एक लड़का, जिसे वायुसेना हद से ज्यादा पसंद थी। वजह ये कि उसे उड़ना पसंद था। विमानों को उड़ाना, लड़ाकू विमानों को लेकर आसमान में मंडराना और देश का नाम रोशन करना। लोगों ने ब्रह्मांण के जिस सिरे के रहस्यों के बारे में सिर्फ अटकलें लगाई थी, यह शख्स वहां से होकर आया था। ये कोई और नहीं, राकेश शर्मा थे, जो भारत के पहले ऐसे शख्स थे, जिन्हें अंतरिक्ष यात्री का दर्जा मिला था।
13 जनवरी 1949 को पंजाब के पटियाला शहर में पैदा हुए राकेश शर्मा, बचपन से वायुसेना में जाना चाहते थे। उन्होंने हैदराबाद से अपनी पढ़ाई पूरी।साल 1970 तक वे भारतीय वायुसेना में भर्ती हो गए और जी-तोड़ मेहनत की। वे साल 1984 में स्क्वार्डन लीडर बने।
राकेश शर्मा, साल 1971 में पाकिस्तान के साथ छिड़ी जंग में 21 बार उड़ान भर चुके थे। जब उनकी उम्र 25 साल की हुई तो उनके अधिकारी यह समझ गए थे कि ये अधिकारी कमाल करेगा। साल 1984 में ही उन्हें प्रमोट करके स्क्वार्डन लीडर बनाया गया। 20 सितंबर 1982 को यह तय हुआ कि इसरो की ओर से सोवियत संघ के एक संयुक्त मिशन पर भेजे जाएंगे। यह प्रोजेक्ट इसरो और सोवियत संघ का संयुक्त प्रजोक्ट था।
तो देश को मिल जाता एक और अंतरिक्ष यात्री
अंतरिक्ष यात्रा से पहले उनकी कड़ी ट्रेनिंग हुई थी। यह काफी थकाऊ रही। सोवियत यूनियन ने कहा था कि भारत से दो अंतरिक्ष यात्री आ सकते हैं। भारत का इसरो, अपने शुरुआती दौर में था। उन्हें रूस भेजा गया, 18 महीने की कड़ी ट्रेनिंग हुई।पहले रवीश मल्होत्रा भी उनके साथ जाने वाले थे लेकिन वे अपने आखिरी टेस्ट में असफल हो गए थे।
कौन-कौन अंतरिक्ष हुए थे रवाना?
राकेश शर्मा, 3 अप्रैल 1984 को यूरी माल्यशेव और गेनाडी सट्रेकालोव के साथ अंतरिक्ष की ओर रूसी रॉकेट में सवार होकर पहुंचे। सोवियत रिपब्लिक ऑफ कजाखस्तान के एक अंतरिक्ष केंद्र से इस रॉकेट ने उड़ान भरी थी। वे अंतरिक्ष में जाने वाले 128वें इंसान थे। राकेश शर्मा करीब 8 दिन तक अंतरिक्ष में रहे थे।
अंतरिक्ष से लौटकर छा गए थे राकेश शर्मा
अंतरिक्ष यात्रा के बाद जब वे लौटकर मॉस्को पहुंचे तो उन्होंने टेलीविजन पर एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया। इंदिरा गांधी ने उनसे सवाल किया था कि अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है, उन्होंने जवाब दिया सारे जहां से अच्छा।
रूस में भी हुए थे सम्मानित
राकेश शर्मा को रूस ने हीरो ऑफ सोवियत यूनियन पुरस्कार से सम्मानित किया था। अंतरिक्ष जाने वाले वे पहले भारतीय थे। उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था। राकेश शर्मा, अंतरिक्ष से लौटने के बाद हमेशा चर्चा में बने रहे। लोग उन्हें देखने उमड़ पड़ते, लोग मिलकर उनसे तस्वीरें खिंचवाते, प्रशंसकों की लंबी कतारें उनसे ऑटोग्राफ लेने के लिए लगी रहतीं।
अब क्या कर रहे हैं राकेश शर्मा?
राकेश शर्मा, तमिलनाडु के कन्नूर जिले में रहते हैं। वे अब लाइमलाइट से बहुत दूर रहते हैं। वे एयरोनॉटिक्स में कई अहम कंपनियों में कार्यभार संभाल चुके हैं। उन्हें देशभर के अंतरिक्ष कार्यक्रमों में बुलाया जाता है।