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गुजरात के उस घोटाले की कहानी, जिसमें गिरफ्तार हुए मंत्री के दो बेटे

गुजरात में MGNREGA में घोटाले का मामला सामने आया है। इस मामले में पुलिस ने गुजरात सरकार में मंत्री बच्चूभाई खाबड़ के दो बेटों को गिरफ्तार कर लिया है। ऐसे में जानते हैं कि यह पूरा घोटाला क्या है?

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गुजरात के मंत्री बच्चूभाई खाबड़ और उनका बेटा बलवंत। (Photo Credit: X@bachubhaikhabad)

गुजरात सरकार के मंत्री बच्चूभाई खाबड़ के दूसरे बेटे किरण खाबड़ को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। इससे पहले पुलिस ने उनके बड़े बेटे बलवंत खाबड़ को दो दिन पहले ही गिरफ्तार किया था। दोनों को एक घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है। यह घोटाला महात्मा गांधी नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट स्कीम (MGNREGA) में हुआ था। अब तक इस मामले में 71 करोड़ रुपये के घोटाले की बात सामने आ गई है। हालांकि, जांच एजेंसियों का मानना है कि घोटाले की रकम इससे कहीं ज्यादा हो सकती है।


दाहोद के डिप्टी एसपी जगदीश सिंह भंडारी ने बताया कि सोमवार को किरण खाबड़, तालुका डेवलपमेंट ऑफिस (TDO) दर्शन पटेल और दो असिस्टेंट प्रोग्रामिंग ऑफिसर (APO) को गिरफ्तार किया गया है। 


इस कथित घोटाले में अब तक 11 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। गिरफ्तार होने वालों में मंत्री बच्चूभाई खाबड़ के दोनों बेटे- किरण और बलवंत भी शामिल हैं। इस मामले में 7 लोगों को पहले गिरफ्तार किया जा चुका है। 

 

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पुलिस ने बताया कि आरोपी धोखाधड़ी में शामिल थे। कई एजेंसियों ने MGNREGA के तहत काम पूरा किए बिना और जरूरी सामान की आपूर्ति किए बगैर ही सरकार से पेमेंट ले ली थी।


क्या है यह घोटाला? बच्चूभाई खाबड़ के दोनों बेटे इस कथित घोटाले में कैसे नप गए? आरोपियों ने किस तरह से इस घोटाले को अंजाम दिया? जानते हैं।

कैसे सामने आया घोटाला?

यह घोटाला तब सामने आया जब डिस्ट्रिक्ट रूरल डेवलपमेंट एजेंसी (DRDA) के डायरेक्टर बीएम पटेल ने गड़बड़ियों को पकड़ा। उन्होंने देखा कि देवगढ़ बरिया और धनपुर तालुका में कई प्रोजेक्ट्स में गड़बड़ी हुई है। 


इसके बाद जब ऑडिट हुआ तो पता चला कि कुवा, रेधाना और सिमामोई जैसे गांवों में कई प्रोजेक्ट्स का पूरा दिखा दिया गया लेकिन असल में यहां कोई काम हुआ ही नहीं था।


मामला सामने आने के बाद दाहोद पुलिस ने पिछले महीने धोखाधड़ी का केस दर्ज किया था। अब तक जांच में पता चला है कि कई एजेंसियों को पेमेंट कर दी गई थी, जबकि काम कुछ नहीं हुआ था। 

 

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कैसे हुआ यह घोटाला?

MGNREGA स्कीम के तहत गांवों में सड़कें, पुल, तालाब, बांध जैसे काम किए जाते हैं और इनमें लोगों को रोजगार दिया जाता है। मगल इस कथित घोटाले में कागजों पर तो काम दिखा दिया गया लेकिन जमीन पर कुछ किया ही नहीं। 


यह सारा घोटाला 2021 से 2024 के बीच हुआ। न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, इसमें करीब 35 एजेंसियों ने सरकारी अफसरों के साथ मिलकर 71 करोड़ रुपये का घोटाला किया है। इन 35 एजेंसियों में से 28 देवगढ़ बरिया और 7 धनपुर की थीं। 


बताया जा रहा है कि आरोपियों ने फर्जी बिल और फर्जी कागजों पर काम पूरा दिखाया और सरकार से पेमेंट ले ली। अब तक देवगढ़ बरिया से 60.90 करोड़ और धनपुर से 10.10 करोड़ रुपये के फर्जी बिल बरामद हो चुके हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इस पूरे गड़बड़झाल में 160 करोड़ रुपये से ज्यादा की धोखाधड़ी की गई है। वहीं, विपक्ष के नेता अमित चावड़ा ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह पटेल को लिखी चिट्ठी में घोटाले की रकम 250 करोड़ होने का दावा किया था।


उदाहरण के लिए कुवा में 9,890 मीटर और रेधाना में 6,741 मीटर लंबी सड़क बननी थी लेकिन इसे बनाया नहीं गया और पेमेंट ले ली। इसी तरह सीमामोई में 19,200 मीटर सड़क बननी थी, जिसमें से सिर्फ 3,492 मीटर की सड़क ही बनाई गई।

 

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बच्चूभाई खाबड़ के बेटे कैसे नप गए?

बच्चूभाई खाबड़ देवगड़ बरिया से विधायक हैं। वे अभी गुजरात सरकार में पंचायत और कृषि मंत्री हैं। पुलिस का कहना है कि उनके दोनों बेटे- बलवंत और किरण उन एजेंसियों के मालिक हैं, जो इस घोटाले में शामिल है। जानकारी के मुताबिक, इस घोटाले में शामिल एजेंसियों में राज कंस्ट्रक्शन और राज ट्रेडर्स का नाम भी सामने आया है, जिनके मालिक बलवंत और किरण हैं। 

अभी क्या है स्थिति?

इस मामले में पिछले महीने FIR दर्ज की गई थी। इस कथित घोटाले की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) बनाई गई है। अब तक 11 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।


घोटाला सामने आने के बाद मंत्री बच्चूभाई खाबड़ पर इस्तीफे का दबाव है। कांग्रेस विधायक अमित चावड़ा ने इस घोटाले को 'गरीबों के साथ दिनदहाड़े लूट' बताया है। उन्होंने मंत्री के इस्तीफे की मांग है।

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