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20 साल में गई हजारों की जान, धार्मिक आयोजनों में भगदड़ बनी जानलेवा

पिछले 20 सालों में देश में मंदिरों और तमाम धार्मिक समारोहों को मिलाकर बहुत सारी भगदड़ हुई है। इस भगदड़ो में हजार से ज्यादा लोगों की जानें गई हैं और न जाने कितने घायल हुए हैं।

Representational Image । Photo Credit: PTI

प्रतीकात्मक तस्वीर । Photo Credit: PTI

प्रयागराज के महाकुंभ में सारी खुशी उस वक्त गम में बदल गई जब मौनी अमावस्या के पवित्र अवसर पर करोड़ों तीर्थयात्रियों के पहुंचने की वजह से भगदड़ मच गई। इस दुर्घटना की वह से कई लोग हताहत हो गए। हालांकि, ऐसा नहीं है कि यह पहली बार हुआ है। देश के तमाम मंदिरों और धार्मिक समारोहों में इस तरह की घटना होने की खबरें आती रहती हैं।

 

हाल ही में आंध्र प्रदेश के वेंकटेश्वर मंदिर में टोकन वितरण के दौरान भगदड़ मच गई थी जिसमें कई लोगों की जान चली गई थी और इसी तरह से पिछले साल उत्तर प्रदेश के हाथरस में स्वयंभू बाबा भोले बाबा के सत्संग में मची भगदड़ से 121 लोगों की मौत हुई जिनमें ज्यादातर महिलाएं थीं।

 

इसी प्रकार, 2005 में महाराष्ट्र के मंधारदेवी मंदिर में 340 से अधिक श्रद्धालु मारे गए तथा 2008 में राजस्थान के चामुंडा देवी मंदिर में कम से कम 250 श्रद्धालु मारे गए। 2008 में हिमाचल प्रदेश के नैना देवी मंदिर में एक धार्मिक सभा में भगदड़ मचने से 162 लोगों की जान चली गई।

 

हाल के वर्षों में देश में हुईं ऐसी प्रमुख त्रासदियों की बात करें तो दो जुलाई 2024 को उत्तर प्रदेश के हाथरस में स्वयंभू भोले बाबा उर्फ ​नारायण साकार हरि द्वारा आयोजित 'सत्संग' में भगदड़ मचने से महिलाओं और बच्चों सहित 100 से अधिक लोग मारे गए।

हुईं कौन सी बड़ी घटनाएं

31 मार्च, 2023 को इंदौर शहर के एक मंदिर में रामनवमी के अवसर पर आयोजित हवन कार्यक्रम के दौरान एक प्राचीन 'बावड़ी' या कुएं के ऊपर बने स्लैब के ढह जाने से कम से कम 36 लोगों की मौत हो गई। 

 

1 जनवरी, 2022 को जम्मू-कश्मीर में प्रसिद्ध माता वैष्णो देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण मची भगदड़ में कम से कम 12 लोगों की मौत हो गई और एक दर्जन से अधिक घायल हो गए।

 

14 जुलाई, 2015 को आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी में 'पुष्करम' उत्सव के पहले दिन गोदावरी नदी के तट पर एक प्रमुख स्नान स्थल पर भगदड़ मचने से 27 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई और 20 अन्य घायल हो गए। 

 

3 अक्टूबर, 2014 को दशहरा समारोह समाप्त होने के तुरंत बाद पटना के गांधी मैदान में भगदड़ मचने से 32 लोग मारे गए और 26 अन्य जख्मी हो गए। 

 

13 अक्टूबर, 2013 को मध्य प्रदेश के दतिया जिले में रतनगढ़ मंदिर के पास नवरात्रि उत्सव के दौरान मची भगदड़ में 115 लोग मारे गए और 100 से ज़्यादा घायल हो गए। भगदड़ की शुरुआत इस अफवाह के कारण हुई कि श्रद्धालु जिस नदी के पुल को पार कर रहे थे, वह टूटने वाला है।

 

यह भी पढ़ेंः महाकुंभ में मची भगदड़, कई लोग घायल, अखाड़ों ने अमृत स्नान रद्द किया

 

19 नवम्बर, 2012 को पटना में गंगा नदी के तट पर अदालत घाट पर छठ पूजा के दौरान एक अस्थायी पुल के ढह जाने से मची भगदड़ में लगभग 20 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए। 

 

8 नवम्बर, 2011 को हरिद्वार में गंगा नदी के तट पर हर-की-पौड़ी घाट पर भगदड़ में कम से कम 20 लोग मारे गए।

 

14 जनवरी 2011 को केरल के इडुक्की जिले के पुलमेडु में एक जीप के तीर्थयात्रियों को टक्कर मार देने के कारण मची भगदड़ में सबरीमला के कम से कम 104 श्रद्धालु मारे गए और 40 से अधिक घायल हो गए।

 

4 मार्च, 2010 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में कृपालु महाराज के राम जानकी मंदिर में भगदड़ में लगभग 63 लोग मारे गए। लोग बाबा से मुफ्त कपड़े और भोजन लेने के लिए एकत्र हुए थे।

 

30 सितम्बर, 2008 को राजस्थान के जोधपुर शहर में चामुंडा देवी मंदिर में बम विस्फोट की अफवाह के कारण मची भगदड़ में लगभग 250 श्रद्धालु मारे गए और 60 से अधिक घायल हो गए।

 

3 अगस्त, 2008 को हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में नैना देवी मंदिर में चट्टान खिसकने की अफवाह के कारण मची भगदड़ में 162 लोग मारे गए और 47 लोग घायल हो गए।

 

25 जनवरी, 2005 को महाराष्ट्र के सतारा जिले में मंधारदेवी मंदिर में वार्षिक तीर्थयात्रा के दौरान 340 से अधिक श्रद्धालुओं की कुचल जाने की वजह से मौत हो गई और सैकड़ों घायल हो गए। यह दुर्घटना उस समय घटित हुई जब कुछ श्रद्धालुओं द्वारा नारियल तोड़ने के कारण सीढ़ियों पर फिसलन हो गई और लोग गिर गए।

 

27 अगस्त, 2003 को महाराष्ट्र के नासिक जिले में कुंभ मेले में पवित्र स्नान के दौरान भगदड़ में 39 लोग मारे गए और लगभग 140 घायल हो गए।

 

यह भी पढे़ेंः महाकुंभ में मची भगदड़, कई लोग घायल, अखाड़ों ने अमृत स्नान रद्द किया

 

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