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अग्नि 5 मिसाइल का सफल परीक्षण, चीन-PAK तक करेगी मार; जानें खासियत

बुधवार को ओडिशा के चांदीपुर में इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफल परीक्षण किया गया। इस मिसाइल को भारत में ही DRDO ने बनाया है।

Agni 5

अग्नि 5 का परीक्षण, Photo Credit: PTI

भारत ने अपने डिफेंस सिस्टम को और ज्यादा मजबूत करने में एक और बड़ी सफलता हासिल की है। कल यानी 20 अगस्त को भारत ने अपनी पहली इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफल परीक्षण कर लिया है। ओडिशा के चांदीपुर में इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज में बुधवार को इसकी टेस्टिंग हुई। इस मिसाइल की खास बात यह है कि इसे भारत में ही तैयार किया गया है। अग्नि-5 की रेंज 5000 किलोमीटर तक है यानी यह मिसाइल पाकिस्तान, चीन, तुर्किये जैसे कई देशों तक मार कर सकती है। 

 

इस मिसाइल के सफल परीक्षण के बाद रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल सभी ऑपरेशनल और टेक्निकल पैरामीटर पर खरी उतरी। इस ट्रायल के लिए बंगाल की खाड़ी में नोटम भी जारी किया गया था। यह परीक्षण ऐसे समय में हुआ है जब भारत और पाकिस्तान के बीच कुछ महीने पहले ही सैन्य संघर्ष हुआ था। हालांकि, अधिकारियों ने इस परीक्षण को उस घटना से नहीं जोड़ा लेकिन पाकिस्तान की इस परीक्षण पर नजर जरूर होगी। 

 

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भारत में बनी है मिसाइल

इस मिसाइल की पूरी तकनीक, प्रोपल्शन सिस्टम, रॉकेट, एडवांस्ड नेविगेशन पूरी तरह से स्वदेशी है। इसे भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने बनाया है। जून में यह जानकारी भी सामने आई थी कि DRDO इसे अपग्रेड करने की योजना बना रहा है, जिससे इसकी मारक क्षमता 7,500 किलोमीटर तक बढ़ जाएगी। बता दें कि यह मिसाइल भारत की इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) अग्नि-5 का नया रूप है। पिछले साल भारत ने मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल रीएंट्री व्हीकल (MIRV) क्षमता वाली अग्नि-5 मिसाइल का पहला परीक्षण किया था। यह तकनीक इस हथियार प्रणाली को कई परमाणु हथियारों से निपटने में सक्षम बनाती है।  

क्यों खास है यह परीक्षण?

यह मिसाइल 7500 किलो के बंकर बस्टर वॉरहेड ले जाने और जमीन में 100 मीटर की गहराई तक जाकर दुश्मनों के न्यूक्लियर सिस्टम, रडार सिस्टम, कंट्रोल सेंटर, हथियार स्टोरेज को तबाह कर सकेगी। मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल रीएंट्री व्हीकल तकनीक से लैस है। यह क्षमता इसे एक खतरनाक हथियार बनाती है। अगर भविष्य में किसी देश के साथ सैन्य संघर्ष होता है तो दुश्मन के लिए यह मिसाइल खतरनाक साबित हो सकती है। 


इस परीक्षण के बाद भारत अब उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जिसके पास लंबी दूरी की इंटर-कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है। अब एक नहीं कई सारे वॉरहेड को दुश्मन देश पर दागा जा सकता है। अब तक अमेरिका, चीन, रूस, इंग्लैंड और फ्रांस के पास ही यह क्षमता थी लेकिन अब भारत इस लीग में शामिल हो गया है।  यह तकनीक स्वदेशी एवियोनिक्स सिस्टम, हाई एक्यूरिसी सेंसर पैकेज से लैस है जो यह सुनिश्चित करेगा कि जब यह मिसाइल एटमॉसफेयर में फिर से एंट्री करेगी तो सटीक टारगेट तक पहुंचे। 

 

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भारत के लिए अहम परीक्षण

यह मिसाइल परीक्षण भारत के लिए एक अहम परीक्षण है और दुश्मन को एक संदेश है कि भारत की क्षमता उससे कहीं ज्यादा है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद से भारत दुश्मनों के बंकर तोड़ने वाली मिसाइलों को तेजी से बढ़ा रहा है। भारत-पाकिस्तान तनाव, ईरान-इजराइल युद्ध को देखते हुए भारत अपने डिफेंस सिस्टम और मजबूत कर रहा है। पूरी दुनिया में भारत एक संदेश देना चाहता है कि हमारा डिफेंस सिस्टम बहुत मजबूत है।

 

पाकिस्तान और चीन के साथ अगर भविष्य में संघर्ष हुआ तो यह मिसाइल अहम रोल निभा सकती है। यह मिसाइल सीमा के पास दुश्मन के कमांड सेंटर और हथियार गोदामों को नष्ट करेगी। यह उन ठिकानों  की भी नष्ट करने में अहम होगी जो पहाड़ी क्षेत्रों, ऊंचाई वाले इलाकों में दुश्मनों ने बनाए हैं। 

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