गुरुग्राम के एक अस्पताल में डॉक्टरों ने 70 वर्षीय व्यक्ति के गॉलब्लैडर से 8,000 से अधिक पथरियां निकाली है। यह सर्जरी लैप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टॉमी तकनीक से की गई, जिसमें गॉलब्लैडर को पूरी तरह हटाया गया। इस प्रक्रिया को न्यूनतम इनवेसिव (minimally invasive) माना जाता है, जिसमें छोटे चीरे के जरिए कैमरे की मदद से सर्जरी की जाती है।
दरअसल, 70 वर्षीय व्यक्ति को पेट में तेज दर्द, मतली, और पाचन संबंधी समस्याओं की शिकायत थी। जांच में पता चला कि उनके गॉलब्लैडर में हजारों छोटी-छोटी पथरियां थीं, जो पित्त नलिका में रुकावट और सूजन का कारण बन रही थीं। डॉक्टरों ने लैप्रोस्कोपिक सर्जरी की, जिसमें पेट में छोटे-छोटे चीरे बनाए गए। कैमरे की मदद से गॉलब्लैडर को देखा गया और उसे हटाया गया। इस प्रक्रिया में 8,000 से अधिक पथरियां निकलीं, जो एक दुर्लभ और आश्चर्यजनक मामला है।
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महज 1 घंटे में हुई सर्जरी
बता दें कि सर्जरी में करीब 30-60 मिनट लगे। मरीज को भारी काम और तेल वाले भोजन से 4-6 हफ्तों तक परहेज करने की सलाह दी गई है। फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट गुरुग्राम में डॉ. अमित जावेद और डॉ. नरोला यंगर के नेतृत्व में टीम ने एक घंटे की सर्जरी में लैप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टोमी (पित्ताशय की थैली को हटाने) की सफलतापूर्वक सर्जरी की। यह सर्जरी इसलिए चर्चा में है क्योंकि 8,000 से अधिक पथरियां निकलना एक रिकॉर्ड जैसा मामला है।
गुरुग्राम के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ऑन्कोलॉजी के निदेशक डॉ. अमित जावेद ने कहा, यह मामला दुर्लभ था और सर्जरी में देरी से गंभीर जटिलताएं हो सकती थीं। अगर इलाज न कराया जाए तो पित्त की पथरी समय के साथ काफी बढ़ सकती है। इस मरीज के मामले में, कई सालों की देरी से पथरी जमा हो गई। अगर सर्जरी में और देरी होती, तो स्थिति गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकती थी। सर्जरी के बाद, मरीज स्थिर है और उसे कोई परेशानी नहीं है।'
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'चुनौतीपूर्ण था यह मामला'
फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट गुरुग्राम के उपाध्यक्ष और सुविधा निदेशक यश रावत ने कहा, 'पित्त की बड़ी संख्या में मौजूद पथरी के कारण यह मामला विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण था। फिर भी, डॉ. अमित जावेद के नेतृत्व में डॉक्टरों की हमारी टीम ने इसे असाधारण कौशल के साथ संभाला।'