अक्सर, किसी न किसी नेता, कारोबारी या रसूख वाले लोगों के खिलाफ ईडी के अधिकारियों की छापेमारी से जुड़ी खबरें सामने आती हैं। देश की कई चर्चित हस्तियां ईडी की रडार पर हैं। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया से लेकर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तक ईडी की रडार पर हैं। हर साल, सैकड़ों केस दर्ज होते हैं लेकिन नतीजा क्या निकलता है? हजारों मामलों में से सिर्फ कुछ मामलों में सजा हो पाती है।
यह दावा, खुद केंद्र सरकार, राज्यसभा में कर रही है। वित्त मंत्रालय में राज्यसभा ने अपने जवाब में जो कहा है, वह बेहद दिलचस्प है। साल 2015 से लेकर अब तक, 5982 मामलों में सिर्फ 15 लोग ही दोषी साबित हुए हैं। मतलब, आरोपी, गुनहगार साबित हुआ है।
वित्त मंत्रालय ने राज्यसभा में बताया कि ईडी ने 2015 से अब तक 'प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट' के तहत कुल 5,892 केस दर्ज किए, लेकिन इनमें से केवल 15 लोगों को सजा हुई है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लिखित जवाब में कहा कि इन मामलों में ईडी ने विशेष अदालतों में 1,398 शिकायतें दायर कीं, जिनमें 353 सप्लिमेंट्री शिकायतें भी शामिल हैं।
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कितने मामलों में मिली सजा?
वित्त राज्य मंत्री पकंज चौधरी ने राज्यसभा में कहा कि अब तक केवल 300 मामलों में ही आरोप तय हो सके हैं। 15 व्यक्तियों को दोषी ठहराया गया है। 8 मामलों में सजा संभव हुई है। यह जानकारी 30 जून तक की है। वित्त मंत्रालय ने यह भी बताया कि ईडी ने 49 मामलों में विशेष PMLA अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की है।
ईडी के पास किस तरह के मामले आए?
ईडी के निदेशक राहुल नवीन ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट 2024-25 में कहा, 'शुरुआती साल में PMLA के तहत ज्यादातर मामले ड्रग्स से जुड़े थे। मार्च 2014 तक केवल 1,883 मामले दर्ज हुए थे, यानी औसतन 200 से कम मामले हर साल। उस समय तक केवल 84 शिकायतें दायर हुई थीं और 5,171.32 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की गई थी।'
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क्या कहते हैं ईडी के आंकड़े?
ईडी के निदेशक राहुल नवीन ने कहा कि अप्रैल 2014 से मार्च 2024 तक ED ने 5,113 जांच शुरू कीं, यानी औसतन 511 मामले सालाना, और 1,332 शिकायतें दायर कीं। साल 2024-25 में हमने 775 नए PMLA मामले शुरू किए, 333 शिकायतें दायर कीं और 34 लोगों को सजा दिलाई।