भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अब दिवंगत हो चुके हैं। उनका शुक्रवार (26 दिसंबर 2024) को 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्हें देर शाम को दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था। मनमोहन सिंह भारत के 13वें प्रधानमंत्री थे। वह 22 मई 2004 से 26 मई 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। उनके निधन पर देश और दुनिया के तमाम बड़े नेताओं और उद्योगपतियों ने शोक व्यक्त किया है।
मनमोहन सिंह का जन्म भारत-पाकिस्तान विभाजन से पहले 26 सितंबर 1932 में आज के पाकिस्तान के झेलम जिले के एक गांव 'गाह' में हुआ था। अब यह गांव पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से 100 किलोमीटर दूर चकवाल जिले में आता है।
आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ा
भारत के बंटवारे के बाद मनमोहन सिंह का परिवार पाकिस्तान से भारत आ गया। इस दौरान पाकिस्तान में अपना घर-बार छोड़ने के बाद बालक मनमोहन के परिवार को आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ा। हालांकि, आर्थिक तंगी होने के बावजूद मनमोहन सिंह के परिवार ने उनकी पढ़ाई में कोई अड़चन नहीं आने दी।
बंटवारे के बाद अमृतसर आ गए
पाकिस्तानी अखबार 'ट्रिब्यून पाकिस्तान' में छपे एक लेख के मुताबिक, मनमोहन सिंह एक शरीफ और होनहार बच्चे थे। डॉक्टर सिंह पाकिस्तान में अपने घर के पास के स्कूल में चौथी क्लास तक पढे। इसके बाद मनमोहन अपने घर वालों के साथ अपने गांव से 25 किलोमीटर दूर चकवाल चले गए और 1947 में बंटवारा होने के बाद भारत में आकर अमृतसर चले आए।
मनमोहन सिंह की प्रारंभिक शिक्षा
मनमोहन सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पाकिस्तान में करने के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी से प्राप्त की थी। यहां से उन्होंने साल 1952 में अर्थशास्त्र में स्नातक और 1954 में मास्टर डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री और फिर ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के नफील्ड कॉलेज से 1962 में डी. फिल की डिग्री भी प्राप्त की।
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1 अप्रैल 2010 को असाधारण तौर पर भावनात्मक राष्ट्रीय संबोधन में मनमोहन सिंह ने कहा था कि कि उन्होंने मिट्टी के तेल के चिराग की रोशनी में पढ़ाई की है।
दिग्गजों अर्थशास्त्रियों में नाम शुमार
मनमोहन सिंह का नाम अर्थशास्त्र के दिग्गजों में गिना जाता था। 1991 में जब भारत की अर्थव्यवस्था गंभीर संकट से गुजर रही थी, तो तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने उन्हें वित्त मंत्री बनाया। यह वह समय था जब भारतीय अर्थव्यवस्था को एक नया दिशा देने के लिए बड़े बदलावों की जरूरत थी। ऐसे समय में मनमोहन सिंह ने आर्थिक उदारीकरण, निजीकरण, और वैश्वीकरण की नीति को लागू किया। उनके योगदान की वजह से उन्हें मौजूदा भारतीय अर्थव्यवस्था का आर्किटेक्ट माना जाता है।
कई बड़े पदों पर रहे डॉक्टर सिंह
साल 1972 में मनमोहन सिंह वित्त मंत्रालय में चीफ इकॉनॉमिक अडवाइजर बनाए गए थे। इसके साथ ही वह लगभग देश के सभी बड़े पदों पर रहे। डॉक्टर सिंह वित्त मंत्रालय में सचिव, योजना आयोग (अब नीति आयोग) के उपाध्यक्ष, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री के सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष रह चुके थे। मनमोहन सिंह साल 1991 से लगातार राज्यसभा के सदस्य रहे।