नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात 10 बजे भगदड़ मची, जिसमें 18 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। हादसे में 25 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए हैं, जिनको इलाज के लिए लेडी हार्डिंग और लोक नायक अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। मरने वालों में ज्यादातर प्रयागराज के महाकुंभ और बिहार जाने वाले यात्री थे।
दरअसल, प्लेटफॉर्म नंबर 14-15 पर ट्रेन पकड़ने के लिए एका-एक धक्का-मुक्की शुरू हुई, जिसके बाद अफरा-तफरी मची और लोग एक-दूसरे के ऊपर गिरते चले गए।
लोगों को भीड़ लगातार बढ़ रही थी
जिस समय रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मची उसी समय वहां भारतीय वायु सेना के सार्जेंट अजीत वहां मौजूद थे। उन्होंने घटना की आखों देखी बताते हुए कहा कि स्टेशन पर लगातार घोषणा की जा रही थी, इसके बाद भी लोगों को भीड़ लगातार बढ़ रही थी और भीड़ बेकाबू हो रही थी। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने भीड़ को नियंत्रित करने का की कोशिश कर रहे थे, लेकिन बेकाबू होते रहे।
घायल लोगों की मदद की
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए अजीत ने कहा, 'रेलवे स्टेशन पर हमारा एक ट्राई-सर्विस ऑफिस है। अपनी ड्यूटी के बाद लौटते समय मैंने एक बड़ी भीड़ देखी। मैंने लोगों को समझाने की कोशिश की और लोगों से बड़ी संख्या में प्लेटफॉर्म पर इकट्ठा होने से बचने की अपील करते हुए घोषणाएं कीं। प्रशासन किसी भी दुर्घटना को रोकने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा था, लेकिन कोई भी नहीं सुन रहा था। मैंने अपने एक दोस्त के साथ कुछ घायल लोगों की भी मदद की।'
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एक दूसरे प्रत्यक्षदर्शी ने कहा कि भीड़ काबू करने की सीमा से परे थी।
भीड़ बहुत ज्यादा थी
उन्होंने कहा, 'भीड़ बहुत ज्यादा थी। लोग फुटओवर ब्रिज पर इकट्ठा हो गए थे। इतनी बड़ी भीड़ की उम्मीद नहीं थी। मैंने रेलवे स्टेशन पर इतनी बड़ी भीड़ कभी नहीं देखी, त्योहारों के दौरान भी नहीं। प्रशासन के लोग और यहां तक कि एनडीआरएफ के जवान भी वहां मौजूद थे, लेकिन जब भीड़ सीमा से अधिक हो गई तो उन्हें नियंत्रित करना संभव नहीं था।'
एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती एक शख्स ने भगदड़ में अपनी बहन को खो दिया था। उसने कहा, 'हम 12 लोग महाकुंभ जा रहे थे। हम प्लेटफॉर्म पर भी नहीं पहुंचे थे, हम सीढ़ियों पर थे। मेरी बहन सहित मेरा परिवार भीड़ में फंस गया था। हमने उसे आधे घंटे बाद पाया तब तक वह मर चुकी थी।'
इन प्रत्यक्षदर्शियों की ही तरह दर्जनों लोग हैं, जो इस दर्दनाक हादसे की दास्तान सुना रहे हैं।