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बिना कानून की पढ़ाई किए कैसे चीफ जस्टिस बने थे कैलाशनाथ वांचू?

जस्टिस कैलाशनाथ वांचू देश के 10वें मुख्य न्यायाधीश थे। उन्होंने संवैधानिक अधिकारों पर कई अहम फैसले भी दिए थे। पढ़ें उनके जज बनने की कहानी।

Justice Kailashnath Vanchu

जस्टिस कैलाशनाथ वांचु, सुप्रीम कोर्ट के 10वें CJI थे। (Photo: Supreme Court)

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन कानून पर फैसला क्या सुनाया, भारत में जजों के अधिकारों को लेकर नई बहस छिड़ गई है। सवाल जजों की योग्यता पर भी उठाए जा रहे हैं। यह तल्खी इस हद तक बढ़ गई है कि लोकसभा सांसद निशिकांत दुबे को भारत के 10वें मुख्य न्यायाधीश कैलाशनाथ वांचू का जिक्र करना पड़ा है। जस्टिस वांचू वही जज थे, जिन्होंने कानून की पढ़ाई नहीं की थी लेकिन देश के 10वें मुख्य न्यायाधीश बने थे। 

निशिकांत दुबे पहले भी सुप्रीम कोर्ट की भूमिका पर सवाल उठा चुके हैं। भले ही भारतीय जनता पार्टी ने उनके बयानों से दूरी बना ली हो लेकिन उन्हीं के अंदाज में कई नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर अपनी भड़ास निकाली है। संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू भी कह चुके हैं कि न्यायपालिका को विधायिका में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, अगर विधायिका, न्यायपालिका में हस्तक्षेप करे तो क्या होगा।

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'जस्टिस कैलाशनाथ वांचू बिना कानून पढ़े जज बने'
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने X पर पोस्ट किया, 'क्या आपको पता है कि 1967-68 में भारत के मुख्य न्यायाधीश कैलाशनाथ वांचू जी ने  क़ानून की कोई पढ़ाई नहीं की थी।'



कितना सच है निशिकांत दुबे का दावा?
निशिकांत दुबे का जस्टिस वांचू पर दावा सही है। जस्टिस कैलाश नाथ वांचू भारत के 10वें मुख्य न्यायाधीश थे और वे पहले ऐसे मुख्य न्यायाधीश थे जो न तो वकील थे और न ही उनके परिवार में कोई जज था। उन्होंने 1924 में भारतीय सिविल सेवा (ICS) की परीक्षा पास की और दो साल की ट्रेनिंग के लिए ब्रिटेन गए। वांचू ने कानून की औपचारिक पढ़ाई नहीं की थी, लेकिन ICS ट्रेनिंग के दौरान क्रिमिनल लॉ सीखा, जो उनकी शुरुआती कानूनी जानकारी का आधार बना।

अलग बात है कि उन्हें एलएलडी की मानद उपाधि मिली। 1926 में भारत लौटने के बाद उनकी पहली नियुक्ति तब के अविभाजित यूपी में एडिशनल मजिस्ट्रेट और कलेक्टर के तौर पर हुई। 1937 तक वे सत्र और जिला जज बन गए। 1947 में उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट में कार्यवाहक जज बनाया गया और 10 महीने बाद स्थायी जज की नियुक्ति मिली।

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हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट कैसे पहुंचे?
2 जनवरी 1951 को वांचू राजस्थान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने। 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के बाद वे राजस्थान हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने और 11 अगस्त 1958 को सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त हुए। 1967 में मुख्य न्यायाधीश के सुब्बा राव के अचानक इस्तीफे के बाद, वांचू को 24 अप्रैल 1967 को भारत का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया। 

वे केवल दस महीने तक इस पद पर रहे और 24 फरवरी 1968 को रिटायर हुए। सुप्रीम कोर्ट में रहते हुए जस्टिस वांचू ने 355 फैसले लिखे और 1,286 बेंचों में हिस्सा लिया। उनके फैसलों का 326 अन्य फैसलों में उल्लेख हुआ। वे मुख्य रूप से श्रम, संवैधानिक और संपत्ति कानून से जुड़े मामलों में सक्रिय रहे।


कैसे बिना डिग्री बन गए जज? अनुच्छेद 124 से समझिए 
जस्टिस कैलाशनाथ वांचू वकील नहीं थे, उन्होंने कानून की पढ़ाई नहीं की थी, फिर भी भारत के मुख्य न्यायाधीश बने थे। क्या आपको पता है कि उनकी नियुक्ति में कुछ भी हैरान करने वाला नहीं है। भारतीय संविधान में एक प्रावधान ऐसा भी है, जब किसी ऐसे व्यक्ति को, जिसने कानून की पढ़ाई नहीं की है, वकील नहीं है फिर भी उसे सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया जा सकता है। क्या है यह कानून, आइए जान लेते हैं- 

संविधान के भाग 5 में संघ की न्यायपालिका का जिक्र है। न्यायपालिका में न्यायमूर्ति (Justice) कौन हो सकता है, योग्यता क्या हो सकती है, यह अनुच्छेद 124 में बताया गया है। अनुच्छेद 124 (3) इस संबंध में बात करता है कि कौन न्यायाधीश बनने योग्य है। 

सुप्रीम कोर्ट का जज बनने के लिए इन शर्तों पर खरा उतरना जरूरी है- 

1. भारत का नागरिक हो
2. किसी हाई कोर्ट का जज हो या किसी 2 अदालतों में कम से कम 5 साल तक जज के तौर पर सेवाएं दे रहा हो
3. किसी हाई कोर्ट में या दो से ज्यादा न्यायलयों में 10 साल तक अधिवक्ता रहो।
4. राष्ट्रपति की नजर में पारंगत विधिवेत्ता हो। 

अनुच्छेद 123 (3) (ग) ही जस्टिस कैलाशनाथ वांचू की नियुक्ति का आधार बना। वह साल 1967 से लेकर 1968 तक, भारत के मुख्य न्यायाधीश रहे। वह देश के 10वें मुख्य न्यायाधीश थे। वह राष्ट्रपति की नजर में कानून का जानकार थे, इस वजह से ही उनका एलिवेशन हो सका। 

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किसने नियुक्त किया था?
11 अप्रैल 1967 को तत्कालीन CJI जस्टिस सुब्बाराव ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उन्हें CJI बनने का मौका मिला। तब डॉ. राजेंद्र प्रसाद देश के राष्ट्रपति थे। 

जज के तौर पर कौन से फैसले चर्चा में रहे?
गोलकनाथ बनाम स्टेट ऑफ पंजाब 1967
जनरल मैनेजर, साउदर्न रेलवे 1961

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