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पंजाबी-हरियाणवी ही नहीं, US में अवैध एंट्री करने में गुजराती भी आगे!

अमेरिका से तीन बैच में 332 भारतीयों को डिपोर्ट किया जा चुका है। ये वो भारतीय हैं जो अवैध तरीके से अमेरिका में घुसे थे। डिपोर्ट किए भारतीयों में सबसे ज्यादा पंजाब, हरियाणा और गुजरात से हैं।

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प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

इस महीने 332 भारतीयों को अमेरिका से डिपोर्ट किया जा चुका है। ये वो भारतीय हैं, जिन्होंने अवैध तरीके से अमेरिका में एंट्री की थी। इन्हें पकड़ लिया गया और वापस भारत भेज दिया गया। इन भारतीयों को अमेरिकी सेना के C-17 ग्लोबमास्टर में बैठाकर लाया गया था। दावा है कि इन्हें हथकड़ी और बेड़ियां बांधकर अमेरिका से लाया गया।


अब तक अमेरिका से जितने भारतीयों को डिपोर्ट किया गया है, उनमें सबसे ज्यादा 38% पंजाब के नागरिक हैं। उनके अलावा 33% हरियाणा और 22% गुजरात के लोग हैं। बाकी महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और दूसरे राज्यों से हैं।

किस बैच में कितने पंजाबी-गुजराती?

  • पहला बैचः 6 फरवरी को अवैध तरीके से अमेरिका में रह रहे भारतीयों को लेकर अमेरिकी विमान अमृतसर पहुंचा। इसमें 104 भारतीय थे। इसमें गुजरात और हरियाणा के 33-33 और पंजाब के 30 लोग थे। महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के 3-3 और चंडीगढ़ के 2 लोग शामिल थे।
  • दूसरा बैचः 16 फरवरी को 116 भारतीयों का दूसरा बैच अमेरिका से डिपोर्ट किया गया। इसमें 65 लोग पंजाब के थे। 33 हरियाणा और 8 गुजरात के थे। उत्तरप्रदेश, गोवा, महाराष्ट्र और राजस्थान के 2-2 और हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के 1-1 नागरिक थे।
  • तीसरा बैचः 16 फरवरी को ही अमेरिकी सेना का एक और विमान 112 भारतीयों को लेकर अमृतसर पहुंचा। इनमें 44 हरियाणा से थे। 33 गुजरात और 31 पंजाब के लोग थे। इनके अलावा उत्तर प्रदेश के 2, उत्तराखंड और हिमाचल के 1-1 लोग थे।

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126 पंजाबी, 110 हरियाणावी

कुल मिलाकर अब तक 332 भारतीयों को डिपोर्ट किया जा चुका है। इनमें 126 पंजाब, 110 हरियाणा और 74 गुजरात से हैं। 22 लोग दूसरे राज्यों से हैं।


अमेरिका की जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ने एक स्टडी की थी। इसमें बताया था कि अक्टूबर 2001 से नवंबर 2022 के बीच अमेरिका में असाइलम मांगने वालों में 66 फीसदी पंजाबी थे। 14 फीसदी ऐसे थे जो हिंदी बोलते थे। 8 फीसदी अंग्रेजी बोलने वाले और 7 फीसदी गुजराती थे। 

16 साल में कितने भारतीय भेजे गए?

जो कोई भी व्यक्ति बगैर दस्तावेजों या अवैध तरीके से अमेरिका में घुसता है या रहता है, उसे अवैध प्रवासी कहा जाता है। ऐसे लोगों को गिरफ्तार कर डिपोर्ट किया जाता है। ये सारा काम डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी संभालती है। एक अनुमान है कि हर साल 1.46 लाख लोगों को अमेरिका से डिपोर्ट किया जाता है।


