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ऑनलाइन सट्टेबाजी मामले में सुरेश रैना से ED करेगी पूछताछ, किया समन

ईडी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के जरिए लोगों को ठगे जाने और मनी लॉन्ड्रिंग के संबंध में है। ईडी ने पहले भी कई लोगों से इस मामले में पूछताछ की है।

suresh raina। Photo Credit: PTI

सुरेश रैना । Photo Credit: PTI

पूर्व भारतीय क्रिकेटर सुरेश रैना को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बुधवार को दिल्ली कार्यालय में बुलाया है। यह समन ऑनलाइन सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म्स की चल रही जांच के सिलसिले में जारी किया गया है। ED के अधिकारियों ने मंगलवार रात मीडिया को इस बात की जानकारी दी।

 

अधिकारियों ने बताया कि रैना से पूछताछ के बारे में अभी कोई विस्तृत जानकारी नहीं है। ED कई शहरों में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स की जांच कर रही है, जो लोगों को ठगने और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल हैं। सोमवार को ऐक्टर राणा दग्गुबाती हैदराबाद में ED के सामने पेश हुए थे। जुलाई में ED ने चार ऐक्टर्स - प्रकाश राज, विजय देवरकोंडा, राणा दग्गुबाती और लक्ष्मी मंचू को समन जारी किया था।

 

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गूगल से भी की थी पूछताछ

ED ने पिछले महीने गूगल और मेटा के अधिकारियों को भी बुलाया था ताकि सट्टेबाजी ऐप्स की जांच में मदद मिल सके, जो विज्ञापनों के लिए कई प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करते हैं। ED मीडिया हाउसेज सहित कई पक्षों से बात कर रही है, जिन्हें इन प्लेटफॉर्म्स से विज्ञापनों के लिए पैसे मिले हो सकते हैं।

 

ED के एक अधिकारी ने बताया कि कई सालों से प्रतिबंधित सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म्स नाम बदलकर काम कर रहे हैं। इन्हें मशहूर हस्तियों और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स द्वारा प्रचारित किया जाता है। अधिकारी ने कहा, 'ये प्लेटफॉर्म भारत सरकार के कई कानूनों का उल्लंघन कर रहे हैं। अनुमान है कि करीब 22 करोड़ भारतीय इन सट्टेबाजी ऐप्स का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिनमें 11 करोड़ नियमित यूजर हैं।’

ढेरों हो रही टैक्स चोरी

2025 के पहले तीन महीनों में अवैध सट्टेबाजी वेबसाइट्स और ऐप्स पर 1.6 अरब से ज्यादा विजिट दर्ज किए गए। ED के एक अधिकारी ने बताया कि भारत में ऑनलाइन सट्टेबाजी का बाजार करीब 100 मिलियन डॉलर का हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि शीर्ष सट्टेबाजी ऐप्स हर साल 27,000 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी कर रहे हैं।

 

मंगलवार को ED ने मुंबई, दिल्ली-एनसीआर, हैदराबाद, जयपुर, मदुरै और सूरत में 15 जगहों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई ‘पैरिमैच’ नामक सट्टेबाजी ऐप से जुड़े एक रैकेट की जांच के लिए थी। यह जांच मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत शुरू की गई थी, जिसका मामला 2024 में मुंबई की साइबर पुलिस ने दर्ज किया था।

 

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UPI ट्रांसफर के जरिए हुई लॉन्ड्रिंग

प्रारंभिक जांच में पता चला कि ठगे गए लोगों से पैसा म्यूल खातों में जमा किया गया। ये पैसे क्रिप्टो वॉलेट, तमिलनाडु में ATM से छोटी राशि निकासी और कम मूल्य के UPI ट्रांसफर के जरिए इनकी लॉन्ड्रिंग की गई। अधिकारियों का कहना है कि इस रैकेट में 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि शामिल है। ED की जांच जारी है और इस मामले में और भी खुलासे होने की उम्मीद है।

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