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कर्नाटक ने अल्पसंख्यकों के लिए बढ़ाया आरक्षण, क्यों हो रहा है बवाल?

कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार, हाउसिंग स्कीम में आरक्षण का एक प्रावधान लेकर आई है। सरकार ने इस सेक्टर में आरक्षण 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने का प्रस्ताव दिया है। अब इस पर हंगामा हो रहा है।

DK Shiv Kumar, Rahul Gandhi and Siddaramaiah

डीके शिवकुमार, राहुल गांधी और सीएम सिद्धारमैया। (Photo Credit: PTI)

कर्नाटक में कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार नए हाउसिंग स्कीम में अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण को लेकर भारतीय जनता पार्टी के निशाने पर है। सिद्धारमैया कैबिनेट ने एक प्रस्ताव पर सहमति जताई है, जिसमें आवास योजनाओं में अल्पसंख्यक समुदाय के लिए आरक्षण की सीमा बढ़ाई गई है। कर्नाटक सरकार में आवास मंत्री जमीर अहमद खान एक प्रस्ताव लेकर आए, जिसमें अल्पसंख्यक समुदायों के लिए 10 प्रतिशत से आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 15 प्रतिशत कर दी गई है। यह प्रस्ताव, शहरी और ग्रामीण दोनों आवासीय योजनाओं पर लागू होगा। इस प्रस्ताव का कैबिनेट ने समर्थन किया है।

कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने इस योजना का बचाव किया है। उन्होंने कहा, 'हमें आबादी का ख्याल रखना होगा। शहरी क्षेत्र में आबादी बढ़ी है, कई गरीब और अल्पसंख्यक लोग इसका हिस्सा हैं. शहरी क्षेत्रों में कई अल्पसंख्यक रहते हैं। घर खाली पड़े हैं और इसलिए हम किसी और को इसे नहीं दे सकते हैं। 

डीके शिवकुमार ने मांड्या जैसे इलाकों का जिक्र करते हुए कहा पूरा का पूरा टॉवर ही खाली पड़ा है। उन्होंन कहा, 'मांड्या और उसके दक्षिणी हिस्से के 7 से 9 टॉवर ऐसे हैं, जहां कोई नहीं रह रहा है। कम से कम अल्पसंख्यक उसे खरीदने की इच्छा तो जता रहे हैं।'

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डीके शिवकुमार क्या तर्क दे रहे हैं?

 'बेंगलुरु में भी कई घर खाली पड़े हैं। हमें उन्हें किसे देना चाहिए। यह एक बड़ी समस्या है। हमने घर बना दिए लेकिन कोई उसे खरीद नहीं रहा है। अल्पसंख्यक एक अरसे से इसे बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। बीते 7 साल से वे मांग कर रहे हैं, हमने इसका अनुमोदन किया है।'



कर्नाटक कांग्रेस सरकार बचाव में तर्क क्या दे रही है?

कर्नाटक के गृहमंत्री जे परमेश्वरा ने कहा, 'जरूरत की वजह से ऐसा हो रहा है, न कि धर्म की वजह से। यह 15 प्रतिशत या 20 प्रतिशत के बारे में नहीं है। जिनके पास घर नहीं है, उन्हें घर देने की जरूरत है। अगर उस समुदाय के पास घर नहीं है तो हमें उन्हें घर देना होगा। यहां धर्म का सवाल ही नहीं है।'

सरकार के फैसले के समर्थन में एक और मंत्री एमसी सुधार ने कहा, 'केंद्र सरकार ने पहले ही 15 प्रतिशत आरक्षण अल्पसंख्यकों को दिया है कर्नाटक सरकार तो उस फैसले के साथ है। यह पहले से ही अल्पसंख्यकों के लिए आवंटित घर हैं, केंद्र सरकार के पास 15 प्रतिशत आरक्षण है, हमने इसे 15 प्रतिशत बढ़ा दिया है।'

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कर्नाटक के कानून मंत्री एचके पाटिकल ने भी सरकार का बचाव किया है। उन्होने कहा है कि सरकार का स्लोगन ही सबके लिए घर है। हम यह तय करने की कोशिश कर रहे हैं कि हर शख्स का अपना एक घर हो। एचके पाटिल ने कहा, 'कई अल्पसंख्यक दलित समुदाय से भी आते हैं। सरकार हर किसी को घर देने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार उनका समुदाय नहीं देखेगी। उन्हें घर दिए जाने की जरूरत है।'


बीजेपी के ऐतराज की वजह क्या है?

बीजेपी ने कर्नाटक सरकार के इस फैसले का विरोध किया है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार पर तुष्टीकरण के आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा, 'सु्प्रीम  कोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि धर्म के आधार पर दिया जाने वाला आरक्षण असंवैधानिक है। कर्नाटक सरकार ने आवासीय योनजाओं में 15 प्रतिशत का आरक्षण दे दिया है। राहुल गांधी के निर्देशन में जो कागज पर 4 प्रतिशत था, उसे 15 प्रतिशत तक कर दिया है।' 

कर्नाटक बीजेपी के अध्यक्ष विजयेंद्र येदुयुरप्पा ने कहा है, 'धर्म के आधार पर आरक्षण असंवैधानिक है। कांग्रेस ने वोट बैंक के लिए लोक कल्याणकारी योजनाओं को मंडी में बदल दिया है। 4 प्रतिशत कोटा सरकारी ठेकों में आरक्षित है, अब 15 प्रतिशत आवासी योजनाओं में। यह तुष्टीकरण कब खत्म होगा।'



