सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और लॉ स्टूडेंट शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। 22 साल की शर्मिष्ठा को 30 मई 2025 को कोलकाता पुलिस ने हरियाणा के गुरुग्राम से गिरफ्तार किया था। उन पर एक अब-हटाए गए इंस्टाग्राम वीडियो के जरिए धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप है। शर्मिष्ठा के वकील ने दावा किया है कि जेल में उनके मूल अधिकारों का हनन हो रहा है और उनकी सेहत बिगड़ रही है।
शर्मिष्ठा इस समय कोलकाता की अलीपुर महिला सुधार गृह में बंद हैं। उनके वकील मोहम्मद समीमुद्दीन ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, ‘हम उन्हें 13 जून से पहले जेल से बाहर निकालने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। आज हम इस मामले पर चर्चा करेंगे और एक-दो दिन में फैसला लेंगे कि आगे क्या करना है। अलीपुर महिला सुधार गृह में उनके आसपास साफ-सफाई की स्थिति ठीक नहीं है, जिसके कारण वह बीमार हो गई हैं। उन्हें किडनी स्टोन की समस्या है। उन्हें अखबार और मैगजीन तक नहीं दी जा रही हैं। आज हमने कोर्ट में एक याचिका दायर की है ताकि उन्हें उनके मूल अधिकार मिल सकें। शर्मिष्ठा निर्दोष हैं। हम उन्हें जमानत पर छुड़ाने की कोशिश कर रहे हैं।’
14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा
कोलकाता पुलिस ने शर्मिष्ठा को गिरफ्तार करने से पहले कई बार कानूनी नोटिस देने की कोशिश की थी, लेकिन पुलिस का दावा है कि वह और उनका परिवार फरार हो गया था। 1 जून को कोलकाता की एक अदालत ने उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया, जो 13 जून तक है। शर्मिष्ठा की जमानत याचिका दायर हो चुकी है। उनके वकील का कहना है कि उनका फोन और लैपटॉप जब्त हो चुका है, ऐसे में हिरासत की जरूरत नहीं है।
शर्मिष्ठा ने 15 मई को विवादित वीडियो हटा दिया था और सार्वजनिक रूप से माफी भी मांग ली थी। इसके बावजूद उनकी गिरफ्तारी ने कानूनी और राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। कोलकाता पुलिस ने अपनी सफाई में कहा, ‘गिरफ्तारी पूरी तरह कानूनी थी और कोर्ट के वारंट के आधार पर हुई। सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया।’ पुलिस ने X पर पोस्ट कर कहा कि सोशल मीडिया पर ‘गैरकानूनी गिरफ्तारी’ के दावे ‘गलत और भ्रामक’ हैं।
पुलिस ने दी सफाई
पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया कि शर्मिष्ठा को राष्ट्रवादी भावनाओं के लिए नहीं, बल्कि भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत सांप्रदायिक नफरत फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। उनकी पोस्ट में कथित तौर पर ऑपरेशन सिंदूर को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां थीं। पुलिस ने कहा, ‘नफरत भरी भाषा और अपशब्दों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता समझने की भूल नहीं करनी चाहिए।’
हालांकि, कानूनी समुदाय और कई हस्तियों ने उनकी रिहाई की मांग की है। दिल्ली बार काउंसिल ने उनकी गिरफ्तारी को ‘अत्यधिक और राजनीति से प्रेरित’ बताया। काउंसिल के चेयरमैन सूर्य प्रकाश खत्री ने कहा, ‘वीडियो हटाने और माफी मांगने के बावजूद उनकी गिरफ्तारी गलत है। मैं उनकी तुरंत रिहाई की मांग करता हूं।’ बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन कुमार मिश्रा ने भी इसी तरह की चिंता जताई।
पवन कल्याण ने भी की आलोचना
आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने भी पश्चिम बंगाल पुलिस की आलोचना की। उन्होंने X पर लिखा, ‘ऑपरेशन सिंदूर के दौरान शर्मिष्ठा ने कुछ बातें कहीं, जो कुछ लोगों को चुभ गईं। उन्होंने अपनी गलती मानी, वीडियो हटा दिया और माफी मांगी। लेकिन टीएमसी नेताओं ने जब सनातन धर्म का अपमान किया, तब कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई? सेक्युलरिज्म दोनों तरफ से होना चाहिए।’ बीजेपी सांसद कंगना रनौत ने भी गिरफ्तारी को सख्त बताया।
उन्होंने कहा, ‘उनकी उम्र बहुत कम है। उसका पूरा करियर और जिंदगी आगे है।’शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी और जेल की स्थिति को लेकर बहस जारी है। उनकी रिहाई और निष्पक्ष सुनवाई की मांग तेज हो रही है।