दिल्ली-एनसीआर में गुरुवार सुबह लोगों को धूल भरी आंधी का सामना करना पड़ा। इस वजह से जगह-जगह धुंध जैसी स्थिति बन गई और देखने की क्षमता (विजिबिलिटी) बहुत कम हो गई। कई दिनों की तेज गर्मी के बाद मौसम अचानक बदल गया। इंडिया गेट, अक्षरधाम, कर्तव्य पथ और नोएडा के कई इलाकों में धूल की मोटी परत छा गई। मौसम विभाग का कहना है कि 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलीं, जिससे यह धूल भरी आंधी आई।
बुधवार रात 10 से 11:30 बजे के बीच आईजीआई एयरपोर्ट पर विजिबिलिटी 4,500 मीटर से घटकर 1,200 मीटर रह गई। आंधी के बाद से हवा की रफ्तार कम होकर 3 से 7 किलोमीटर प्रति घंटे हो गई, जिससे धूल अब भी हवा में बनी हुई है। इस धूल भरी आंधी ने दिल्ली की हवा की गुणवत्ता को भी खराब कर दिया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, गुरुवार सुबह 8 बजे एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 236 दर्ज किया गया, जो 'खराब' श्रेणी में आता है।
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सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो
धूल के कारण लोगों को सुबह ऑफिस और स्कूल जाने में परेशानी हुई। दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद और ग्रेटर नोएडा में कई जगहों पर यातायात प्रभावित हुआ। सोशल मीडिया पर भी ऐसे कई वीडियो और तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिनमें धूल के कारण चारों ओर कुछ भी नजर नहीं आ रहा।
अभी और चलेगी धूल भरी आंधी
IMD ने अपने डेली मौसम अपडेट में बताया कि धूल भरी आंधी अगले तीन दिनों यानी 18 मई तक जारी रहने की उम्मीद है। साथ ही, हरियाणा और दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के अलग-अलग इलाकों में भी ऐसी ही स्थिति होने की संभावना है। मध्य प्रदेश और विदर्भ के कुछ हिस्सों में भी ऐसी स्थिति रहने की उम्मीद है।
कहां से आती है इतनी धूल भरी आंधी?
यह धूल भरी आंधी उत्तर-पश्चिम भारत में बनी एक विशेष मौसम प्रणाली की वजह से आई है, जिसे एंटी साइक्लोनिक ट्रफ कहा जाता है। यह ट्रफ जमीन से करीब 900 मीटर ऊपर बना हुआ है और 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल रही है। इन तेद हवाओं ने सूखी मिट्टी को उड़ाकर वातावरण में धूल फैला दी है।
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क्या कहते है IMD के वैज्ञानिक?
आईएमडी की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सोमा सेनरॉय के मुताबिक, इस सिस्टम में नमी नहीं होने के कारण बारिश नहीं हुई, जबकि आमतौर पर ऐसे सिस्टम से बारिश की उम्मीद की जाती है। यह ट्रफ पाकिस्तान से लेकर मध्य प्रदेश तक फैला हुआ है और इसमें राजस्थान, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली शामिल हैं। एंटी साइक्लोनिक ट्रफ एक ऐसा क्षेत्र होता है जहां वायुदाब आसपास के इलाकों की तुलना में अधिक होता है। यह सिस्टम तब बनता है जब ठंडी और गर्म हवा आपस में टकराती हैं, जिससे वातावरण में ऊपरी स्तर पर स्थिरता आ जाती है। पिछले कुछ दिनों से उत्तर-पश्चिम भारत में तेज गर्मी, बारिश की कमी और जमीन की सूखी हालत के चलते हालात और बिगड़े हैं। आधी रात से चल रही तेज हवाओं ने मिलकर धूल भरे मौसम को और भी गंभीर बना दिया है।
वरिष्ठ आईएमडी वैज्ञानिक आर के जेनामणि ने बताया कि इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास स्थित पालम वेधशाला में विजिबिलिटी का स्तर सुबह 9 बजे 1,100 मीटर था, जबकि सोमवार को सुबह 9 बजे यह 4,000 मीटर था।