वोट चोरी और बिहार में कराए जा रहे एसआईआर के बीच इमरजेंसी के दौरान कराई गई नसबंदी का डेटा भी सुर्खियों में आ गया है. लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में गृह मंत्रालय ने जवाब दिया कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस जेसी शाह की अध्यक्षता में एक कमीशन का गठन किया था ताकि इस मामले में जांच की जा सके।
सरकार ने डेटा रिलीज करते हुए कहा कि इमरजेंसी के दौरान सरकार ने 1975-76 में 2,48,500 नसबंदी का टारगेट रखा था जिसमें से टारगेट से ज्यादा 2,48,500 नसबंदियां कराई गईं। इसी तरह से 1976-77 में इस टारगेट को बढ़ाकर 42,55,500 रखा गया लेकिन इस साल भी टारगेट से ज्यादा 81,32,209 नसबंदियां करवाई गईं।
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अविवाहित लोगों की भी हुई नसबंदी
खास बात यह है कि इस दौरान तमाम अविवाहित लोगों की भी नसबंदी करा दी गई। सरकार ने जो आंकड़े पेश किए उसके मुताबिक 548 शिकायतें ऐसी थीं जिसमें कहा गया कि अविवाहित लोगों की भी नसबंदी करा दी गई। साथ ही शाह कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक नसबंदी की वजह से 1774 मामले मौत के भी आए। शाह कमीशन की रिपोर्ट को 31 अगस्त 1978 को पार्लियामेंट में रखा गया था। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में इस बात की जानकारी दी।
सबसे ज्यादा तमिलनाडु
इस दौरान सर्वाधिक नसबंदी दक्षिण के राज्य तमिलनाडु में करवाई गई। 1975-76 में भी तमिलनाडु में 2,70,691 नसबंदियां करवाई गईं जबकि 1976-77 में 5,69,756 नसबंदियां करवाई गईं। हालांकि, नसबंदी का सर्वाधिक लक्ष्य आंध्र प्रदेश में रखा गया था। 1975-76 में 2,94,200 नसबंदियों का जबकि 1976-77 में यह लक्ष्य 4,00,000 रुपये रखा गया था।
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अगर अन्य राज्यों की बात करें तो 1975-76 में बिहार में 2,02,500 गुजरात में 1,82,400 कर्नाटक में 1,39,00 मध्य प्रदेश में 1,63,800 उत्तर प्रदेश में 1,75,00 रखा गया था। वहीं पहाड़ी और नॉर्थ ईस्ट राज्यों की बात करें तो जम्मू कश्मीर में 7000, त्रिपुरा में 3400, मणिपुर में 1600, मिजोरम में 900 का लक्ष्य रखा गया था।
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संसद में पूछा सवाल
संसद में इस बारे में सवाल पूछा गया था कि 1975 से 1978 के बीच इमरजेंसी के दौरान कितने लोगों की जबरदस्ती नसबंदी कराई गई और कितने लोगों ने खुद से नसबंदी कराई। इस बारे में राज्यवार आंकड़े मांगे गए थे। इसमें यह भी पूछा गया था कि क्या इसके लिए कोई जांच बैठाई गई थी।