भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के मिशन NVS-02 को झटका लगा है। यह सैटेलाइट अपने कक्ष (Orbit) में स्थापित नहीं हो पाया है। अतंरिक्ष यान पर लगे थ्रस्टर्स काम नहीं कर रहे थे। इसकी वजह से उन्हें ऑर्बिट में सेट होने में परेशानियों का सामना करना पड़ा।
NVS-02 सैटेलाइट इसरो के 100वें मिशन का हिस्सा है। बुधवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसे लॉन्च किया गया था। यह भारत की अपनी अंतरिक्ष-आधारित नेविगेशन प्रणाली के लिए बेहद जरूरी है। अगर यह सफल रहता है तो देश की ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) पर निर्भरता और कम हो सकती है। प्रक्षेपण जीएसएलवी-एमके 2 रॉकेट पर हुआ।
कहां चूक गया ISRO?
GSLV F-15 मिशन के बारे में ISRO ने कहा, 'सैटेलाइट को तय ऑर्बिट स्लॉट में स्थापित नहीं किया जा सका। ऑर्बिट में बढ़ने के लिए थ्रस्टर्स को फायर करने के लिए ऑक्सीडाइजर को एंट्री देने वाले वॉल्व नहीं खुले।' यह सेटेलाइट पृथ्वी की परिक्रमा एग-शेप में कर रहा है, यह नेविगेशन प्रणाली के लिए ठीक नहीं है।
ISRO ने कहा, 'सैटेलाइट सिस्टम ठीक है, यह सेटेलाइट अभी जियोस्टेशनरी ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में है। इसका इस्तेमाल इसी ऑर्बिट में कैसे नेविगेशन के लिए किया जाए, इसकी वैकल्पिक दिशा को लेकर किया जा रहा है।'
कैसे हुई थी सैटेलाइट की लॉन्चिंग?
GSLV रॉकेट के जरिए सेटेलाइट को जियोस्टेशनरी ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में स्थापित करने के बाद सैटेलाइट पर लगे सोलर पैनल को ठीक कर दिया, जिससे बिजली मिल रहे। इसरो का कहना है कि ग्राउंड स्टेशन के साथ कम्युनिकेशन कर लिया है। प्रक्षेपण भी सफल रहा है। हर स्टेज सही तरह से पूरे हुए।
एनवीएस-02 का पूरा नाम नेविगेशन सैटेलाइट -02 नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन (NavIC) का हिस्सा है। यह दिशा, स्थान और समय की सटीक जानकारी देती है। इसे देश का अपना GPS भी कहा जाता है। यह जमीन से 1500 किलोमीटर दूर तक की जगहों तक सटीक जानकारियां देने के लिए डिजाइन किया गया है। NVS-01 को 29 मई, 2023 को लॉन्च किया गया था।