अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) पाकिस्तान को नया लोन देने पर विचार कर रहा है। मगर भारत ने इसका कड़ा विरोध किया और कहा कि आईएमएफ से मिलने वाले धन का पाकिस्तान दुरुपयोग सीमा पार आतंकवाद को वित्तपोषित करने में कर सकता है। भारत ने खुद को आईएमएफ बैठक में होने वाले मतदान से भी दूर रखा। शुक्रवार को आईएमएफ ने विस्तारित निधि सुविधा (EFF) कर्ज कार्यक्रम की समीक्षा की। 1.3 बिलियन डॉलर के लोन कार्यक्रम का मूल्यांकन किया।
भारत ने कहा कि 2021 की संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट में सेना से जुड़े व्यवसायों को पाकिस्तान में सबसे बड़ा समूह बताया गया है। स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है बल्कि पाकिस्तान की सेना अब पाकिस्तान की विशेष निवेश सुविधा परिषद में अग्रणी भूमिका निभाती है।
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भारत ने आगे कहा कि सीमा पार आतंकवाद को लगातार प्रोत्साहित करना वैश्विक समुदाय के लिए एक खतरनाक संदेश है। यह फंडिंग एजेंसियां और कर दाताओं की प्रतिष्ठा को जोखिम में डालता है। इसके अलावा वैश्विक मूल्यों का मजाक भी है। सरकार ने जानकारी दी है कि आईएमएफ ने भारत की चिंताओं और मतदान से दूर रहने पर ध्यान दिया है।
आईएमएफ कार्यकारी बोर्ड की बैठक में भारत ने कहा कि पाकिस्तान लंबे समय से आईएमएफ का कर्जदार रहा है। उसका आईएमएफ की कार्यक्रम शर्तों के पालन का रिकॉर्ड बहुत खराब रहा है। भारत ने कहा कि लगातार वित्तीय सहायता के कारण पाकिस्तान पर बहुत अधिक कर्ज हो चुका है। विडंबना यह है कि आईएमएफ का भी बहुत बड़ा कर्जदार बन गया है।
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भारत ने कहा कि पाकिस्तान आईएमएफ से दीर्घकालिक ऋण लेने वाला देश है। 1989 से अब तक पाकिस्तान को पिछले 35 वर्षों में से 28 साल आईएमएफ से लोन मिल चुका है। पिछले 4 वर्षों में ही आईएमएफ के 4 कार्यक्रम हुए हैं। अगर ये कार्यक्रम ठोस मैक्रो-इकोनॉमिक नीति वातावरण बनाने में सफल होते तो पाकिस्तान को एक और बेलआउट की आवश्यकता नहीं होती। भारत के अलावा कई अन्य सदस्य देशों ने भी इस पर चिंता व्यक्त की।