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विपक्ष का तंज-'मणिपुर पर बात नहीं होती तो संविधान दिवस का क्या मतलब'

संविधान दिवस के मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संस्कृत और मैथिली में संविधान की प्रति जारी की है। हालांकि विपक्ष ने आज भी सत्तापक्ष को घेरने की कोशिश की।

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संविधान की प्रति जारी करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (बीच में), पीएम मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी

भारतीय संविधान के 75 साल के पूरे होने पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 'संविधान दिवस' के मौके पर संसद के दोनों सदनों को संबोधित किया। इस अवसर पर भारत के संविधान का संस्कृत और मैथिली में विमोचन किया गया।

 

संसद के सेंट्रल हॉल में आयोजित इस कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी भी मौजूद थे।

 

राष्ट्रपति ने इस मौके पर उन्होंने कहा, 'मैं देश के लोगों से अपील करती हूं कि वे संवैधानिक मूल्यों को अपने व्यवहार में शामिल करें और अपने मौलिक कर्तव्यों का पालन करें, और देश को 2047 तक विकसित करने में अपना योगदान दें।'

 

उन्होंने कहा, 'हमारा संविधान एक जीवंत और प्रगतिशील दस्तावेज हैं। अपने संविधान के जरिए हमें सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के लक्ष्य को प्राप्त किया है।'

 

राष्ट्रपति ने आगे कहा कि, "...पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने समाज के सभी वर्गों, विशेषकर कमजोर वर्गों के कल्याण के लिए कई कदम उठाए हैं। गरीबों को अपना घर मिल रहा है और देश में विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे का विकास किया जा रहा है..."

 

 

इस मौके पर राज्य सभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि "यह महत्वपूर्ण दिन एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है क्योंकि हम भारत द्वारा अपना संविधान अपनाने के 75 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहे हैं, जो दुनिया के सबसे बड़े और सबसे गतिशील लोकतंत्र के लिए एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। हमारा देश उल्लेखनीय आर्थिक विकास, मजबूत बुनियादी ढांचे, व्यापक डिजिटलीकरण को अपनाने के साथ फलता-फूलता है, सभी को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता मिल रही है। यह हमारे संविधान के मूल मूल्यों पर विचार करने और इसके मार्गदर्शक सिद्धांतों के प्रति हमारे समर्पण की पुष्टि करने का अवसर है हमारे संविधान के निर्माताओं का समर्पण जिन्होंने लगभग 3 वर्षों तक हमारे देश की नियति को आकार दिया..."

 

प्रियांक खड़गे बोले- अदाणी और मणिपुर पर बात होनी चाहिए

लेकिन विपक्ष के नेता संविधान दिवस के अवसर पर बीजेपी को निशाना बनाने से नहीं चूके। इस मौके पर मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक खड़गे ने कहा कि संविधान दिवस के मौके पर अगर बीजेपी अदाणी के बारे में, सेबी के बारे में, मणिपुर के बारे में और आर्थिक असमानता के बारे में बात नहीं करते तो संविधान दिवस का क्या मतलब है?

 

 

लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला ने कहा, "पीएम मोदी की प्रेरणा से ही हमने वर्ष 2015 में 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने का ऐतिहासिक फैसला लिया था। हमारा संविधान हमारे लोगों की वर्षों की तपस्या, त्याग, प्रतिभा, शक्ति और क्षमता का परिणाम है। इसी सेंट्रल हॉल में, लगभग 3 साल की कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने देश की भौगोलिक और सामाजिक विविधताओं को एक सूत्र में बांधने वाला संविधान बनाया।"

 

कांति चिदंबरम ने भी बीजेपी पर कसा तंज

वहीं कांति चिदंबरम ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा, 'मुझे लगता है कि संविधान हम सभी का है। अगर संविधान का विरोध करने वाला कोई संगठन अब इसे स्वीकार करने लगा है, तो यह एक स्वागत योग्य संकेत है कि उन्होंने संविधान को स्वीकार कर लिया है...'

चिराग पासवान बोले- झूठ बोलने से झूठ सच नहीं हो जाएगा

हालांकि, एनडीए का पार्ट चिराग पासवान ने कहा, 'बिना किसी आधार के झूठ बोलने से आपका झूठ सच नहीं हो जाएगा। हकीकत ये है कि आज जो लोग संविधान की इतनी चिंता कर रहे हैं, उन्होंने संविधान के साथ क्या किया? अगर संविधान की हत्या करने का काम किसी ने किया था, तो वो कांग्रेस सरकार ने किया था। याद कीजिए 1975, जब देश में आपातकाल लगाया गया था, संविधान की हत्या की गई थी, लोकतंत्र की हत्या की गई थी और आज ये लोग संविधान के सबसे बड़े रक्षक बन गए हैं।'

 

इस मौके पर राष्ट्रपति ने स्मारक सिक्के का विमोचन किया औऱ डाक टिकट भी जारी किया। 

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