7 सितंबर 2025 रविवार को दुनिया का सबसे लंबा और अंतिम चंद्रग्रहण देखने को मिला। पूरे भारत में इसका नजारा देखा गया। इस बार के लगने वाले चंद्रग्रहण में सबसे खास चांद को ब्लड मून के रूप में देखना रहा। यह पूर्ण चंद्रग्रहण के तौर पर भी जाना जाता है। चंद्रग्रहण रात 9:57 बजे शुरू हुआ जो कि रात 12:23 बजे तक चला।
 
रात 11:01 बजे तक चांद पूरी तरह से अंधेरे में डूब गया था। रविवार को पूर्ण चंद्रग्रहण रात 11:01 बजे से 12:23 बजे तक चला। लाल रंग का चांद लगभग 82 मिनट तक साफ दिखाई दे रहा था। जैसे-जैसे ब्लड मून का असर कम हुआ उसके बाद चंद्रमा का रंग चांदनी रंग में बदल गया। वैज्ञानिकों के अनुसार यह खगोल विज्ञान के लिहाज से बेहद खास घटना है।
 
इस बार दिखने वाले ब्लड मून के लिए भारत को बहुत लंबा इंतजार करना पड़ा था। भारत में ऐसा आखिरी बार 2018 में दिखाई दिया था। यह 2025 का दूसरा ब्लड मून था और 2022 के बाद का सबसे लंबा ग्रहण भी रहा। देश और दुनिया में इसके बाद फिर 31 दिसंबर 2028 को पूरा चंद्रग्रहण देखा जाएगा।
 
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ब्लड मून क्या होता है? 
जब पूर्ण चंद्रग्रहण होता है तो इस समय सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आ जाते हैं। इस समय पृथ्वी सूर्य की सीधी रोशनी को रोक लेती है और चंद्रमा तक केवल वही रोशनी पहुंचती है, जो वायुमंडल से होकर गुजरती है। नीली रोशनी आसानी से बिखर जाती है, जबकि लाल रोशनी चंद्रमा तक पहुंचता है। इसी वजह से ग्रहण के दौरान चंद्रमा लाल रंग का दिखता है और इसे ही ब्लड मून कहा जाता है। 
 
आइए देखते हैं कई जगहों पर देखे जाने वाले ब्लड मून का नजारा।
 
चंद्रग्रहण से पहले और बाद में 7 सितंबर 2025  रविवार को नई दिल्ली में अशोक स्तंभ के पीछे से ब्लड मून का नजारा देखा गया। इस खगोलीय घटना की कई तस्वीरें सामने आई। 
 

 
 

कोलकाता में चंद्रग्रहण से पहले ब्लड मून दिखाई दिया।

 
लखनऊ में रूमी दरवाजा के पीछे से ब्लड मून का अद्भुत रूप देखा गया। 
 

 
चेन्नई से भी चंद्रग्रहण के समय चांद की अलग रंग की तस्वीर देखी गई।

 
बिहार की राजधानी पटना से भी चांद अलग रंग में देखा गया। 
                                                                                                                                                                                        