किसी व्यक्ति को अवैध तरीके से अमेरिका में रहते हुए पकड़ा जाता है तो उसे तुरंत डिटेंशन सेंटर में डाल दिया जाता है। जो लोग दो साल से कम समय से अमेरिका में रह रहे होते हैं, उन्हें तुरंत ही डिपोर्ट कर दिया जाता है। ऐसे लोगों को डिपोर्ट करने के लिए अदालती आदेश की जरूरत नहीं पड़ती। 


हालांकि, जो लोग दो साल या उससे ज्यादा लंबे वक्त से अमेरिका में बसे हैं, उन्हें डिपोर्ट करने में सालों लग जाते हैं। ऐसे लोगों को इमिग्रेशन कोर्ट के आदेश के बाद ही डिपोर्ट किया जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अक्टूबर 2024 तक इमिग्रेशन कोर्ट में 36 लाख मामले पेंडिंग हैं।


हाल ही में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका से डिपोर्ट किए गए भारतीयों का आंकड़ा संसद में बताया था। जयशंकर के मुताबिक, 2009 से अब तक लगभग 16 हजार भारतीयों को अमेरिका से डिपोर्ट किया जा चुका है। सबसे ज्यादा 2,042 भारतीयों को 2019 में डिपोर्ट किया गया था। 2020 में 1,889 भारतीयों को वापस भेजा गया था। 

 

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यूएस कस्टम एंड बॉर्डर प्रोटेक्शन (USCBP) की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका में डंकी रूट अपनाकर एंट्री करने वाले भारतीयों की संख्या 5 साल में 2 लाख तक पहुंच चुकी है। आंकड़े बताते हैं कि अक्टूबर 2023 से सितंबर 2024 के बीच 90,415 भारतीयों को बगैर दस्तावेज के अमेरिका में घुसते हुए पकड़ा गया था। इनमें से 43,764 भारतीयों को कनाडा बॉर्डर तो 25,616 को मेक्सिको बॉर्डर से अमेरिका में घुसते हुए पकड़ा गया था। इनमें से कुछ को हिरासत में लिया गया तो कुछ को वापस भेज दिया गया। इससे पहले अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 के बीच 96,917 को भारतीयों को अवैध तरीके से एंट्री करते हुए पकड़ा गया था।


आंकड़े बताते हैं कि कोविड के बाद जब लॉकडाउन हटा तो अवैध तरीके से एंट्री करने वाले भारतीयों की संख्या तेजी से बढ़ गई। 2020-21 में 30,662 भारतीयों को पकड़ा गया था। 2023-24 में 90,415 भारतीयों को पकड़ा गया।

 

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कैसे पहुंचते हैं अमेरिका?

अमेरिका में अवैध तरीके यानी डंकी रूट से घुसने के दो रास्ते हैं। पहला है- कनाडा और दूसरा है- मेक्सिको। कनाडा से अमेरिका की उत्तरी तो मेक्सिको से दक्षिणी सीमा लगती है। 


डंकी रूट के जरिए भारत से अमेरिका पहुंचने का सारा काम गैरकानूनी तरीके से होता है। इस तरीके से अमेरिका पहुंचने में दिन नहीं, बल्कि कई हफ्ते और महीने तक लग जाते हैं। ये सारा काम एजेंट या तस्कर करते हैं। इसके लिए लोगों से लाखों रुपये लिए जाते हैं। इस तरीके से अमेरिका जाने में जान का खतरा भी होता है। 


तीसरे बैच में अमेरिका से डिपोर्ट किए गए मंदीप ने 'डंकी रूट' के खतरनाक रास्तों के बारे में बताया। उन्होंने बताया, 'दिल्ली से मुंबई गए। फिर यहां से नैरोबी और फिर एम्सटर्डम से दूसरे देश होते हुए सुरीनेम पहुंचे। सुरीनेम में एक गाड़ी में मेरे जैसे कई लोगों को बैठाकर गुयाना ले जाया गया। यहां से कई दिनों का सफर किया। गुयाना पार करते हुए हम बोलीविया और फिर इक्वाडोर पहुंचे। उसके बाद पनामा के जंगलों को पार किया। यहां हमसे कहा गया कि अगर ज्यादा सवाल-जवाब किया तो गोली मार देंगे। हमने 13 दिन में इन खतरनाक रास्तों को पार किया। 12 नहरें थीं। जंगल में सांप और मगरमच्छ जैसे खतरनाक जानवर थे।'


