जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले के राजगढ़ गांव में बादल फटने की वजह से कम से कम 3 लोगों की मौत हो गई है, वहीं 2 से ज्यादा लोग लापता हो गए हैं। रामबन प्रशासन का कहना है कि शनिवार रात करीब 12.30 पर बादल फटे, जिसके बाद तेज बहाव में दो घर और एक स्कूल बह गए। वहीं रियासी जिले के माहोर इलाके में भूस्खलन से घर ढह गया। सात लोगों के मारे जाने की आशंका जताई जा रही है। दोनों हादसों में अब तक 10 लोगों की मौत होने की आशंका जताई जा रही है।
महोर तहसील के कराडा गांव में भी देर रात बादल फटे थे, जिसमें एक ही परिवार के 7 लोग मारे गए हैं। जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (JKNC) के विधायक खुर्शीद अहमद ने बताया कि नजीर अहमद, उनकी पत्नी वजीरा बेगम और उनके पांच बच्चों की इस हादसे में जान चली गई। विधायक ने कहा, 'हमने पहले कभी इतनी भारी बारिश नहीं देखी थी। ग्रामीणों ने आज सुबह शवों को बरामद किया। प्रशासन राहत और बचाव कार्य में जुटा हुआ है।'
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रामबन में कई रेस्क्यू टीमें मौके पर पहुंच चुकी हैं। लापता लोगों का पता लगाने के लिए बचाव अभियान जारी है। घटना के विस्तृत ब्यौरे की प्रतीक्षा है।
बादल फटने से बेहाल पहाड़ी राज्य
उत्तराखंड में गुरुवार को बादल फटे थे, जिसमें 5 लोगों की मौत हो गई थी, 10 से ज्यादा लोग लापता हो गए थे। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भी बाढ़ और बारिश लोगों की जान निगल रहा है। मनाली में शहर का एक बड़ा हिस्सा ताब हो गया। कश्मीर में जम्मू-श्रीनगर हाइवे लगातार 5वें दिन भी बंद है। शुक्रवार को, बांदीपोरा जिले के गुरेज सेक्टर में भी बादल फटने की घटना सामने आई थी, हालांकि वहां कोई बड़ा नुकासन नहीं हुआ है।
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हर जगह फट रहे बादल, आखिर तबाही क्यों मचती है?
पहाड़ी क्षेत्रों के सीमित इलाके में बेहद तेज बारिश भूस्खलन और तबाही की वजह बनती है। जब किसी इलाके में 10 से 15 मिनट के भीतर 100 मिलीमीटर से ज्यादा तेज बारिश होती है, तब इसे बादल का फटना मान लिया जाता है। मानसून के दौरान गरज-तूफान वाले बादल ही परेशानी का सबब बनते हैं। पहाड़ी इलाकों में इस आसमानी आफत की वजह से भूस्खलन होता है, नदियों में उफान आता है और मलबों में लोग दबते हैं।
क्यों लोग मारे जाते हैं?
बादल फटने के बाद लोगों को बचने का वक्त नहीं मिलता है। बारिश से नदियां और नाले उफान पर आते है और तेज बहाव के साथ आगे बढ़ते हैं। उनकी राह में पड़ने वाले ज्यादातर घर और बुनियादी ढांचे गिरने लगते हैं। लोगो को भागने के लिए वक्त ही नहीं मिलता। रेस्क्यू टीम का ज्यादातर वक्त मलबा हटाने में ही निकल जाता है, उसके नीचे फंसा इंसान दम तोड़ देता है।