देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 15 मई को श्रीनगर के बदामी बाग कैंट में भारतीय सैनिकों को संबोधित करते हुए इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) का जिक्र किया था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान जैसे 'गैर-जिम्मेदार और दुष्ट राष्ट्र' के परमाणु हथियारों को IAEA की निगरानी में लिया जाना चाहिए, क्योंकि उन्होंने भारत को परमाणु धमकियां दी हैं और ऐसे देश के हाथों में परमाणु हथियार सुरक्षित नहीं हैं। इस बयान पर पाकिस्तान की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इसे 'गैर-जिम्मेदाराना' और 'भड़काऊ' करार देते हुए कड़ी निंदा की।
बता दें कि IAEA का मुख्य मिशन परमाणु हथियारों को जब्त करना या सीधे नियंत्रित करना नहीं है। यह केवल शांतिपूर्ण उपयोग की निगरानी करता है और सत्यापन करता है। ऐसे में आइये समझें इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी कैसे करता है जिसका राजनाथ सिंह ने किया था जिक्र।
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इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) क्या है?
इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जो न्यूक्लियर एनर्जी के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देता है और परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने के लिए काम करता है। इसका मुख्यालय वियना, ऑस्ट्रिया में है और इसे 1997 में स्थापित किया गया था। यह संयुक्त राष्ट्र से एफिलेटेड है लेकिन अपनी ऑटोनॉमी बनाए रखता है।
IAEA कैसे काम करता है?
IAEA का काम तीन मुख्य क्षेत्रों में बंटा है: शांतिपूर्ण उपयोग, निगरानी, और सुरक्षा।
शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा
IAEA देशों को न्यूक्लियर एनर्जी का उपयोग बिजली बनाने, ट्रीटमेंट (जैसे कैंसर का इलाज), कृषि (फसलों की बेहतरी) और रिसर्च के लिए सुरक्षित तरीके से करने में मदद करता है। यह तकनीकी सहायता, ट्रैनिंग और उपकरण गरीब देशों को देता है।
निगरानी और सत्यापन (Safeguards)
IAEA यह सुनिश्चित करता है कि देश परमाणु सामग्री (जैसे यूरेनियम, प्लूटोनियम) का इस्तेमाल हथियार बनाने के लिए न करें। इसके लिए 'सेफगार्ड्स' सिस्टम है। देशों के साथ समझौते किए जाते हैं, जिसमें वे अपनी परमाणु गतिविधियों की जानकारी देते हैं और ट्रेनिंग की अनुमति देते हैं। यह न्यूक्लियर नॉन-प्रोलिफरेशन ट्रीटी (NPT) के तहत होता है।
IAEA के जांचकर्ता परमाणु सुविधाओं (रिएक्टर, संवर्धन संयंत्र) का दौरा करते हैं और सामग्री का हिसाब-किताब जांचते हैं। कैमरे, सेंसर, सैटेलाइट इमेजरी और पर्यावरण नमूनों जैसे हवा-मिट्टी से गुप्त गतिविधियों पर नजर रखी जाती है। अगर कोई उल्लंघन पाया जाता है तो IAEA संयुक्त राष्ट्र सरक्षा परिषद को सूचित करता है, जो आगे कार्रवाई (जैसे प्रतिबंध) तय करता है। उदाहरण के लिए अगर कोई देश परमाणु बम बनाने की कोशिश करता है तो IAEA इसे पकड़ सकता है और दुनिया को अलर्ट कर सकता है।
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परमाणु सुरक्षा और संरक्षा
IAEA परमाणु संयंत्रों, रेडियोधर्मी सामग्री और परमाणु कचरे को सुरक्षित रखने के लिए नियम बनाता है।
यह दुर्घटनाओं (जैसे चेर्नोबिल, फुकुशिमा) को रोकने और आपात स्थिति में तैयार रहने में मदद करता है।
यह परमाणु सामग्री की तस्करी रोकने के लिए भी काम करता है। पिछले 30 सालों में 4,200 से ज्यादा ऐसी घटनाएं दर्ज हुई हैं।
भारत और IAEA
भारत और पाकिस्तान दोनों ही देश NPT का हिस्सा नहीं है लेकिन 2008 के भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के बाद IAEA के साथ एक विशेष सेफगार्ड्स समझौता किया है। इसके तहत भारत के कुछ परमाणु संयंत्र IAEA की निगरानी में हैं, जो शांतिपूर्ण उपयोग के लिए हैं।
भारत IAEA का संस्थापक सदस्य है (1957 से) और इसके काम में सक्रिय भूमिका निभाता है। ऐसे में राजनाथ सिंह ने IAEA की निगरानी की बात इसलिए उठाई, ताकि पाकिस्तान जैसे देशों की परमाणु गतिविधियों पर वैश्विक नजर रखी जा सके लेकिन IAEA की सीमाएं हैं और इस तरह की मांग को लागू करना अंतरराष्ट्रीय राजनीति और सहमति पर निर्भर करता है।