पहले प्लांट से विक्रम चिप तक; कैसी रही भारत की सेमीकंडक्टर यात्रा?
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• NEW DELHI 03 Sept 2025, (अपडेटेड 04 Sept 2025, 1:29 AM IST)
सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में भारत एक दिग्गज खिलाड़ी पिछले लगभग पांच दशक से बनना चाहता था। इसकी नींव भी रखी गई। मगर आग की एक घटना ने देश को दशकों पीछे धकेल दिया।

प्रतीकात्मक फोटो। (AI Generated Image)
सेमीकंडक्टर की दिशा में भारत की यात्रा काफी पुरानी है। मौजूदा समय में सेमीकंडक्टर रणनीतिक हथियार बन चुकी है। कार से मिसाइल तक में इस छोटी सी चिप का इस्तेमाल होता है। भारत भी खुद को सेमीकंडक्टर हब बनाना चाहता है, ताकि अन्य देशों पर निर्भरता कम की जा सके। पीएम मोदी खुद सेमीकंडक्टर को डिजिटल डायमंड कहते हैं।
डिजिटल युग में बढ़ती सेमीकंडक्टर की मांग के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की पहली माइक्रोप्रोसेसर चिप 'विक्रम' को दुनिया के सामने पेश किया। यह 32- बिट माइक्रोप्रोसेसर चिप है। इसका निर्माण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के सेमीकंडक्टर लैब ने किया है। अब इस चिप का इस्तेमाल इसरो अपने अंतरिक्ष मिशनों में करेगा।
70 के दशक में इजरायल, ताइवान, चीन, जापान और दक्षिणा कोरिया सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में कोई जाना पहचाना नाम नहीं थे। मगर आज इनकी तूती बोलती है। उस वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में बड़ा कदम उठाया था। उनके मंत्रिमंडल ने देश में एक सेमीकंडक्टर कॉम्प्लेक्स निर्माण को मंजूरी दी। पंजाब के मोहाली में सेमीकंडक्टर कॉम्प्लेक्स लिमिटेड (SCL) की स्थापना की गई। इस सरकारी कंपनी ने 1984 में उत्पादन शुरू किया। 80 के दशक में भारत की यह सरकारी कंपनी दुनिया की बाकी बड़ी कंपनियों के मुकाबले पर खड़ी थी। यूं कहें कि कंधे से कंधा मिला रही थी। मगर अगले पांच साल में सबकुछ बदलने वाला था।
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1989 की रात, जब भारत के सपनों पर लगी आग
देश के सेमीकंडक्टर के इतिहास में 7 फरवरी 1989 की रात को काफी भुलाया नहीं जा सकता। इस काली रात ने देश के सबसे बड़े सपने को मिट्टी में मिला दिया था। अगर उस रात मोहाली के सेमीकंडक्टर कॉम्प्लेक्स लिमिटेड में आग न लगती तो शायद आज देश सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में अग्रणी पायदान पर खड़ा होता। एससीएल में आग रहस्यमयी तरीके से लगी थी। विदेश से लाए गए सभी उपकरण जल चुके थे। उस वक्त आग में लगभग 75 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। प्लांट में आग की घटना की जांच इंटेलिजेंस ब्यूरो यानी आईबी ने की। मगर कोई ठोस वजह सामने नहीं आई।
आग से पहली माइक्रोप्रोसेसर चिप तक का सफर
लगभग 8 साल बाद 1997 में एससीएल मोहाली में दोबारा उत्पादन शुरू हुआ। साल 2006 में सरकार ने कंपनी का पुनर्गठन किया और नाम बदलकर सेमीकंडक्टर लैब रख दिया। अब यह कंपनी अंतरिक्ष विभाग के अंतर्गत आती है। भारत की पहली 32 बिट माइक्रोप्रोसेसर विक्रम चिप का निर्माण मोहाली के इसी प्लांट में हुआ है। हालांकि इसका डिजाइन विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र ने तैयार किया है।
