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बेबी फूड पर WHO के मानकों का कितना ख्याल रखती है सरकार? पढ़ें जवाब

नेस्ले के कुछ उत्पाद हाल के दिनों में विवादित रहे हैं। आरोप लगे कि इस कंपनी के उत्पादों में तय सीमा से अधिक शुगर की मात्रा पाई गई है। अब संसद तक यह मामला पहुंचा है।

JP Nadda

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा। (तस्वीर- संसद टीवी)

बच्चों के लिए प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी नेस्ले हाल के दिनों में विवादों में रही है। नेस्ले के प्रोडक्ट सेरेलेक में एक्स्ट्रा शुगर मिलने का दावा किया गया था। कहा गया कि फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के हिसाब से 100 ग्राम फीड में एक्स्ट्रा शुगर की अधिकतम मात्रा 13.6 ग्राम होनी चाहिए। नेस्ले पर आरोप लगे कि यह तय मानकों के अनुरूप नहीं हैं।

WHO की गाइडलाइन कहत है कि 3 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए खाने में शुगर का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। शुगर का यह मुद्दा, संसद में भी पहुंचा और स्वास्थ्य मंत्रालय से इस मुद्दे पर जवाब मांगा गया। लोकसभा सांसद कनिमोझी करुणानिधि ने 13 दिसंबर को संसद में सवाल पूछा कि क्या केंद्र स्विस एनजीओ की रिपोर्ट के बारे में जानती है, जिसमें एडेड शुगर का जिक्र किया गया था।

रिपोर्ट क्या थी?
स्विस NGO ने एक रिपोर्ट में कहा था कि नेस्ले के गेहूं बेस्ड चाइल्ड प्रोडक्ट्स ऐसे हैं, जिनमें प्रति खुराक 2.7 ग्राम ऐडेड शुगर होती है। इंग्लैंड और जर्मनी में ये उत्पाद बिना शुगर के बेचे जाते हैं। सांसद ने सवाल किया कि क्या सरकार को इस बात की खबर है, अगर है तो उसका विवरण क्या है। 

सवाल क्या हैं?
- नेस्ले के प्रोडक्ट्स में शुगर की मात्रा तय ये ज्यादा है, सरकार के पास उसका क्या ब्यौरा है?
- WHO कहता है कि 2 साल की उम्र से पहले अतिरिक्त शर्करा न दें, सरकार का रुख इस पर क्या है?
- सरकार बेबी प्रोडक्ट्स में शुगर के इस्तेमाल कम करने के लिए क्या कर रही है?
- सरकार की गाइडलाइन क्या है?
-  अगर नहीं गाइडलाइन तो वजह क्या है?



सरकार का जवाब क्या है?
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने सांसद कनिमोझी करुणानिधि के सवालों का जवाब दिया है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि फूड सिक्योरिटी एंड स्टैंडर्ड रेगुलेशन 2020 में बच्चों के लिए अलग-अलग खाद्य पदार्थों में कुछ मानक तय किए गए हैं। तय मात्रा के मुताबिक ही खाद्य पदार्थों में चीनी की मात्रा तय की गई है। 

कोडेक्स एलिमेंटेरियस कमीशन और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने जो मानक तय किए गए हैं, उन्हीं के अनुरूप ही भारत में शिशुओं के लिए खाद्य पदार्थ बेचे जा रहे हैं।  स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि जब मीडिया में चल रही खबरों पर FSSAI ने स्वत: संज्ञान लिया था, जांच की गई तो मात्रा, तय मात्रा के अनुरूप ही मिली। 

कब जांच हुई थी?
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि 29.4.2024 और 30.4 2024 को अलग-अलग जांच  की गई, जांच में तय मात्रा ही मिली, अतिरिक्त शुगर की बात सामने नहीं आई।
 

विवाद क्या था?
कुछ महीने पहले स्विट्डरलैंड की पब्लिक-I एंड इंटरनेशनल बेबी फू एक्शन नेटवर्क (IBFAN) ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि भारत, एशिया और अफ्रीका जैसे देशों में बच्चों के दूध और सेरेलेक जैसे खाद्य पदार्थों में अतिरिक्त शक्कर और शहद मिला देती है। जैसे ही रिपोर्ट सामने आई, नेस्ले इंडिया का शेयर 3 फीसदी गिर गया। कंपनी के शेयर औंधे मुंह गिरे थे। कंपनी की वैल्यू 2.3 लाख करोड़ रुपये तक गिरकर पहुंच गई थी।

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