हाउसिंग स्कीम में धार्मिक एंगल, BJP के भड़कने की असली वजह

ओडिशा की पुरी लोकसभा सीट से सांसद संबित पात्रा ने कहा, 'कांग्रेस पार्टी, कर्नाटक में सरकार में है। सिद्धारमैया मुख्यमंत्री हैं। उनकी कैबिनेट ने निर्णय लिया है कि जो हाउसिंग स्कीम है, कर्नाटक में, उसमें अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण किया जाएगा। आरक्षण को बढ़ाकर 15 प्रतिशत किया जाएगा। एक वेलफेयर स्कीम में, धार्मिक एंगल जोड़ा गया है, अल्पसंख्यकों के लिए 15 प्रतिशत धार्मिक आरक्षण जोड़ा गया है। इसमें कोई दो राय नहीं है, कांग्रेस पार्टी तत्कालीन राजनीतिक लाभ के लिए लंबे समय की आपदा को आमंत्रित करती है।'

क्यों बरपा है कर्नाटक में हाउसिंग स्कीम पर हंगामा   

कर्नाटक में 21 मार्च को एक संशोधन किया। द कर्नाटक ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक प्रोक्योरमेंट एमेंडमेंट बिल 2025। इसमें तय किया गया कि जो भी जनहित के काम होंगे, उसमें 4 प्रतिशत का आरक्षण अल्पसंख्यकों के लिए होगा। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि कर्नाटक में वेलफेयर स्कीम को तुष्टीकरण की मंडी में बदल दिया गया है। 

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संबित पात्रा ने कहा कि मुसलमानों के लिए आरक्षण का प्रावधान जमीर अहमद खान की प्रस्तावना थी। मुसलमानों के लिए हाउसिंग स्कीम में 15 प्रतिशत आरक्षण किया जाए। कैबिनेट ने इस पर हामी भरी है। यह भी तय है कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि धार्मिक आधार पर कोई भी आरक्षण नहीं होगा। यह असंवैधानिक है। फिर भी जो लोग पॉकेट में संविधान रखकर घूमते हैं, एक प्रति निकालने की कोशिश करते हैं, वे किस तरह से धज्जियां उड़ाते हैं, इसका नजारा कर्नाटक में दिखा है। संविधान का कहना है कि धर्म के आधार आरक्षण नहीं होना चाहिए। राहुल गांधी और कांग्रेस के लिए धार्मिक तुष्टीकरण ही सर्वोपरि है, संविधान उसके परे आता है। 

किस आधार पर कांग्रेस कर रही है ऐसा?

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग ने कहा, 'कर्नाटक में अल्पसंख्यकों को हाउसिंग स्कीम में 15 फीसदी आरक्षण देने का फैसला असंवैधनिक है। बीआर आंबेडकर ने साफ लिखा है कि कोई भी धार्मिक आधार पर आरक्षण की मांग नहीं कर सकता है। कर्नाटक की कांग्रेस सरकार का फैसला ओबीसी, अनुसूचित जाति, जनजाति के हिंदुओं के अधिकार को छीनने वाला है। वे ऐसा असंवैधानिक फैसला क्यों कर रहे हैं, हम इसे होने नहीं देंगे।' 

छत्तीसगढ़ के डिप्टी साएम अरुण देव ने कहा, 'देश में जहां भी कांग्रेस होगी, तुष्टीकरण करेगी। यह कांग्रेस की विचारधारा का हिस्सा है। समाज में कांग्रेज समाज में भेद डालती है। यही कांग्रेस की राजनीति है। समाज को तोड़ने का काम, समाज में विभेद करने का काम कांग्रेस करती है, यहां भी कर रही है।'

किस आधार पर कांग्रेस कर रही है ऐसा?

सिद्धारमैया सरकार ने अल्पसंख्यकों के लिए सरकारी ठेके में आरक्षण देने के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया था। कर्नाटक ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक प्रोक्योरमेंट (एमेंडमेंट) बिल 2025 का मकसद 2 करोड़ रुपये से कम के टेंडर में अल्पसंख्यकों को 4 प्रतिशत आरक्षण देना था। कर्नटाक विधानसभा से यह बिल 21 मार्च को पास हुआ था। बीजेपी विधायकों ने इस बिल पर हंगामा किया था। 

कर्नाटक के राज्यपाल ने इस प्रस्ताव को 2 बार वापस किया। राज्यपाल ने 22 मई को कहा कि इसे संविधान के अनुच्छेद 200 राष्ट्रपति के पास विचार के लिए भेजा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कांग्रेस के इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि कांग्रेस की सरकार, अनुसूचित जाति-जनजाति और पिछड़े वर्ग के हितों को छीनना चाह रही है। 

संवैधानिक स्थिति क्या है?

अनुच्छेद 15 और 16 दोनों को धार्मिक आधार पर भेदभाव को रोकते हैं लेकिन आर्थिक तौर पर पिछड़े वर्ग के लिए संविधान में आरक्षण का विकल्प दिया जा सकता है। 

सुप्रीम कोर्ट के किस फैसले का जिक्र कर रही है बीजेपी?

दिसंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार से कहा था कि धार्मिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए। पश्चिम बंगाल सरकार हाई कोर्ट के एक फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। साल 2010 में से पश्चिम बंगाल में कई जातियों को दिए गए ओबीसी दर्जे को कोर्ट ने रद्द किया था। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन ने मौखिक तौर पर कहा था कि धार्मिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए। 

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