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पोर्ट ब्लेयर में ED का पहला छापा, आखिर कांग्रेस से क्या है कनेक्शन?

अंडमान निकोबार सहकारी बैंक स्कैम मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने पहली बार पोर्ट ब्लेयर में छापेमारी की। तलाश के के दौरान कई अहम दस्तावेज एजेंसी के हाथ लगे हैं। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला?

Andaman coop bank.

अंडमान निकोबार सहकारी बैंक। (Photo Credit: anscbank)

 

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 200 करोड़ रुपये के बैंक धोखाधड़ी मामले में पहली बार अंडमान निकोबार द्वीप समूह में छापेमारी की। यह पूरा मामला कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद कुलदीप राय शर्मा से जुड़ा है। पोर्ट ब्लेयर में नौ और कोलकाता में दो स्थानों पर छापेमारी के दौरान ईडी के हाथ कई अहम दस्तावेज लगे हैं। ईडी अधिकारियों के मुताबिक 200 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी अंडमान निकोबार राज्य सहकारी बैंक (ANSCB) से की गई है। कांग्रेस नेता कुलदीप शर्मा इसके उपाध्यक्ष हैं। पूरे घोटाले में बैंक कर्मचारी, फर्जी कंपनियां और कांग्रेस नेता की मिलीभगत है।

 

लोन धोखाधड़ी मामले में सबसे पहले मामला अंडमान निकोबार पुलिस की अपराध और आर्थिक अपराध शाखा ने दर्ज किया। इसके बाद केस में ईडी की एंट्री हुई। केंद्रीय एजेंसी ने धन शोधन के एंगल से जांच शुरू की। 31 जुलाई को पहली बार अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में छापेमारी की। ईडी के अधिकारियों का कहना है कि पोर्ट ब्लेयर में लोन और ओवरड्राफ्ट सुविधाओं में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं से जुड़े दस्तावेज मिले हैं। अभी तक के सबूतों से बैंक की निर्धारित प्रक्रियाओं और दिशानिर्देशों की अनदेखी करके कई फर्जी कंपनियों और फर्मों को लोन देने के संकेत मिलते हैं।

 

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कैसे की गई धोखाधड़ी?

आरोप के मुताबिक आरोपियों ने 15 संस्थाओं और कंपनियों का एक समूह बनाया। बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों से मिलीभगत करके गलत तरीके से 200 करोड़ रुपये से अधिक की लोन सुविधाओं का लाभ उठाया। बैंक प्रंबध समिति पर आरोप है कि उसने ऋण जांच समिति की सिफारिशों को न केवल नजरअंदाज किया बल्कि सिबिल रिपोर्ट और जरूरी दस्तावेज की जांच के बिना ही लोन स्वीकृत कर दिया। पुलिस को अपनी जांच में मिला कि लोन घोटाले के एक आरोपी के ड्राइवर, एक चायवाले और मैकेनिक के बैंक खातों में यह रकम पहुंचाई गई। ईडी का कहना है कि लोन की रकम का एक बड़ा हिस्सा नकदी के तौर पर निकाला गया और आगे कुलदीप शर्मा समेत अन्य लाभार्थियों तक पहुंचाया गया। 

 

अब तक कितनी गिरफ्तारी?

कर्ज घोटाले मामले में पुलिस अब तक 8 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। 27 जून को अंडमान एवं निकोबार राज्य सहकारी बैंक लिमिटेड के प्रबंध निदेशक के गुरुगन और बैंक कर्मचारी कलैवानन को गिरफ्तार किया गया था। एक दिन पहले यानी 26 जून को तीन अन्य लोगों को पकड़ा गया था। यह लोग गलत तरीके से लोन लेने वाली कंपनी से जुड़े हैं। 18 जुलाई को सीआईडी ने एक निजी अस्पताल से कांग्रेस सांसद कुलदीप राय शर्मा को भी गिरफ्तार किया था। 

 

  • के. मुरुगन (एएनएससीबीएल के प्रबंध निदेशक)
  • कलैवानन (बैंक कर्मचारी)
  • बबलू हलदर (अंडमान मॉर्मन इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक)
  • तरुण मंडल (ब्लेयर एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक) 
  • अजय मिंज (अंडमान ट्रीपी एडवेंचर प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक) 
  • के. सुब्रमण्यन (एएनएससीबीएल के निदेशक)
  • एम. साजिद (मेसर्स अंडमान एस्केपेड्स के मालिक)

कैसे पुलिस तक पहुंचा मामला?

अंडमान पुलिस को सहकारी समितियों के उप रजिस्ट्रार (मुख्यालय) से एक शिकायत मिली। इसमें कहा गया कि बैंक ने कई लोगों को लोन देने में घोर अनियमितताएं बरती हैं। 15 मई को पुलिस ने सहकारी बैंक के उपाध्यक्ष और पूर्व कांग्रेस सांसद कुलदीप राय शर्मा के खिलाफ लोगों को भारी कर्ज देने में घोर अनियमितता बरतने के मामले में एफआईआर दर्ज की। इसमें कुलदीप शर्मा के अलावा बैंक के पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय भगत सिंह, निदेशक और उनके रिश्तेदारों समेत 200 से अधिक लोगों को आरोपी बनाया गया।

 

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सीआईडी को कई फर्जी कंपनियां मिलीं

अपनी जांच में सीआईडी ने कई फर्जी कंपनियों का पता लगाया था और उनके खातों को भी फ्रीज कर दिया गया था। टीम को लगभग 50 संदिग्ध लोन फाइलें भी मिली थीं। इस दौरान सीआईडी ने 10 बैंक कर्मचारियों और 40 से ज्यादा लोगों से पूछताछ की। इन सभी लोगों को फर्जी कंपनियों में निदेशक बनाया गया था। 

 

 

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