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चंडीगढ़ से कोच्चि तक, कुत्तों की समस्या से कैसे निपट रही हैं सरकारें?

सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने कुत्तों की समस्या को लेकर पूरे देश में एक बहस छेड़ दी है। ऐसे में जानिए कि अलग-अलग राज्यों की सरकारें इसके लिए क्या कर रही हैं?

Representational image । Photo Credit: AI Generated

प्रतीकात्मक तस्वीर । Photo Credit: AI Generated

दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। कोर्ट ने सरकार और नगर निगमों को आदेश दिया कि सड़कों पर घूमने वाले आवारा कुत्तों को हटाकर उन्हें शेल्टर होम में रखा जाए। कहा जा रहा है कि इस फैसले का मकसद लोगों को कुत्तों के काटने और अन्य समस्याओं से बचाना है।

 

यह फैसला ऐसे समय में आया है जब कुत्तों के काटने की कई खबरें सामने आई हैं। इस बात पर चर्चा अब आम हो चली है कि कुत्तों के साथ सख्ती का बर्ताव किया जाए या नहीं। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि कुत्तों के साथ किसी भी तरह की क्रूरता नहीं होनी चाहिए।

 

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ऐसे में खबरगांव आपको बता रहा है कि पूरे देश में इस समस्या से कैसे निपटा जा रहा है

 

मुंबई: मुंबई में 2025 में 90,700 आवारा कुत्ते हैं, जो 2014 की तुलना में संख्या में 4,400 ज्यादा हैं। यहां कुत्तों को हटाने या कैद करने के बजाय, एनजीओ के साथ मिलकर नसबंदी और एंटी-रेबीज टीकाकरण किया जाता है।

 

कोलकाता: कोलकाता में 2024 में बनाए गए नियमों के अनुसार, आवारा कुत्तों को केवल तय जगहों पर सुबह 9 बजे से पहले और रात 9 बजे के बाद खाना दिया जा सकता है। कुत्तों को जहर देने वालों पर पुलिस कार्रवाई करती है और गिरफ्तारी भी हो सकती है।

 

लखनऊ: यहां हर दो घंटे में कुत्तों से जुड़ी शिकायतें हेल्पलाइन पर आती हैं। पिछले पांच सालों में पालतू कुत्तों के काटने के करीब 10,000 मामले दर्ज हुए हैं।

 

जयपुर: जयपुर में हर दिन लगभग 30 कुत्तों की नसबंदी की जाती है।

 

चंडीगढ़: 2023 में चंडीगढ़ में 10,621 कुत्तों के काटने के मामले सामने आए। शहर में इलाज के लिए 10,000 रुपये और गंभीर चोट के लिए 20,000 रुपये का मुआवजा दिया जाता है। छह खतरनाक नस्लों को खाना देने पर 5,000 रुपये और कुत्तों को बिना पट्टा या रजिस्ट्रेशन के पालने पर 20,000 रुपये का जुर्माना है।

 

कोच्चि: कोच्चि में एनिमल बर्थ कंट्रोल (एबीसी) सेंटर चलता है, जहां नसबंदी के बाद कुत्तों को 48 घंटे में छोड़ दिया जाता है। आक्रामक कुत्तों को 72 घंटे रखा जाता है। शहर हर महीने 2,000 कुत्तों की नसबंदी का लक्ष्य रखता है और अब तक 35,000 कुत्तों की नसबंदी हो चुकी है। शेल्टर में 100 कुत्ते रखे जा सकते हैं और 90% फंड एनजीओ से आता है।

 

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नीदरलैंड्स: नीदरलैंड्स ने आवारा कुत्तों की समस्या को पूरी तरह खत्म कर दिया है। वहां सरकार 70% से ज्यादा मादा कुत्तों की नसबंदी करती है। पशु के साख क्रूरता करने पर या लावारिस छोड़ने पर तीन साल की जेल और 16,000-18,500 डॉलर का जुर्माना लगता है। कुत्तों के बच्चों को खरीदने पर भारी टैक्स है और 90% लोग कुत्तों को गोद लेते हैं।

 

यह फैसला दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों की समस्या को कम करने में कितना असरदार होगा, यह देखना बाकी है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट का यह कदम एक सुरक्षित और बेहतर शहर की दिशा में बड़ा प्रयास है।

 

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