अमेरिका पहुंचने के लिए किसी ने लाखों का कर्ज लिया तो किसी को अपना घर और जमीन गिरवी रखना पड़ा। गुरदासपुर के रहने वाले लवप्रीत ने बताया, 'पनामा के जंगलों से गुजरना बहुत खतरनाक था। हम किसी तरह खुद को सांप और मगरमच्छ जैसे खतरनाक जानवरों से खुद को बचा पाए। हमें एक कंटेनर में भरकर मेक्सिको ले जाया गया। हमें पेशाब भी नहीं करने दिया जाता था। अगर हम इसके लिए कहते थे तो वो हमें पीटते थे।'

 

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अमेरिका क्यों जाते हैं?

'अमेरिकन ड्रीम' इन लोगों को अमेरिका तक पहुंचा देता है। डंकी रूट या लाखों रुपये खर्च कर अवैध तरीके से अमेरिका में इसलिए घुसते हैं, क्योंकि इन्हें वीजा नहीं मिल पाता। 


अवैध तरीके से अमेरिका में जाने वालों को लगता है कि वहां जाकर उनकी जिंदगी सुधर जाएगी। यही कारण है कि लोग लाखों का कर्ज लेकर, अपना सबकुछ बेचकर और जान की बाजी लगाकर अमेरिका जाने का खतरा उठाते हैं। अमेरिका जाने वालों को वहां जाकर अच्छी नौकरी मिलने की उम्मीद रहती है।

 

भारत में अब भी एक बहुत बड़ा तबका ऐसा है, जिन्हें नौकरियां नहीं मिल रहीं हैं। पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) के नतीजों के मुताबिक, 2023-24 में ग्रेजुएशन या पीजी करने वालों में बेरोजगारी दर 12 फीसदी से भी ज्यादा थी।


दूसरी वजह ये है कि अमेरिका में नौकरी लगी तो भारत से ज्यादा कमाई होगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका में भारतीयों की सालभर की औसत सैलरी 60 से 65 हजार डॉलर होती है। भारतीय करंसी के हिसाब से ये 51 से 56 लाख के बीच बैठती है। जबकि, भारत में सालाना औसत कमाई 2 लाख रुपये से भी कम है। प्यू रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में एक भारतीय परिवार की सालाना औसत कमाई 1.45 लाख डॉलर यानी 1.25 करोड़ रुपये तक होती है। जबकि, अमेरिकी परिवार की औसत कमाई इससे आधी यानी 70 हजार डॉलर के आसपास होती है।


हालांकि, ये भी एक दूसरा पहलू है कि अमेरिका में एशियाई मूल के 23 लाख लोग ऐसे हैं, जो गरीबी में जी रहे हैं। प्यू रिसर्च के सर्वे में सामने आया था कि हर 10 में से एक एशियाई अमेरिकी गरीब है। हालांकि, भारतीय-अमेरिकी बाकी एशियाई मूल के लोगों की तुलना में बेहतर जी रहे हैं। भारतीय-अमेरिकियों में गरीबी की दर सबसे कम 6 फीसदी है।


बहरहाल, ये शायद अमेरिका में रहकर अपने सपने पूरे करने की ख्वाहिश ही है कि हजारों भारतीय वीजा एक्सपायर होने के बाद भी वहां रुके हुए हैं। अमेरिकी सरकार के आंकड़े बताते हैं कि 2023 तक 18 हजार से ज्यादा भारतीय ऐसे जिनका वीजा एक्सपायर हो गया था। इनमें 10,818 भारतीय स्टडी वीजा पर अमेरिका गए थे।

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