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सेना ने 'GPS चाचा' को किया ढेर, करवा चुका था 100 से ज्यादा घुसपैठ

भारतीय सेना ने आतंकी बागू खान को ढेर कर दिया है। आतंकी संगठनों में उसकी पहचान मानव जीपीसी के तौर पर होती थी।

Indian army.

भारतीय सेना। (Photo Credit: PTI)

सुरक्षा बलों ने जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा जिले में 28 अगस्त को दो आतंकियों को ढेर किया। यह आतंकी गुरेज सेक्टर से नियंत्रण रेखा पार करके घुसपैठ की कोशिश में थे। बताया जा रहा है कि आतंकी भारी हथियारों से लैस थे। नौशेरा नार के पास हुई मुठभेड़ में दो को ढेर कर दिया गया है। अभी आशंका जताई जा रही है कि पांच आतंकी और छिपे हैं। इलाके में एनकाउंटर जारी है। तलाशी अभियान के दौरान सेना को दो आतंकियों की लाशें मिली हैं। इनमें से एक आतंकी पिछले दो दशक से पीओके में सक्रिय रहा है।

 

भारतीय सेना ने 1995 से पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर में रहने वाले आतंकी बागू खान को मार गिराया है। आतंकी संगठनों में बागू खान को मानव जीपीस के तौर पर पहचाना जाता था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बागू खान 100 से ज्यादा घुसपैठ की कोशिश में सफल रहा है। आतंकी समूह घुसपैठ में उसकी मदद लेते थे। उसे पूरे इलाके के सुरक्षित और गुप्त रास्तों की जानकारी दी थी। उसकी सटीक जानकारी के दम पर कई बार आतंकी सीमा पार कर चुके थे। आतंकी बागू खान को एक और नाम समंदर चाचा के तौर भी जाना जाता है। वह हिजबुल कमांडर भी रह चुका है। इस दौरान भी उसने कई आतंकी संगठनों की घुसपैठ में मदद की।

 

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गुरेज से भारत में घुसे थे पहलगाम के आतंकी

अधिकारियों के मुताबिक पहलगाम हमले के आतंकी भी मई 2022 में गुरेज सेक्टर से घुसपैठ की थी। 21 अप्रैल को उन्होंने बैसरन से 2 किलोमीटर दूर हिल पार्क में एक 'ढोक' शरण ली। अगले दिन ही आतंकियों ने हमले को अंजाम दिया था।

पाकिस्तानी थे तीनों आतंकी

पहलगाम आतंकी हमले में सुरक्षा एजेंसियों ने आधिकारिक दस्तावेज और बायोमेट्रिक डेटा से यह साबित किया है कि तीनों आतंकी पाकिस्तानी थे। 28 जुलाई को श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र में लश्कर-ए-तैयबा के तीन कमांडरों को 'ऑपरेशन महादेव' में सेना ने मार गिराया था। 22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरन घास में आतंकियों ने धर्म पूछकर लोगों की जान ली थी। इसमें 25 भारतीय समेत कुल 26 लोगों की मौत हुई थी।

 

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अधिकारियों का कहना है कि 'ऑपरेशन महादेव' से जुटाए गए फोरेंसिक, दस्तावेजी और अन्य साक्ष्यों से स्पष्ट है कि तीनों आतंकी पाकिस्तानी नागरिक थे। उनका संबंध आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से था। हमले के बाद से तीनों आतंकी दाचीगाम-हरवान वन क्षेत्र में छिपे थे। तीनों आतंकियों की पहचान सुलेमान शाह उर्फ ​'फैजल जट्ट', अबू हमजा उर्फ अफगान, यासिर उर्फ जिब्रान के तौर पर हुई।

 

 

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