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पंजाब में नशे के खिलाफ अभियान, समझिए कितना मुश्किल या आसान है डगर

पंजाब में राज्य सरकार ने नशे के खिलाफ एक बड़ा अभियान छेड़ा है। लगातार गिरफ्तारियां की जा रही हैं और केस दर्ज करके ड्रग तस्करी में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है। 

punjab drugs cases

प्रतीकात्मक तस्वीर, Photo Credit: Freepik

पंजाब की भगवंत मान सरकार इन दिनों ड्रग्स के खिलाफ अभियान चला रही है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ऐलान किया है कि 3 महीने में पंजाब से ड्रग्स की समस्या हमेशा के लिए खत्म कर दी जाएगी। कई जगहों से ड्रग्स की तस्करी में शामिल लोगों के ठिकानों पर बुलडोजर चलाने और उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किए जाने के मामले भी सामने आ रहे हैं। सीएम भगवंत मान ने यह भी कहा है कि राज्य सरकार स्पेशल अदालतें बनाएगी ताकि ड्रग्स से जुड़े मामलों का ट्रायल तेजी से हो सके और दोषियों को सजा दिलाई जा सके। राज्य सरकार पंजाब के पुलिस अधिकारियों को भी भरोसा दिला रही है कि इस अभियान में उन्हें किसी तरह की कोई समस्या नहीं आएगी। 

 

अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि तीन महीने के बाद पंजाब में ड्रग्स बिल्कुल भी न दिखे। इसके लिए एसएसपी रैंक के अधिकारियों की जिम्मेदारी भी तय की जाएगी और उनका मूल्यांकन भी किया जाएगा। जो अधिकारी ड्रग्स से जुड़े मामलों में लिप्त पाएंगे उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी। वहीं, ड्रग्स का सेवन करने में लिप्त लोगों के डि-अडिक्शन और रीहैबिलिटेशन के लिए राज्य में कार्यक्रम भी चलाए जाएंगे। आइए समझते हैं कि पंजाब में आखिर नशे की समस्या कितनी बड़ी है कि उसके लिए इतने बड़े स्तर का अभियान चलाना पड़ रहा है।

हजारों केस पेंडिंग

 

हाल ही में पंजाब के सीएम भगवंत मान ने कहा था कि राज्य में NDPS के 35 हजार से ज्यादा केस हो गए हैं। ये आंकड़े 1 जनवरी 2025 तक के हैं। 2022 में पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद से ही NDPS के तहत 31,500 केस दर्ज किए हैं। 43 हजार आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं। 3 हजार किलो हेरोइन, 2600 किलो अफीम और 4.3 करोड़ फार्मास्युटिकल ड्रग्स जब्त किए गए हैं। इतना ही नहीं, ड्रग्स तस्करों की 449 करोड़ की अवैध संपत्ति भी जब्त की गई है। इसके अलावा, पंजाब सरकार 3,32,976 अपराधियों का डेटा मेनटेन करती है जिसमें 1 लाख ड्रग्स अपराधी शामिल हैं। पिछले 5 साल की बात करें तो पंजाब में 1247 बार सीमापार से आने वाले ड्रोन देखे गए हैं जिसमें से 417 ड्रोन को पकड़ा भी गया है। 

 

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AAP सरकार से पहले की बात करें तो 1 जनवरी 2013 से 31 मार्च 2017 के बीच पंजाब में जिला पुलिस, राजकीय रेलवे पुलिस और स्टेट स्पेशल ऑपरेशन्स सेल (SSOC) ने NDPS ऐक्ट के तहत 46,746 केस दर्ज किए थे। वहीं, 1 अप्रैल 2017 से 30 जून 2021 के बीच 46,273 केस NDPS के तहत दर्ज किए गए थे।

कितने गिरफ्तार?

 

साल 2022 में आए नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के डेटा के मुताबिक, 2018 में NDPS ऐक्ट के तहत 11654 केस दर्ज किए गए जिसमें कुल 14983 लोग गिरफ्तार किए गए। इसी तरह 2019 में 11536 केस में 16296 लोग, 2020 में 6909 केस में 11455 लोग, 2021 में 9972 केस में 14078 लोग और 2022 में 12442 केस में 17853 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं।

 

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हजारों केस पेंडिंग होने की वजह से पंजाब के सीएम भगवंत मान ने केंद्र सरकार से मांग की है कि पंजाब को अगले 10 साल तक हर साल 60-60 करोड़ रुपये दिए जाएं ताकि वह स्पेशल NDPS कोर्ट बना सके और NDPS ऐक्ट के तहत दर्ज किए जा रहे केस का तेजी से निपटारा किया जा सके। पंजाब सरकार का कहना है कि जिस तरह से वह अभियान चला रही है कि और लगातार केस दर्ज किए जा रहे हैं, अगर स्पेशल कोर्ट बनाकर उन केस का तेजी से निपटारा नहीं किया गया तो आने वाले कुछ सालों में लाखों केस का बैकलॉग तैयार हो जाएगा।

क्यों है समस्या?

