logo

ट्रेंडिंग:

तुलबुल प्रोजेक्ट फिर से शुरू करके पाकिस्तान का पानी रोकेगा भारत?

भारत सरकार सिंधु जल संधि के तहत पश्चिमी नदियों से भारत के पानी के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल के लिए रणनीति बना ली है। इसके तहत तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट को फिर से शुरू करने पर विचार किया जा रहा है।

Tulbul project

तुलबुल प्रोजेक्ट। Photo Credit- PTI

भारत सरकार ने पाकिस्तान को पानी को बूंद-बूंद पानी को तरसाने के लिए प्लान बना लिया है। सरकार इसके लिए काम भी कर रही है। केंद्र सरकार सिंधु जल संधि के तहत पश्चिमी नदियों से भारत के पानी के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल के लिए एक बड़ी रणनीति बना ली है। इसके तहत लंबे समय से विलंबित तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट को फिर से शुरू करने पर विचार कर रही है।

 

तुलबुल प्रोजेक्ट के लिए एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार की जा रही है और इसके पूरा होने में लगभग एक साल का समय लगने की उम्मीद है। एक वरिष्ठ सरकार ने पीटीआई को से कहा, 'इसके बाद ही हम कोई फैसला करेंगे।' उन्होंने पुष्टि करते हुए कहा कि प्रोजेक्ट को फिर से पटरी पर लाने के लिए चर्चा आखिरी चरण में है।

पहलगाम आतंकी हमले के बाद उठाया कदम

दरअसल, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद सिंधु जल संधि को भारत सरकार ने स्थगित कर दिया था। इसी कड़ी में सरकार ने तुलबुल प्रोजेक्ट को शुरू करने का कदम उठाया है। इस आतंकी हमले के बाद, भारत ने पाकिस्तान के साथ अपने जल-बंटवारे की व्यवस्था को निलंबित कर दिया था।

 

सिंधु जल संधि के तहत भारत के पास सिंधु, चिनाब और झेलम पर सीमित अधिकार हैं, जिसकी वजह से भारत इन नदियों का पूरी पानी इस्तेमाल नहीं कर पा रहा था। ये नदियां भारत से होते हुए पाकिस्तान से होकर बहती हैं। हालांकि, सरकारी अधिकारियों ने कहा है कि इन नदियों से भारत के हिस्से के पानी के इस्तेमाल को बढ़ाने के लिए कई प्रस्तावों पर काम चल रहा है। 

क्या है तकनीकी संभावना?

एक अधिकारी ने कहा, 'पश्चिमी नदियों में से एक का पानी पंजाब और हरियाणा की ओर ले जाने की संभावना है, जो तकनीकी रूप से संभव है।' हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि सिंधु नदी के पानी के लिए ऐसा करने पर विचार नहीं किया जा रहा है। इस बीच, किशनगंगा जलविद्युत परियोजना, जिस पर कभी पाकिस्तान ने आपत्ति जताई थी, पहले ही पूरी हो चुकी है। इसके अलावा भारत सरकार रतले परियोजना के निर्माण में भी तेजी से काम कर रही है।

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सिंधु नदी के पानी का भारत के लिए इस्तेमाल करने की बात कह चुके हैं। सरकार चार राज्यों- राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली की जरूरतों के लिए सिंधु नदी के पानी का इस्तेमाल करने की योजना पर काम कर रही है।

 

यह भी पढ़ें: भारत में नदी जल विवाद क्यों होते हैं और क्या कहता है कानून?

फिर क्यों शुरू हो रहा तुलबुल प्रोजेक्ट?

इस समय भारत के पास सीमित वाटर को स्टोर करने की कैपेसटी है, खासकर मानसून के मौसम में। सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों का पानी ज्यादा देने से भारतीय राज्यों पर असर होता है। अधिकारी ने कहा, 'बरसात के मौसम में, हमारे पास पारी को स्टोर करने की कम क्षमता होती है। गर्मी के मौसम के दौरान, हम चिनाब नदी पर एक निश्चित मात्रा में पानी रोक सकते हैं। अगर हमें और ज्यादा पानी मिलता है, तो यह नीचे की ओर बहकर पाकिस्तान चला जाता है।'

परियोजना पर पीएम मोदी का बयान

इस बीच, पीएम मोदी ने संधि की आलोचना करते हुए कहा कि इसने भारत को जम्मू-कश्मीर में नदियों पर बने बांधों की सफाई या गाद निकालने से रोकने के लिए प्रतिबंध लगाए हैं। उन्होंने कहा, 'मैं युवा पीढ़ी को बताना चाहूंगा कि इस देश को कैसे बर्बाद किया गया। सिंधु नदी संधि पर करीब से नजर डालने पर आप चौंक जाएंगे। यह तय किया गया था कि जम्मू-कश्मीर की नदियों पर बने बांधों की सफाई नहीं की जाएगी। गाद निकालने का काम नहीं किया जाएगा। तलछट साफ करने के लिए निचले गेट बंद रहेंगे। 60 साल तक, ये गेट कभी नहीं खोले गए। नतीजतन, हांध अपनी भंडारण क्षमता का केवल 2-3 फीसदी ही प्रभावी रूप से इस्तेमाल कर पाए।'

प्रोजेक्ट पर अमित शाह ने क्या कहा?

तुलबुल प्रोजेस्ट को दोबारा होने की खबरें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा सिंधु जल संधि की बहाली की किसी भी संभावना को सिरे से खारिज करने के बाद आई हैं। अमित शाह ने कहा था, 'सिंधु जल संधि को कभी बहाल नहीं किया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय संधियों को एकतरफा तरीके से रद्द नहीं किया जा सकता है लेकिन हमें इसे स्थगित करने का अधिकार था, जो हमने किया है। संधि की प्रस्तावना में बताया गया है कि यह दोनों देशों की शांति और प्रगति के लिए है, लेकिन एक बार इसका उल्लंघन हो जाने के बाद, बचाने के लिए कुछ भी नहीं बचा है।'

 

यह भी पढ़ें: क्या दोपहिया वाहनों पर लगेगा टोल टैक्स? नितिन गडकरी ने बताई सच्चाई

 

इस प्रोजेक्ट के तहत पश्चिमी नदियों में से एक का पानी पंजाब और हरियाणा की ओर मोड़ने की संभावना है जो तकनीकी रूप से संभव है। वहीं, सिंधु नदी का पानी मोड़ने पर विचार किया जा रहा है।

Related Topic:#Indus Water Treaty

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap