अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी रैकेट में नोडल साइबर पुलिस को बड़ी सफलता हासिल हुई है। पुलिस ने इस मामले में मुख्य आरोपी को गिरफ्तार किया है। यह शख्स फर्जी नौकरी देता था और युवाओं की तस्करी करता था। लगभग 60 युवाओं की तस्करी करने के बाद इन्हें म्यांमार और थाईलैंड की कंपनियों में ले जाया गया और फर्जी चीनी कंपनी में साइबर धोखाधड़ी में काम करने को मजबूर किया गया। अधिकारियों ने कहा कि इन युवाओं को बचा लिया गया है और वापस मुंबई लाया जा रहा है। महाराष्ट्र नोडल साइबर पुलिस ने मंगलवार को मामले के मुख्य संदिग्ध मनीष उर्फ मैडी गोपी को अंधेरी के लोखंडवाला से गिरफ्तार किया। मैडी गोपी व़़डाला का रहने वाला है।
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बिजनेस होटल मैनेजर सतीश शर्मा ने कराई थी शिकायत
दरअसल, अंधेरी ईस्ट में रहने वाले एक बिजनेस होटल मैनेजर सतीश शर्मा ने शिकायत दर्ज कराई थी जिसके बाद जांच के दौरान उसका नाम सामने आया। मैडी गोपी को गुरुवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा, जहां पुलिस उसकी रिमांड मांगेगी। पुलिस ने कहा कि वे उसे हिरासत में लेकर पूछताछ करना चाहते हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि उसके सहयोगियों के नेटवर्क को किसने मदद की और साथ ही अपराध की इनकम को भी बरामद किया जा सके।
20 युवाओं को लाया गया भारत
पिछले महीने, 20 युवाओं को भारत वापस लाया गया और सभी ने तस्करों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि गिरोह के सदस्यों ने युवकों को थाईलैंड में नौकरी का लालच दिया फिर उन्हें अवैध रूप से म्यांमार ले जाया गया और साइबर अपराध में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया। इसी तरह के बहाने से म्यांमार में तस्करी करके लाए गए अन्य व्यक्तियों को वापस लाने की पूरी कोशिश की जा रही है।
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फर्जी नौकरी फिर बड़े ऑफर का लालच
पुलिस के अनुसार, जांच में पता चला है कि आरोपी और उसके साथी लोगों को फर्जी नौकरी के ऑफर का लालच देते थे और बाद में उन्हें म्यांमार की कंपनियों में तस्करी कर ले जाते थे। वहां, उन्हें डीबीएल नामक एक फर्जी चीनी कंपनी में नौकरी की आड़ में साइबर धोखाधड़ी गतिविधियों में भाग लेने के लिए मजबूर किया गया। गिरोह पर इस कंपनी को करीब 20 लोगों को 1,000 डॉलर में बेचने का आरोप है। आरोपियों को थाई मुद्रा में दिए गए कमीशन से मुनाफा होता था। जांच में पता चला है कि यह धंधा भारत से बाहर भी फैला हुआ था और इसके साथी चीन, लाओस, म्यांमार और बैंकॉक में भी मौजूद थे।