दरअसल, पंजाब की 552 किलोमीटर सीमा पाकिस्तान से लगती है। इसमें से 43 किलोमीटर क्षेत्र ऐसा है जहां बाड़बंदी नहीं हुई है। 35 किलोमीटर सीमा नदी वाले क्षेत्र में पड़ती है जिसके चलते यह राज्य तस्करों का शिकार बनता है। पंजाब और पाकिस्तान की सीमा पर दोनों तरफ खेत हैं और मॉनीटरिंग काफी मुश्किल होती है। यही वजह है कि पिछले कुछ सालों में ड्रोन के जरिए ड्रग्स की तस्करी के मामले बढ़े हैं। इन ड्रोन के जरिए 4 से 5 किलो तक के पैकेट खेतों में गिरा दिए जाते हैं और ड्रग्स तस्कर उन्हें उठाकर तय जगह तक पहुंचा देते हैं। 

साल 2024 में BSF ने बताया था कि उसने एक साल में 294 ड्रोन पकड़े। इससे पहले साल 2023 में 107 ड्रोन पकड़े गए थे। 2024 में ही लगभग 283 किलो हिरोइन पकड़ी गई, पांच पाकिस्तान घुसपैठिए मार गिराए गए, 161 भारतीय तस्कर और 30 पाकिस्तानी नागरिक भी पकड़े गए।

 

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दूसरी बड़ी वजह यह है कि ड्रग्स तस्करों को स्थानीय लोगों और अधिकारियों से सपोर्ट मिलता रहा है। पंजाब पुलिस में इंस्पेक्टर इंदरजीत सिंह की गिरफ्तारी और आईपीएस अधिकारी राजजीत सिंह हुंडल की सेवा बर्खास्त किए जाने से यह मामला और स्पष्ट हुआ। खुद पंजाब के सीएम भगवंत मान ने जब जून 2024 में 10 हजार पुलिसकर्मियों का ट्रांसफर किया था तब उन्होंने माना था कि कुछ पुलिसकर्मियों के संबंध ड्रग तस्करों से भी हैं। इसमें कई ऐसे पुलिसकर्मी थे जो लंबे समय से एक ही जगह पर तैनात थे। 

पंजाब में ड्रग्स की स्थिति

 

पंजाब के पटियाला से कांग्रेस सांसद धर्मवीर गांधी ने राज्य में ड्रग्स की स्थिति को लेकर अगस्त 2024 में संसद में सवाल पूछे थे। इन सवालों के जवाब में केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने बताया था कि पंजाब में 18 से 75 साल की उम्र के 14.23 पर्सेंट यानी कुल 30.68 लाख लोग गांजे का सेवन करते हैं। इसके अलावा, 9.91 पर्सेंट यानी 21.36 लाख लोग अफीम का सेवन करते हैं। वहीं, 1.50 लाख लोग कोकीन का भी सेवन करते हैं। 

 

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नशे के खिलाफ लड़ाई के लिए नेशनल ऐक्शन प्लान फॉर ड्रग डिमांड रिडक्शन (NAPDDR) के तहत नशेखोरी में लिप्त लोगों के रीहैबिलिटेशन के लिए पंजाब में करोड़ों रुपये भी दिए गए हैं। 2018-19 से 2023-24 के बीच कुल 21.08 करोड़ रुपये 47,331 लाभार्थियों पर खर्च किए गए हैं।


NDPS ऐक्ट 

साल 1985 में आया नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटैंस ऐक्ट, 1985 वह कानून है जिसके तहत ड्रग्स का अवैध कारोबार करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। इसके तहत, ड्रग्स का उत्पादन करने, उसकी बिक्री करने, उसका इस्तेमाल करने, उसकी खरीद-बिक्री करने, उसे लाने, ले जाने और प्रतिबंधित ड्रग्स का इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ केस दर्ज करके कार्रवाई की जाती है। यही कानून इजाजत देता है कि इसके तहत दर्ज किए केस की सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट बनाई जा सकें।

 

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मौजूदा समय में केस के निपटारे की बात करें तो एक केस का निपटारा करने में औसतन सात साल लग जा रहे हैं। भगवंत मान का कहना है कि पंजाब को कम से कम 79 NDPS स्पेशल कोर्ट और 79 पब्लिक प्रोसेक्यूटर समेत अन्य स्टाफ की जरूरत है ताकि ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई को मजबूत किया जा सके।

 

यह भी देखा जाता है कि जैसे-जैसे सख्ती बढ़ाई जाती है, पंजाब या अन्य राज्यों में भी तस्कर अपने काम करने का तरीका और नशीले पदार्थों का रूप बदल देते हैं। समय के साथ नई-नई ड्रग्स बाजार में आ जाती हैं और उनकी तस्करी के लिए भी अलग-अलग रूट और तरीकों का इस्तेमाल किया जाने लगता है। ऐसे में यह जरूरी है कि न सिर्फ मौजूदा नेटवर्क को ध्वस्त किया जाए बल्कि ट्रायल तेज करके इस काम में लिप्त लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जाए।

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