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गेमिंग और साइबर फ्रॉड में इतनी रकम गई, 5 शहरों में मेट्रो बन जाती

एक साल में देश के लोगों ने सट्टेबाजी एप और साइबर फ्रॉड से इतनी बड़ी रकम गंवाई है कि इससे कानपुर जैसे पांच शहरों में मेट्रो लाइन बिछ जाती है। दिल्ली नगर निगम का चार साल का बजट बन जाता।

Cyber ​​fraud News.

गेमिंग और साइबर फ्रॉड से कितना नुकसान। (AI Generated Image)

देश की बड़ी आबादी साइबर फ्रॉड और ऑनलाइन बेटिंग एप का शिकार बनी है। यह सिलसिला अब भी जारी है। जालसाजों के चक्कर में फंसकर लोग अक्सर अपनी गाढ़ी कमाई मिनटों में गंवा बैठते हैं। यही हाल बेटिंग एप का है। जल्द अमीर बनने का सपना दिखाया जाता है। लोग लालच में आते हैं और अपनी मेहनत की कमाई लगाना शुरू कर देते हैं। शौक-शौक में शुरू किया गया खेल कुछ ही समय में लत में तब्दील हो जाता है। जब तक संभलते हैं, तब तक मेहनत की कमाई जा चुकी होती है। आज का विश्लेषण इसी बात पर है कि देश को साइबर फ्रॉड और गेमिंग एप से कितना नुकसान हुआ, अगर यह पैसा विकास कार्य पर लगाया जाता तो कैसी तस्वीर होती है। 

 

गेमिंग एप से कितना नुकसान: राज्यसभा में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया, 'एक अनुमान के अनुसार 45 करोड़ लोग ऑनलाइन मनी गेम्स का शिकार हुए हैं। यह लोग हर साल लगभग 20,000 करोड़ रुपये की रकम गंवाते हैं।'

 

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केंद्र की मोदी सरकार देशभर में 80 करोड़ लोगों को मुफ्त में राशन देती है और 45 करोड़ लोग सट्टेबाजी एप में अपनी कमाई गंवा देते हैं। इन एप के जाल में फंसकर कई परिवार तबाह हो चुके हैं। किसी ने लाखों रुपये की रकम गंवाई तो किसी ने करोड़ों की। अब केंद्र सरकार सट्टेबाजी एप को एक बड़ी सामाजिक समस्या के तौर पर देख रही है। यही वजह है कि उसने राजस्व हानि की जगह लोक कल्याण को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया। ऑनलाइन मनी गेमिंग के खिलाफ सरकार ने एक विधेयक पारित किया है।

 

साइबर फ्रॉड से कितना नुकसान: लोकसभा में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बंडी संजय कुमार ने बताया कि 2024 में साइबर अपराधियों के कारण लोगों को 22,845.73 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान झेलना पड़ा। यह आंकड़ा 2023 की तुलना में लगभग 206 फीसदी अधिक है। आंकड़ों के मुताबिक 2023 में लोगों को 7,465.18 करोड़ रुपये गंवाने पड़े।

 

अगर सट्टेबाजी एप और साइबर फॉड से होने वाली धनराशि को मिला तो यह रकम 42,845 करोड़ रुपये बनती है। इस साल दिल्ली नगर निगम को कुल 10,537 करोड़ रुपये का बजट मिला है। मतलब साफ है कि फ्रॉड और सट्टेबाजी से देशवासियों को होने वाला नुकसान दिल्ली नगर निगम के बजट से लगभग 4 गुना अधिक है।

 

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अगर विकास पर खर्च होती इतनी रकम तो...

देशवासियों ने जितनी रकम विकास और सट्टेबाजी में गंवाई है, अगर उसे विकास कार्यों में खर्च किया जाता तो देश के कई शहरों की तस्वीर बदल जाती। आइये इसे उदाहरण से समझते हैं। हाल ही में दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन (DMRC) ने एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार की है। इसके मुताबिक दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद के बीच चार मेट्रो कॉरिडोर का निर्माण करना प्रस्तावित है। कॉरिडोर की कुल लंबाई 25 किमी होगी। इसमें प्रति एक किलोमीटर मेट्रो लाइन की लागत 300 करोड़ रुपये आंकी गई है। अब अगर फ्रॉड में गंवाई गई 42,845 करोड़ रुपये की रकम का विकास पर इस्तेमाल होता तो लगभग 142 किमी लंबी मेट्रो लाइन बिछ जाती।

 

उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में 32.5 किलोमीटर लंबा मेट्रो नेटवर्क बिछाया जा रहा है। अगर कानपुर की ही तर्ज पर 25 से 30 किमी लंबे मेट्रो नेटवर्क को बिछाया जाता तो 42,845 करोड़ रुपये देश के लगभग 5 शहरों में मेट्रो सुविधा उपलब्ध होती। 

सरकार क्या कदम उठा रही?

केंद्र सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग प्रमोशन और रेगुलेशन बिल- 2025 पारित किया है। इसमें मनी गेमिंग पर पूर्ण प्रतिबंध का प्रावधान है। मतलब पैसा लगाकर कोई गेम नहीं खेल सकेंगे। सरकार सोशल गेमिंग और ई-स्पोर्ट्स को बढ़ाव देगी। कानून बनने के बाद अगर किसी भी शख्स ने ऑनलाइन मनी गेमिंग की सुविधा प्रदान की तो उसके खिलाफ कानूनी एक्शन होगा। विधेयक में तीन साल की जेल और एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। अगर किसी ने मनी गेमिंग एप का विज्ञापन किया तो उसे दो साल की कैद या 50 लाख रुपये तक के जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।

 

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दूसरी तरफ साइबर फ्रॉड के प्रति लगातार लोगों को जागरुक किया जा रहा है। हाल ही में ईडी ने गुरुग्राम, दिल्ली और नोएडा समेत देशभर के 11 स्थानों पर दबिश दी। यह एक्शन वैश्विक साइबर धोखाधड़ी मामले में लिया गया। लोगों को गिरफ्तार करने की धमकी देकर साइबर अपराधी अपना शिकार बनाते हैं। अभी तक क्रिप्टो करेंसी में करीब 260 करोड़ रुपये की ठगी का मामला सामने आया है।

 

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