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ट्रेन से गायब हो रहे चादर, तौलिया और कंबल, हैरान कर देगा आंकड़ा

चादर, तौलिए, तकिया जैसे आइटम चोरी होने से भारतीय रेलवे को हर साल घाटा होता है। 2023-24 के बीच इंडियन रेलवे का कितना आइटम चोरी हुआ? यहां पढ़ें आंकड़ा

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भारतीय रेलवे, Photo Credit: AI Generated Pic

भारतीय रेलवे में चादर, तौलिया, तकिया, कंबल और यहां तक कि पानी के मग जैसी चीजें गायब होना आम समस्या बन चुकी है। यह न केवल रेलवे की संपत्ति को नुकसान पहुंचाता है बल्कि यह दूसरे यात्रियों के लिए असुविधा का कारण भी बनता है। इससे आर्थिक नुकसान तो होता ही है लेकि अन्य यात्रियों को भी असुविधा का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा संपत्ति की गुणवत्ता में भी गिरावट दर्ज की जाती है। 

 

सामान गायब हो जाने से भारतीय रेलवे को हर साल लाखों रुपये की चपत लगती है, जो इन वस्तुओं को बदलने में खर्च होते हैं। इसके अलावा चोरी की घटनाओं के कारण अगले यात्रियों के लिए चादर, कंबल या मग उपलब्ध नहीं हो पाते। वहीं, चोरी और नुकसान की भरपाई के लिए रेलवे को सस्ते और निम्न गुणवत्ता वाले प्रोडक्ट्स का उपयोग करना पड़ता है। 

वित्तीय वर्ष 2023-24 में रेलवे के कितने आइटम हुए चोरी? 

पूर्व रेलवे के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 में यात्रियों को कुल 2,69,79,002 बेडरोल वितरित किए गए, जिनमें से लगभग 3,50,000 आइटम चोरी हो गए। विशेष रूप से, 3,08,505 तौलियों की चोरी हुई, जिनकी अनुमानित कीमत लगभग 2,46,80,400 रुपये है। इसी तरह, बिलासपुर जोन में पिछले चार महीनों में लगभग 55,97,406 रुपये के तौलिया, चादर, तकिया, कंबल आदि चोरी हुए हैं। इसमें 12,886 फेस टॉवेल, 18,208 चादर, 19,767 पिलो कवर, 2,796 कंबल और 312 तकियों की चोरी शामिल है।

क्या कहता है आंकड़ा?

पिछले वित्तीय वर्ष (2023-24) में भारतीय रेलवे से चोरी होने वाले सामान के आंकड़े जो आपको हैरान कर देंगे...

 

तौलिए: 3,08,505 (मूल्य लगभग 2.46 रुपये करोड़)

चादरें: 18,208

पिलो कवर: 19,767

कंबल: 2,796

मग और अन्य वस्तुएं: हजारों की संख्या में चोरी हुईं।

2017-18 में इतना था आंकड़ा जो 2023-2024 की तुलना बहुत कम था

 

तौलिए: 1,95,000

चादरें: 81,736

पिलो कवर: 55,573

कंबल: 7,043

मग: हजारों की संख्या में चोरी हुईं।

भारतीय रेलवे के सामन चोरी करने से क्या-क्या होता नुकसान?

आर्थिक नुकसान

  • भारतीय रेलवे को हर साल करोड़ों रुपये इन वस्तुओं की खरीद और रिप्लेसमेंट पर खर्च करता है।

 

यात्रियों की असुविधा

  • अगली यात्रा में अन्य यात्रियों को यह वस्तुएं समय पर उपलब्ध नहीं हो पातीं।

 

रेलवे की छवि पर असर

  • यह समस्या रेलवे की सार्वजनिक सेवा छवि को भी प्रभावित करती है।

रेलवे ने इसको लेकर क्या उठाए कदम?

जुर्माने का प्रावधान

  • चोरी करने वाले यात्रियों पर जुर्माना और कानूनी कार्रवाई की जा रही है। रेलवे अधिनियम, 1989 के तहत सजा का प्रावधान है।
  • 500-1000 रुपये तक का जुर्माना लगाने के मामले सामने आए हैं।

 

सीसीटीवी और निगरानी

  • नई ट्रेनों और स्टेशनों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं।
  • फेस रिकग्निशन सिस्टम (FRS) का इस्तेमाल शुरू किया गया है।

 

डिस्पोजेबल सामान

  • कुछ ट्रेनों में डिस्पोजेबल तौलिए और चादरें दी जा रही हैं ताकि चोरी की घटनाएं कम हो सकें।

 

डिजिटल ट्रैकिंग

  • रेलवे अब इन्वेंट्री का डिजिटल रिकॉर्ड रखता है और सामान के वितरण की निगरानी करता है।

 

भारतीय रेलवे से चोरी करने का क्या हो सकता है कारण?

लापरवाह मानसिकता

  • कुछ यात्री रेलवे की संपत्ति को 'सार्वजनिक' मानकर अपनी व्यक्तिगत चीज समझ लेते हैं।

 

अपर्याप्त निगरानी

  • ट्रेनों और स्टेशनों पर ऐसी चोरी रोकने के लिए निगरानी तंत्र पर्याप्त नहीं है।

 

सस्ता सामान उपलब्ध होना

  • रेलवे अक्सर निम्न गुणवत्ता वाले सामान का उपयोग करता है, जो चोरी को आसान बनाता है।

क्या कहता है रेलवे प्रॉपर्टी एक्ट 1966?

भारतीय रेलवे इस समस्या से निपटने के लिए तकनीकी उपाय, जुर्माने और जागरूकता अभियानों का सहारा ले रही है। यात्रियों को भी जिम्मेदार नागरिक के रूप में रेलवे की संपत्ति की सुरक्षा करनी चाहिए। हालांकि, मामले अभी भी बढ़ते जा रहे है। दो दिन पहले प्रयागराज का एक वीडियो सोशल मीडिया पर बहुत तेजी से वायरल हो रहा था। यहां रेलवे कर्मचारियों ने एक यात्री के बैग से चादर और तौलिए रंगे हाथों पकड़े।

 

रेलवे प्रॉपर्टी एक्ट 1966 (Railway Property Act, 1966) के अनुसार, अगर आप ट्रेन के किसी भी सामान को चुराते या अपने साथ ले जाते हुए पकड़े जाते हैं तो पहली बार में 5 साल तक की जेल या जुर्माना या फिर दोनों हो सकता है। पहली बार यह अपराध करते हुए पकड़े जाने पर कम से कम 1 साल की सजा या 1 हजार रुपये तक का जुर्माना लग सकता है।

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