किसानों की मांग को लेकर लंबे समय से शंभू और खनौरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों को पंजाब पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। हिरासत लिए गए नेताओं में जगजीत सिंह डल्लेवाल, सरवन सिंह पंधेर, अभिमन्यु सिंह कोटड़ा और अन्य नेता शामिल हैं।
किसान चंडीगढ़ से शंभू बॉर्डर तक यात्रा कर रहे थे। माना जा रहा था कि वे इसके बाद खनौरी बॉर्डर की तरफ बढ़ने वाले थे। हालांकि, वे जगतपुरा पहुंचने पर हिरासत में ले लिए गए। इसके बाद डल्लेवाल कस्टडी में ले लिए गए।
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एंबुलेंस में थे डल्लेवाल
डल्लेवाल जब एंबुलेंस में थे तब उन्हें हिरासत में लिया गया जबकि अन्य किसानों द्वारा विरोध करने पर उन्हें उनके वाहन समेत हिरासत में लिया गया। पंढेर को उनके वाहन के साथ हिरासत में लिया गया हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने भागने की कोशिश की।
जिन्हें पुलिस ने हिरासत में लिया उन्हें अलग अलग लोकेशन पर भेजा गया।
रिपोर्ट के मुताबिक मोहाली-चंडीगढ़ बॉर्डर (एयरपोर्ट रोड) पर किसानों और पुलिस के बीच झड़प हुई जहां बड़ी संख्या में सुरक्षाबल तैनात हैं। शंभू और खनौरी बॉर्डर पर इंटरनेट बंद कर दिया गया है।
पंजाब पुलिस ने पंजाब-हरियाणा शंभू बॉर्डर पर किसानों द्वारा लगाए गए टेंट को ध्वस्त कर दिया, जहां वे विभिन्न मांगों को लेकर धरने पर बैठे थे और लगभग 3000 पुलिस वालों को तैनात किया गया है।
सरकार से हुई थी बातचीत
बुधवार को किसान नेताओं और केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों के बीच सातवें दौर की वार्ता हुई। इस बातचीत में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल शामिल हुए। वहीं पंजाब सरकार की ओर वित्र मंत्री हरपाल सिंह चीमा और कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां बैठक में उपस्थित रहे।
बता दें कि डल्लेवाल ने जनवरी में मेडिकल सहायता लेने पर सहमति जताने से पहले 54 दिनों तक भूख हड़ताल की थी, जब तक कि सरकार ने 24 फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की कानूनी गारंटी पर सहमत नहीं जताई थी।
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बॉर्डर खाली करने को कहा
सरकार ने शंभू और खनौरी बॉर्डर खोलने की रणनीति बनाई है और प्रदर्शनकारी किसानों को बॉर्डर खाली करने को कहा गया है।
एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के अलावा, किसान कर्ज माफी, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं करने, किसानों के खिलाफ पुलिस मामले वापस लेने, उत्तर प्रदेश में 2021 लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय, भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करने और 2020-21 में पिछले आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं।