कैसे बनता है कोई नया देश, बलूचिस्तान की राह कितनी कठिन?
देश
• NEW DELHI 16 May 2025, (अपडेटेड 17 May 2025, 6:08 AM IST)
पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत ने अपनी आजादी का एलान कर दिया है। मगर देश के तौर पर खुद को स्थापित करना इतना आसान नहीं है। जानते हैं देश बनने की प्रक्रिया क्या है?

बलूचिस्तान को कैसे मिलेगी मान्यता? Photo Credit: X- @miryar_baloch
भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच बलूचिस्तान की चर्चा खूब है। बलूच नेता मीर यान बलोच ने बुधवार को बलूचिस्तान की आजादी का एलान किया। उन्होंने भारत से दिल्ली में बलूचिस्तान का दूतावास खोलने और संयुक्त राष्ट्र से मान्यता देने की मांग की। मगर यहां यह जानना बेहद जरूरी है कि सिर्फ एलान करने से ही कोई देश नहीं बन जाता है। मौजूदा समय में दुनिया में ऐसे कई क्षेत्र हैं, जो अपनी आजादी की घोषणा कर चुके हैं। मगर अभी तक उन्हें देश के तौर पर मान्यता नहीं मिली है।
देश की कोई तय परिभाषा नहीं है। मगर 1933 में लैटिन अमेरिकी देश उरुग्वे के मोंटेवीडियो शहर में एक सम्मेलन आयोजित किया गया था। इसके मुताबिक देश के कुछ तत्व निर्धारित हैं। उसके आधार पर ही किसी क्षेत्र को देश की मान्यता मिलती है। जैसे जनसंख्या, निश्चित भूभाग, सरकार और संप्रभुता। बलूचिस्तान के मामले में बलूच लोगों की जनसंख्या पाकिस्तान के अलावा ईरान और अफगानिस्तान तक फैली है। मगर उनका क्षेत्रफल अभी तय नहीं है। बलूच विद्रोहियों के पास अभी अपनी सरकार नहीं हैं। फैसला लेने व दूसरे देशों से संबंध स्थापित करने की शक्ति भी नहीं है।
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पहला कदम:
मोंटेवीडियो कन्वेंशन में तय अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन अहम।
- आजादी का एलान करने वाले देश के पास अपना स्पष्ट रूप से परिभाषित क्षेत्रफल हो।
- जनसंख्या का होना अहम।
- खुद की सरकार।
- अन्य देशों के साथ संबंध बनाने की ताकत।
दूसरा कदम:
खुद को स्वतंत्र घोषित करने वाले क्षेत्रफल के नेताओं को अन्य देशों से संपर्क करना चाहिए। उनसे मान्यता देने की अपील कर सकते हैं। अगर कोई बड़ा देश मान्यता देता है तो उसक प्रभाव में आकर कुछ अन्य देश भी मान्यता दे सकते हैं। यदि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिकांश राज्यों का समर्थन मिलता है तो देश बनाने में आसानी होगी। मगर यहां यह भी जानना जरूरी है कि अगर कुछ देशों ने मान्यता दे भी दी है तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसे संयुक्त राष्ट्र से भी मान्यता मिल जाएगी। संयुक्त राष्ट्र से मान्यता लेने की प्रक्रिया अलग है। 1971 में बांग्लादेश को अलग देश के तौर पर सबसे पहले भारत ने मान्यता दी थी। बाद में बाकी देशों ने भी मान्यता देना शुरू किया था। मगर दुनिया में कई विवादित देश भी हैं।
जैसे इजरायल को कुछ ही मुल्कों ने देश के तौर पर मान्यता दे रखी है। वहीं पाकिस्तान समेत कई देश आज भी इजरायल को देश नहीं मानते हैं। वैसे ही ताइवान, फिलिस्तीन और कोसोवो को बहुत से देशों ने मान्यता दे रखी है। मगर इनमें से कुछ के पास अब भी संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता नहीं है।
तीसरा कदम:
संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट के मुताबिक किसी भी नए देश को मान्यता सिर्फ बाकी देश या उनकी सरकारें ही दे सकती हैं। संयुक्त राष्ट्र न तो एक राज्य है और न ही सरकार। ऐसे में उसके पास किसी देश या सरकार को मान्यता देने का कोई अधिकार नहीं है। देशों के एक संगठन होने के नाते यूएन सिर्फ किसी नए मुल्क को अपनी सदस्यता दे सकता है और इसकी एक तय प्रक्रिया है।
- संबंधित देश को सबसे पहले यूएन महासचिव को एक पत्र लिखना होगा। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के दायित्वों के पालन की बात को भी स्वीकारना होगा।
- आवेदन पर सुरक्षा परिषद विचार करेगी।
- अगर सदस्यता की सिफारिश की जाती है तो सभी 5 स्थायी सदस्य का पक्ष में मतदान जरूरी है। वहीं 15 अस्थायी सदस्यों में से 9 का समर्थन मिलना अहम है।
- यहां तक अगर सबकुछ सही रहा तो सदस्यता की सिफारिश को महासभा में पेश किया जाएगा। यहां दो-तिहाई बहुमत हासिल करना जरूरी है।
- प्रस्ताव पारित होने वाले दिन से ही नए देश की सदस्यता लागू हो जाती है।
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फलस्तीन को लगभग 139 देश से मान्यता मिली है। मगर वह संयुक्त राष्ट्र में सिर्फ ऑब्जर्वर है। उसे वोट देने का अधिकार अभी तक नहीं मिला है। उधर, इजरायल को 165 देशों ने मान्यता दे रखी है। पाकिस्तान समेत कुल 28 देश इजरायल को संप्रभु राज्य मानते ही नहीं।
अपना झंडा, करेंसी व सरकार भी, मगर मान्यता नहीं
एल्गालैंड-वरगालैंड,अल्टानियम, क्रिस्टियानिया जैसे देशों को अभी तक किसी ने मान्यता नहीं दी है। इन देशों के पास अपना झंडा, करेंसी और सरकार भी है। 1971 तक ताइवान एक देश था। मगर चीन के संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता मिलने के बाद ताइवान से यह दर्जा छीन लिया गया। सिर्फ 15 देश ही ताइवान को स्वतंत्र देश मानते हैं। मगर भारत समेत बाकी देशों ने अभी तक ताइवान को मान्यता नहीं दी है।
इन देशों को भी नहीं मिली मान्यता
ग्रीनलैंड और तिब्बत को भी देश के तौर पर मान्यता नहीं मिली है। अमेरिका के अंदर लकोटा रिपब्लिकनाम से अलग देश है। अफ्रीका में भी बरोत्सेलैंड नाम का देश है। यहां के लोग जाम्बिया से खुद को आजाद घोषित कर चुके हैं। ऐसा ही एक अन्य देश ओगोनीलैंड है। इसने खुद को नाइजीरिया से स्वतंत्र घोषित कर रखा है। ओगोनीलैंड और बरोत्सेलैंड ने 2012 में अपनी-अपनी आजादी का एलान किया था। मगर अभी तक किसी देश से इनको मान्यता नहीं मिली।
सोमालियालैंड 1991 से ही अपने आपको सोमालिया से अलग देश बताता है। मगर अभी तक मान्यता नहीं मिली है। 2008 में कोसोवो ने खुद को सर्बिया से अलग स्वतंत्र देश घोषित किया था। सिर्फ कुछ देशों ने कोसोवो को मान्यता दी है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता अभी तक सपना है।
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