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'सिर में घुसी कील, ग्रिल पर लटके लोग' कैसा था वो भगदड़ का मंजर?

महिला ने बताया कि प्लेटफॉर्म पर पुरुष और महिलाएं मदद के लिए चिल्ला रहे थे, लोग जमीन पर गिरे हुए थे और लोग उनको अपने पैरों से कुचल रहे थे।

New Delhi Railway Station stampede

अस्पताल के बाहर बैठी एक महिला। Photo Credit- PTI

दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात 10 बजे मची भगदड़ में 18 लोग मारे गए हैं और दर्जनों लोग घायल हैं। अब पीड़ित परिजन और हादसे के प्रत्यक्षदर्शी मीडिया के सामने आकर अपनी दुख भरी कहानी बयां कर रहे हैं। हादसे में मारे जाने वाले ज्यादातर जाने वाले यात्री महाकुंभ और बिहार जाने वाले थे। 

 

35 साल की किरण कुमारी ने बताया कि शनिवार रात नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म 14 पर 10 मिनट के लिए भयावह घटना घटी। उन्होंने कहा कि अपनी बहन के साथ में वह जान बचाने के लिए लोहे के खेभे पर चिपककर लटक गईं। वहां, पुरुष और महिलाएं मदद के लिए चिल्ला रहे थे, लोग जमीन पर गिरे हुए थे और लोग उनको अपने पैरों से कुचल रहे थे।

 

रुंआसे गले से सुनाया हादसा

 

किरण ने रुंआसे गले से कहा, 'दस आदमी तुरन्त ही मर गए। अपनी आंखों से देखा है कल। बहुत अजीब लग रहा है मुझे। मुझे बहुत बेचैनी महसूस हो रही है। लोक नायक अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के पास खड़ी किरण ने कहा कि उसके 38 साल के देवर शैलेन्द्र पोद्दार का भगदड़ में पैर टूट गया है। घायल अवस्था में देवर को अस्पताल में भारती करवाया गया है। किरण ने कहा कि उसका परिवार महाकुंभ में जा रहा था और उसने प्रयागराज एक्सप्रेस में टिकट बुक करवाया हुआ था। 

 

यह भी पढ़ें: 'कोई सुन ही नहीं रहा था...', वायुसेना के जवान ने बताया कैसे मची भगदड़

 

उन्होंने कहा, 'मेरे जीजा कैंसर के मरीज हैं और हम उनके ठीक होने के लिए प्रार्थना करने महाकुंभ जा रहे थे। शुरू में मेरा परिवार कुंभ में भीड़ के कारण यात्रा करने के लिए तैयार नहीं था, लेकिन आखिरकार वे मान गए और हमने आखिरी समय में टिकट बुक कर लिए।' 

 

सुबह ही स्टेशन पहुंच गए थे

 

'मेरा 14 साल का बेटा विवेक और मैं बुराड़ी में अपने घर से सुबह जल्दी स्टेशन पहुंच गए थे। ट्रेन रात 9 बजे प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर खड़ी थी। हम अंदर बैठ गए और मेरी बहन आरती और शैलेंद्र के आने का इंतजार करने लगी।'

 

...तब तक उसका पैर टूट चुका था

 

शैलेंद्र अफरातफरी के बीच प्लेटफॉर्म की पहचान नहीं कर पा रहे थे। बहन ने देखा कि फुटओवर ब्रिज पर लोगों की भीड़ थी और प्लेटफॉर्म 14, 15 और 16 पर भी लोग थे। अपने बेटे को ट्रेन में ही रहने के लिए कहकर किरण अपने परिवार की तलाश में बाहर निकल गई। कुछ ही मिनटों में पूरा प्लेटफॉर्म हजारों लोगों से भर गया। किरण ने कहा कि उसने अपनी बहन और बहनोई को सीढ़ियों से नीचे उतरने की कोशिश

 करते देखा।

 

भीड़ से बचते हुए वह अपने परिवार तक पहुंचने में कामयाब रही और ग्रिल को पकड़ लिया। हालांकि, शैलेंद्र का पैर लोहे की ग्रिल और सीढ़ियों के बीच फंस गया और उसका पैर टूट गया। हमने उसे ऊपर खींचने की कोशिश की, लेकिन तब तक उसका पैर टूट चुका था और वह दर्द से कराह रहा था। किरण ने कहा कि इसके तुरंत बाद, पुलिस अधिकारी आने लगे, एम्बुलेंस आ गई और मृतकों को स्ट्रेचर पर ले जाया गया।

 

बच्ची के सिर में घुसी कील

 

वहीं, एक दूसरी घटना में अपनी 7 साल की बच्ची को खोने वाले पीड़ित पिता ओपिल सिंह ने कहा कि मेरी लड़की के सिर में कील घुस गई। ऊपर सीढ़ियों से उतरते हुए पांच-छह हजार लोग नीचे गिर गए, इसी दौरान बेटी के सिर में कील घुस गई। कील सिर में घुसने की वजह से बेटी की मौत हो गई।

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