अब समझिए भारत जो विक्रम चिप 2025 में बना रहा है, अगर एससीएल ठीक ढंग से कार्यरत रहती तो शायद यह सपना और भी जल्दी पूरा हो सकता था। विक्रम चिप को -55 से 125 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान झेलने के उद्देश्य से बनाया गया है। यह चिप अंतरिक्ष मिशनों में इसरो के काम आएगी।
सेमीकंडक्टर निर्माण में ताइवान सबसे आगे
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के विकास के साथ दुनियाभर में एडवांस्ड सेमीकंडक्टर्स की मांग बढ़ी है। दुनियाभर की लगभग 60 फीसदी सेमीकंडक्टर और 90 फीसदी से ज्यादा एडवांस्ड सेमीकंडक्टर ताइवान में बनते हैं। इसके अलावा दक्षिण कोरिया, जापान, चीन और अमेरिका भी इस रेस में आगे हैं। एक अनुमान के मुताबिक साल 2030 तक सेमीकंडक्टर का वैश्विक बाजार 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।
भारत ने कब शुरू किया सेमीकंडक्टर मिशन
भारत सरकार ने 2021 में इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) की शुरुआत की थी, ताकि देश में सेमीकंडक्टर के निर्माण को गति दी जा सके। पीएम मोदी ने 2 सितंबर को नई दिल्ली में सेमीकॉन इंडिया का उद्घाटन किया। इसमें 33 देशों की लगभग 350 कंपनियों ने हिस्सा लिया। 28 अगस्त को गुजरात के साणंद में देश की पहली एंड-टू-एंड आउटसोर्स्ड सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट (OSAT) पायलट लाइन सुविधा की शुरूआत की गई। इस मिशन का लक्ष्य देश में सेमीकंडक्टर निर्माण, डिस्प्ले निर्माण और चिप डिजाइन में निवेश के लिए वित्तीय सहायता देना है।
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कौन सी चिप बनाने पर भारत का फोकस?
अधिकांश चिप का निर्माण सिलिकॉन से होता है। मगर भारत का फोकस सिलिकॉन की जगह नई सिलिकॉन कार्बाइड पर बेस्ड सेमीकंडक्टर को बनाने पर है। यह चिप सिलिकॉन की तुलना में अधिक मजबूत और स्थिर होती है। यह लगभग 2400 डिग्री सेल्सियस का तापमान भी झेल सकती है। ऐसी खास चिप अंतरिक्ष रॉकेट, मिसाइल और रडार जैसी तकनीक में बेहद उपयोगी साबित होगी। मौजूदा समय में देश के 6 राज्यों में 10 स्वीकृत सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट हैं। इनमें से ओडिशा में तैयार हो रहा प्लांट खास है। यह देश का पहला वाणिज्यिक सिलिकॉन कार्बाइड फैब सुविधा है। तीन महीने पहले ही नोएडा और बेंगलुरु में दो अत्याधुनिक सेमीकंडक्टर डिजाइन फैसिलिटी का उद्घाटन किया गया। यहां उन्नत 3-नैनोमीटर चिप के डिजाइन तैयार किए जाएंगे।
कंपनी | स्थान | निवेश | आउटपुट क्षमता |
मैक्रोन टेक्नोलॉजी | साणंद (गुजरात) | 22,516 करोड़ | एटीएमपी सुविधा |
टाटा इलेक्ट्रोनिक्स एंड PSMC | धुलेरा (गुजरात) | 91,000 करोड़ | 50,000 वेफर्स प्रति माह |
सीजी पावर एंड इंडस्ट्रियल प्रा. लि एंड रेनेसास एंड स्टार | साणंद (गुजरात) | 7,600 करोड़ | 15 मिलियन चिप्स प्रतिदिन |
टाटा सेमीकंडक्टर अंसेबली एंड टेस्ट प्रा. वि | मोरीगांव (असम) | 27,000 करोड़ | 48 मिलियन चिप्स प्रतिदिन |
केन्स सेमीकॉन प्राइवेट लिमिटेड | साणंद (गुजरात) | 3,307 करोड़ | 6.33 मिलियन चिप्स प्रतिदिन |
एचसीएल-फॉक्सकॉन ज्वाइंट वेंचर | जेवर (यूपी) | 3,700 करोड़ | 20,000 वेफर्स प्रतिमाह |
सिकसेम प्राइवेट लिमिटेड | भुवनेश्वर (ओडिशा) | 1,943 करोड़ | ग्लास पैनल: 70 |
सीडीआईएल (कॉन्टिनेंटल डिवाइस) | मोहाली (पंजाब) | 117 करोड़ | 158 मिलियन यूनिट प्रतिवर्ष |
एएसआईपी | आंध्र प्रदेश | 468 करोड़ | 96 मिलियन यूनिट प्रतिवर्ष |
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