अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस के फाउंडेशन की विदेशी फंडिंग को लेकर जांच कर रही ED ने बड़ा खुलासा किया है। जांच में सामने आया है कि जॉर्ज सोरोस से जुड़ी भारतीय कंपनी को यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) से फंडिंग मिली थी।
USAID को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हमलावर रहे हैं। ट्रंप ने USAID पर वामपंथी एजेंडे को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया है। अब भारतीय कंपनी में भी फंडिंग को लेकर USAID भी ED की जांच के दायरे में आ गई है।
दरअसल, सोरोस इकोनॉमिक फंड से मिली 25 करोड़ की फंडिंग को लेकर ED बेंगलुरु की तीन कंपनियों के खिलाफ जांच कर रही है। यह जांच फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA) के तहत की जा रही है। इसी जांच में सामने आया है कि इन तीन कंपनियों में से एक ASAR सोशल इम्पैक्ट एडवाइजर्स को भी USAID से 2022-23 में 8 करोड़ रुपये की फंडिंग मिली थी।
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जांच में क्या-क्या सामने आया?
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, बेंगलुरु की इन तीनों कंपनियों को 2021 से 2024 के बीच जॉर्ज सोरोस के फंड से फंडिंग मिली थी। वहीं, ASAR ने जांच के दौरान बताया है कि उसने दिल्ली के एक थिंक टैंक काउंसिल ऑफ एनर्जी, एन्वायर्मेंट एंड वॉटर (CEEW) को सर्विस दी थी, जिसके बदले में उसे USAID से फंड मिला था। CEEW के ट्रस्टियों में योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया और सुरेश प्रभु भी शामिल हैं, जो मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री भी रह चुके हैं।
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बाकी दो कंपनियों का क्या?
अखबार ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि बेंगलुरु की दो कंपनियों- रूटब्रिज सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड और रूटब्रिज एकेडमी लिमिटेड को सोरोस इकोनॉमिक डेवलपमेंट फंड से फंडिंग मिली थी। यह संस्था जॉर्ज सोरोस की ओपन सोसायटी फाउंडेशन से जुड़ी है, जो विदेशों में निवेश करती है।
OSF पर भी की थी छापेमारी
पिछले महीने ही ED ने जॉर्ज सोरोस से जुड़े ओपन सोसायटी संगठन (OSF) के परिसरों पर छापेमारी की थी। ED ने यह छापेमारी इसलिए की थी, क्योंकि OSF के खिलाफ कथित तौर पर विदेशी निवेश (FDI) हासिल करने और FEMA की गाइडलाइंस का उल्लंघन करने की शिकायत मिली थी।
भारत में जॉर्ज सोरोस की OSF 1999 से काम कर रही है। 2016 में भारत ने ओपन सोसयटी फाउंडेशन को मॉनिटरिंग लिस्ट में डाल दिया था। इसके बाद भारत के संस्थानों को फंडिंग करने से पहले OSF को गृह मंत्रालय की मंजूरी लेनी पड़ती है।