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सितंबर में भारी बारिश का अलर्ट, यहां बाढ़ और भूस्खलन की चेतावनी

मौसम विभाग ने सितंबर में उत्तराखंड में बाढ़ और अचानक बाढ़ की चेतावनी जारी की है। इसके अलावा देश के अलग-अलग हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश का अनुमान है।

IMD Weather Alert.

सितंबर में भारी बारिश का अलर्ट। ( Photo Credit: PTI)

उत्तर भारत में बाढ़ और भूस्खलन के बीच भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने सितंबर महीने में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना जताई है। अपनी चेतावनी में आईएमडी ने कहा कि सितंबर महीने में भारी बारिश के कारण उत्तराखंड में फ्लैश फ्लड और भूस्खलन की आशंका है। इसके अलावा भारी बारिश से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, उससे जुड़े दक्षिण हरियाणा और उत्तर राजस्थान में जनजीवन प्रभावित हो सकता है।

 

मौसम विभाग के मुताबिक सितंबर में बारिश 167.9 मिमी के दीर्घकालिक औसत से 109 प्रतिशत से ज्यादा हो सकती है। देश के ज्यादातर हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश होगी। मगर पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत, दक्षिण और उत्तर पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य से कम बारिश होने का अनुमान है। आईएमडी के मुताबिक 1 जून से 31 जुलाई तक देश में 743.1 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई। सिर्फ जून महीने में सामान्य से करीब 9 फीसदी अधिक बारिश हुई। अगस्त महीने में 268.1 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई।

 

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दक्षिण भारत में कैसा रही बारिश?

अगस्त में उत्तर-पश्चिम भारत में 265 मिमी बारिश हुई। यह 2001 के बाद अगस्त में हुई सबसे अधिक बरसात का आंकड़ा है। 1 जून से 31 अगस्त तक  उत्तर-पश्चिम भारत में 614.2 मिमी बारिश हुई है। यह आंकड़ा, सामान्य 484.9 मिमी बारिश से करीब 27 प्रतिशत अधिक है। दक्षिण भारत में अगस्त महीने में सामान्य से 31 फीसद अधिक बरसात रिकॉर्ड की गई। दक्षिण भारत में 1 जून से 31 अगस्त तक 556.2 मिमी बारिश हुई। अगस्त में 250.6 मिमी बरसात रिकॉर्ड की गई।

उत्तराखंड में भारी बारिश की चेतावनी

आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने चेतावनी दी कि सितंबर में भारी बारिश से उत्तराखंड में भूस्खलन और अचानक बाढ़ आ सकती है। इसके अलावा दक्षिण हरियाणा, दिल्ली और उत्तरी राजस्थान में सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त हो सकता है। उन्होंने आगे कहा कि उत्तराखंड से कई नदियां निकलती हैं। इस वजह से अगर वहां भारी बारिश हुई तो यह नदियां उफान पर होंगी। इसका असर निचले इलाकों पर बसे शहरों और कस्बों पर दिखेगा। छत्तीसगढ़ में महानदी के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश की संभावना है।

 

मृत्युंजय महापात्र का कहना है कि 28 जुलाई से 14 अगस्त के बीच सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ के कारण पश्चिमी हिमालय और आसपास के मैदानी इलाकों में भारी से बहुत भारी बारिश हुई। इसी वजह से 5 अगस्त को उत्तरकाशी में अचानक बाढ़ और भूस्खलन के अलावा यूपी और बिहार की नदियों में बाढ़ देखने को मिली। 

 

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14 अगस्त के बाद चार निम्न दाब प्रणालियां 15 दिनों तक सक्रिय रहीं। लगातार सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ और तेज मानसूनी हवाओं के कारण 21 से 27 अगस्त के बीच भारी बारिश हुई। पूर्वी राजस्थान में 22 से 24 अगस्त तक, पंजाब और हरियाणा में 23 से 26 अगस्त तक और जम्मू-कश्मीर में 23 से 27 अगस्त तक भारी बारिश के कारण बाढ़ और भूस्खलन देखने को मिला। 

जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड में क्यों आई तबाही?

आईएमडी महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र का कहना है कि बंगाल की खाड़ी से आने वाली निम्न-दाब प्रणालियां ओडिशा से होकर अपने सामान्य मार्ग पर चलती हैं। मगर इस बार ये प्रणालियां पश्चिम बंगाल के गंगा के मैदान, झारखंड और यूपी व उत्तरी आंध्र प्रदेश, दक्षिणी ओडिशा, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना से होकर गुज़रीं। अगस्त में उत्तर-पश्चिम भारत में ऐसी तीन सक्रिय अंतर्क्रियाएं के कारण उत्तराखंड के धराली, जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़, कटरा और हिमाचल प्रदेश में बाढ़ और भूस्खलन देखने को मिला।

 

 

 

 

 

 

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