logo

ट्रेंडिंग:

बच जाती कई लोगों की जान, रेलवे की किन गलतियों की वजह से मची भगदड़?

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भगदड़ से मची तबाही में 18 लोगों की जान चली गई। वहां मौजूद कई यात्रियों ने दावा किया कि यह हादसा रोका जा सकता था।

Delhi railway station stampede

दिल्ली स्टेशन भगदड़, Photo Credit: PTI

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भयानक भगदड़ के एक दिन बाद सभी के मन में सवाल है कि ऐसी स्थिति को रोकने के लिए कोई उपाय क्यों नहीं किए गए? भगदड़ में घायल हुए यात्रियों ने कई तरह की खामियों को उजागर किया।

 

दरअसल, भगदड़ से 2 घंटे पहले रात करीब 8 बजकर 15 मिनट पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मं एक्स पर रेलवे स्टेशन की वीडियो सामने आई थी, जिसमें लोगों की भारी भीड़ प्लेटफॉर्म पर नजर आ रही थी। यात्रियों ने आरोप लगाया कि ऐसी स्थिति देखने के बावजूद भीड़ को संभालने के लिए कोई उपाय नहीं किए गए। पुलिस की गैरमौजूदगी से भीड़ और भी बदतर होती गई। 

घटना से 2 घंटे पहले एक्स पर पोस्ट हुए थे कई वीडियो

एक यूजर ने पोस्ट किया, 'शिव गंगा एक्सप्रेस-12560। नई दिल्ली - प्लेटफॉर्म नंबर 12 पर भीड़भाड़। टिकट होने के बावजूद, हम कोच में प्रवेश नहीं कर सकते।' कई यात्रियों ने दावा किया कि वे अंतिम समय में प्लेटफॉर्म बदलने से परेशान हो गए थे, जिससे अव्यवस्था फैल गई। हालांकि, रेलवे अधिकारियों ने इस आरोप का खंडन किया कि प्लेटफॉर्म में आखिरी समय में बदलाव किया गया था। इस मामले की जांच एक उच्च स्तरीय समिति कर रही है। 

 

एक वरिष्ठ रेलवे अधिकारी ने कहा, 'कोई भी ट्रेन रद्द नहीं की गई, न ही प्लेटफॉर्म में कोई बदलाव किया गया... समिति को अपनी रिपोर्ट और निष्कर्ष पेश करने दें।' बता दें की भीड़ के बावजूद हर घंटे लगभग 1,500 जनरल केटगरी के टिकटों की बिक्री हो रही थी जो गंभीर सवाल पैदा करते है। 

 

यह भी पढ़ें: रेलवे का प्रयागराज के लिए 4 मेला स्पेशल ट्रेन चलाने का ऐलान, जानें

भीड़ को रोका जा सकता था

कई यात्रियों ने दावा किया कि भीड़ को समय रहते रोक दिया जाना चाहिए था। ट्रेन को लेकर कोई घोषणाएं सही से नहीं हुई। स्टेशन पर यात्रियों ने दावा किया कि प्लेटफॉर्म पर भीड़ और शोर के कारण घोषणाएं सही से सुनाई नहीं दे रही थी। 

 

प्लेटफॉर्म पर मेडिकल सुविधाएं बहुत कम या बिल्कुल भी उपलब्ध नहीं थी। फंसे हुए यात्रियों को खुद की देखभाल करनी पड़ी, वे इस अफरा-तफरी में एक-दूसरे पर निर्भर थे। मीडिया से कई परिवारों ने कहा 'डॉक्टर कुछ अलग कर सकते थे। भगदड़ छोड़िए आम दिनों में भी, जब स्टेशन पर भीड़ होती है, तो जरूरतमंदों की मदद करने वाला कोई नहीं होता। बुजुर्गों या विकलांगों के लिए व्हीलचेयर पाना हमेशा एक संघर्ष होता है।'

 

यह भी पढ़ें: 'सिर में घुसी कील, ग्रिल पर लटके लोग' कैसा था वो भगदड़ का मंजर?

भीड़ से दूर जाने की कोशिश कर रहे थे यात्री

एक विक्रेता ने कहा, 'कभी-कभी, बुजुर्ग यात्रियों को ट्रॉली पर ले जाने के लिए कुलियों को एकस्ट्रा पैसा देना पड़ता है। बिजवासन की रहने वाली प्रत्यक्षदर्शी शारदा देवी ने कहा कि प्लेटफॉर्म 13-14 पर बहुत भीड़ थी। अफरा-तफरी देखकर, वह अपनी बेटी और रिश्तेदार के साथ दूर जाने की कोशिश कर रही थी लेकिन सुरक्षा अधिकारियों ने उन्हें और अन्य लोगों को सीढ़ियों के पास आगे बढ़ने से रोक दिया। इससे पीछे बैठे यात्रियों को आगे बढ़ने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिससे भीड़ बढ़ गई।

 

विक्रेता ने कहा कि अगर अधिकारियों ने भीड़ को अधिक प्रभावी ढंग से फैलाया होता, तो स्थिति को बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सकता था। इसके बजाय, प्लेटफ़ॉर्म, पुल और सीढ़ियां सभी लोगों से भरी हुई थीं, जिससे आगे बढ़ना लगभग असंभव हो गया था।' 

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap