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घोस्ट मर्डर केस: जब 'भूत' की हत्या पर उड़ा कोर्ट का मजाक

भूत-प्रेत की कहानियां आपने सुनी होंगी। ये भी सुना होगा कि भूत ने किसी शख्स को मार डाला है। कभी ये सुना है कि किसी आदमी ने भूत को मार डाला है? अगर नहीं तो सुनिए भूत के कत्ल की पूरी कहानी।

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यह तस्वीर प्रतीकात्मक है। इसे Meta AI ने बनाया है। यह एक काल्पनिक तस्वीर है।

साल 1958 में ओडिशा में एक ऐसा केस सामने आया जिसने देश को हिला दिया। बालासोर के रक्सगोविंदपुर गांव में एक शख्स ने भूत को मार डाला था।हैरान मत होइए, यह सच्चाई है। इस इलाके में भूत-प्रेत पर लोग बेहद भरोसा करते हैं। भरोसा भी इस कदर कि लोग मानते हैं कि उनके इर्दगिर्द भूत घूमते हैं। इसी गांव में एक शख्स रहता था, जिसका नाम रामबहादुर थापा था। रामबहादुर नेपाल से आया था और जगत बंधु चटर्जी के यहां नौकर था। वह चटर्जी ब्रदर्स फर्म में काम करता था। यहीं पास में एक खाली पड़ा एयरपोर्ट जैसा इलाका था, जहां हवाई जहाज और एयरपोर्ट से जुड़े कचरे रखे गए थे। यहां कुछ बेशकीमती चीजें रखी थीं, जिनकी रखवाली की जिम्मेदारी दो सिक्योरिटी गार्ड्स पर थे। दिबाकर और गोविंद नाम के दो लोग यहां तैनात रहते थे।

इस इलाके के बारे में अफवाह थी कि यहां भूत घूमते हैं। लोग इस इलाके में घूमने से डरते हैं। बंधु चटर्जी कबाड़ खरीदते थे। वे यहां कबाड़ ही खरीदने आए थे। 1958 में ही बंधु, अपने नौकर रामबहादुर के साथ इस इलाके में आए। दोनों कृष्ण चंद्र पत्रो के घर में ठहरे हुए थे। उनकी ही गांव में एक दुकान थी। जगत बंधु चटर्जी और उसके नौकर वहां बैठे थे। तभी एक शख्स वहां आया और कहने लगा कि वह आज की रात यहीं रुकेगा। बंधु चटर्जी ने उससे पूछा कि आखिर क्यों रुकोगे। उसने कहा कि यहां भूत दिखते हैं। बंधु हंस पड़े और सवाल किया कि ऐसा कहीं होता है। भूत नहीं होते हैं। उसने कहा कि होते हैं।

अब जगत बंधु चटर्जी और राम बहादुर थापा दोनों ने ठान लिया की भूत देखेंगे। वे कृ्ष्ण चंद्र पात्रो और चंद्र माझी से कहा कि आप यहीं रहो और साथ में भूत देखो। चंद्र माझी ने ठान ली कि अब गांव घुमाएंगे। ये लोग भूत देखने गए। आधी रात को वे भूत देखने गए और हवाई पट्टी के पास से गुजरने लगे। उन्होंने देखा कि कबाड़ वाली जगह से कुछ रोशनी आ रही है। कुछ परछाइयां दौड़-कूद रही हैं। राम बहादुर थापा वहां दौड़कर पहुंचा और बिना कुछ सोचे-समझे उसने अपनी खुकरी निकाली और भूत पर धावा बोल दिया। वह इतनी तेजी से हमला कर रहा था कि कृष्ण चंद्र ही घायल हो गया। जब वह चीखा तो वहां मौजूद परछाइयां भी चीखने लगीं। खून निकलने लगा। जब लोगों ने चीखा तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ कि वह क्या कर बैठा था। कुछ महिलाएं, लालटेन लेकर महुआ बीनने आईं थीं। हमले में एक महिला गंभीर रूप जख्मी हुई और मर गई। 

 

फिर क्या हुआ?
राम बहादुर थापा पर हत्या का मुकदमा चला। उस पर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत केस हुआ। उस पर गंभीर रूप से हमला करने के आरोप में 324 और 326 के तहत भी केस दर्ज हुआ। राम बहादुर थापा पर गेल्ही माझियानी की हत्या, गंगा और सुनरी माझियानी पर गंभीर रूप से हमला करने का केस चला। कृष्ण चंद्र पत्रो पर भी हमला करने के मामले में उस पर केस चला। 

कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया?
कोर्ट ने राम बहादुर थापा को बरी कर दिया। कोर्ट ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 79 कहती है कि कानूनी तौर पर सही या तथ्य की भूल की वजह से कोई काम होता है तो उसे अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि वह समझ रहा था कि वह भूत को मार रहा है, न कि इंसान की हत्या कर रहा है। इस फैसले को हाई कोर्ट तक ने बरकरार रखा था। 

आखिर कैसे हत्या के बाद भी बरी हो गया आरोपी
सुप्रीम कोर्ट के वकील शुभम गुप्त बताते हैं कि किसी भी अपराध करने के लिए 'आपराधिक भावना' का होना अनिवार्य होता है। लैटिन टर्म 'Mens Rea' इसके लिए इस्तेमाल होता है। इसका अर्थ है कि दोषपूर्ण दिमाग। अगर अपराध करने वाले शख्स की मंशा गलत है तो वह अपराधी है। एक और कानूनी कहावत का लाभ आरोपियों को मिला। इस केस में कोर्ट ने Ignorantia Facti Excusat and Ignorantia Juris Non Excusat का भी इस्तेमाल किया। यह भी लैटिन कहावत है, जिसका अर्थ है कि तथ्य की भूल की माफी है, कानून के भूल की माफी नहीं है। इस केस में आरोपी को लगा कि उस जगह पर भूत उत्पात मचा रहे हैं न कि उसे ये पता था कि महिलाएं हैं। उस जगह के भूतिया होने की अफवाह थी, जिसे आरोपी सच मान बैठा। इस केस में हाई कोर्ट के फैसले की जमकर आलोचना हुई।

क्या उठे सवाल?
पहला सवाल ये था कि क्या बचावकर्ता को धारा 79 के तहत छूट मिलनी चाहिए या नहीं। 
दूसरा सवाल था कि बचावकर्ता का यह काम अच्छी मंशा (Good Faith) में था। 
तीसरा कि क्या कोर्ट का फैसला सही था?

क्या है इस केस की आलोचना?
यह फैसला, ओडिशा सरकार को रास नहीं आया था। कोई भी अपराध, राज्य के विरुद्ध होते हैं, इसलिए कोर्ट ने हाई कोर्ट से न्याय की गुहार लगाई थी। कोर्ट ने IPC की धारा 79 का जिक्र करते हुए दोषी को बरी कर दिया, जबकि उसने एक महिला को मार डाला था, तीन लोगों को घायल कर दिया था। उसे तथ्य के भूल और अच्छी मंशा के तहत छूट मिल गई। कोर्ट ने यह पाया कि उसे सच में ये नहीं पता था कि वह भूत नहीं, जिंदा इंसानों को मार रहा है। 

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