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PAK को पानी कब देगा भारत? सिंधु जल संधि पर अमित शाह ने बता दिया प्लान

अमित शाह ने स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि पाकिस्तान को अब सिंधु जल संधि के तहत एक बूंद पानी भी नहीं मिलेगा। ऐसे में सवाल उठता है कि भारत अब उस पानी का क्या करेगा?

Amit Shah on Indus water treaty

अमित शाह, Photo Credit: PTI

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने साफ कर दिया है कि भारत अब पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को फिर से शुरू करने के बारे में सोच भी नहीं रहा है। उन्होंने कहा कि अब भारत उस पानी को खुद इस्तेमाल करेगा, जो अभी तक पाकिस्तान को जाता रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में जब उनसे इस संधि की मौजूदा स्थिति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने साफ शब्दों में कहा, 'नहीं, यह संधि अब कभी बहाल नहीं होगी।'

 

शाह ने बताया कि सरकार अब नहर बनाकर उस पानी को राजस्थान की तरफ मोड़ने की योजना बना रही है। उनके मुताबिक, 'अब पाकिस्तान को वह पानी नहीं मिलेगा, जो उसे बिना वजह मिल रहा था।' बता दें कि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर हुए थे, जो सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी के बंटवारे को लेकर बनी थी लेकिन 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने इस संधि को सस्पेंड कर दिया। उस हमले में 26 नागरिकों की जान गई थी।

 

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यह संधि अब भी निलंबित

सरकार ने इस फैसले को पाकिस्तान द्वारा लगातार सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देने से जोड़ा है। हालांकि, पाकिस्तान ने खुद को इस हमले से अलग बताया है लेकिन दोनों देशों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण माहौल और युद्धविराम समझौते के बावजूद, यह संधि अब भी निलंबित है।

 

पाकिस्तान ने भारत से सिंधु जल संधि को निलंबित करने के फैसले पर कई बार दोबारा सोचने की अपील की है। अप्रैल से अब तक इस्लामाबाद ने भारत से लगातार अनुरोध किया है कि वह अपने फैसले पर दोबारा सोचे। इस मामले से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, पाकिस्तान के जल संसाधन सचिव सैयद अली मुर्तजा ने भारत के जल शक्ति मंत्रालय को कम से कम चार पत्र भेजे हैं। इनमें से तीन पत्र पहलगाम हमले और उसके बाद हुए सैन्य अभियान 'ऑपेशन सिंदूर' के बाद लिखे गए थे। इन सभी में भारत से निलंबन के फैसले की समीक्षा करने की मांग की गई थी।

 

संधि के नियमों के खिलाफ

पाकिस्तान का कहना है कि भारत का यह कदम संधि के नियमों के खिलाफ है और संधि के अनुसार कोई भी पक्ष एकतरफा फैसला नहीं ले सकता। दूसरी तरफ, भारत अपनी बात पर कायम है। भारत का साफ कहना है कि 'बातचीत और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते'। भारत ने तब तक किसी भी बातचीत में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया है जब तक पाकिस्तान अपने यहां पल रहे आतंकी संगठनों को समर्थन और फंडिंग देना बंद नहीं करता।

 

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आतंकवाद को समर्थन दे रहा पाकिस्तान

भारत ने 24 अप्रैल को पाकिस्तान को इस फैसले की आधिकारिक जानकारी भी दे दी थी। भारत की जल संसाधन सचिव देबाश्री मुखर्जी ने अपने पत्र में लिखा, 'किसी भी संधि का पालन अच्छे विश्वास के साथ किया जाना चाहिए लेकिन इसके उलट पाकिस्तान लगातार सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है और जम्मू-कश्मीर को निशाना बना रहा है।'

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