स्पेशल जज 2 जून से लालू प्रसाद समेत अन्य पर आरोप तय करने के मामले में सुनवाई करने वाले हैं। ऐसे में लालू यादव के वकील ने कोर्ट को बताया कि साल 2004 से 2009 के बीच मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई। उन्होंने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल होने के बाद सीबीआई की कार्यवाही पर सवाल उठाए।

 

2022 को दर्ज हुआ मामला 

हालांकि, लालू यादव और उनकी पत्नी, दो बेटियों, अज्ञात सरकारी अधिकारियों सहित अन्य के खिलाफ 18 मई, 2022 को मामला दर्ज किया गया था। दिल्ली हाई कोर्ट में अपनी याचिका में लालू यादव ने एफआईआर के साथ-साथ 2022, 2023 और 2024 में दायर तीन आरोपपत्रों और संज्ञान लेने के आदेशों को रद्द करने की मांग की थी।

 

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कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा, 'अगर आरोप तय हो जाता है तो मैं क्या करूंगा? कृपया एक महीने तक इंतजार करें। हम मामले पर बहस करेंगे। 14 साल तक, आपने (एफआईआर दर्ज करने के लिए) इंतजार किया है। यह केवल दुर्भावनापूर्ण है।'

 

सीबीआई वकील ने किया विरोध

 

सीबीआई की ओर से दलील देते हुए वरिष्ठ वकील डीपी सिंह ने कहा कि यह ऐसा मामला है जिसमें मंत्री के करीबी लोगों ने अधिकारियों को ये चयन करने के लिए कहा और बदले में जमीन दी गई। इसलिए इसे नौकरी के लिए जमीन का मामला कहा जाता है। मंत्री अपने पद का दुरुपयोग कर रहे थे।

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