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वैष्णो देवी रूट पर लैंडस्लाइड, 30 की मौत; जम्मू में बारिश से तबाही

जम्मू में कुछ दिन से लगातार भारी बारिश हो रही है। बुधवार को भी यहां बाढ़ का अलर्ट जारी किया गया है। जम्मू में भारी बारिश से वैष्णो देवी मंदिर जाने वाले रास्ते पर लैंडस्लाइड में 30 लोगों की मौत हो गई है। हिमाचल में भी अब तक 310 लोग मारे जा चुके हैं।

JAMMU RAIN

जम्मू में बारिश से तबाही जारी है। (Photo Credit: PTI)

बारिश अब आसमान से आफत बनकर बरस रही है। जम्मू से लेकर हिमाचल प्रदेश तक भारी बारिश लगातार तबाही मचा रही है। बारिश के कारण बाढ़ और लैंडस्लाइड की घटनाएं बढ़ गई हैं। जम्मू में ही कई दिनों से लगातार भारी बारिश हो रही है। इस कारण कई नदियां उफान पर हैं और बाढ़ आ गई है। वहीं, हिमाचल में तो जून से ही बारिश का कहर जारी है और यहां अब तक 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

 

जम्मू में मंगलवार को नदियों के उफान पर होने से पानी के बहाव से रास्ते में आने वाली हर चीज तहस-नहस हो गई और चट्टान, पेड़ और पत्थर ढलानों से नीचे गिर पड़े। जम्मू में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई। इनमें 9 तीर्थयात्री भी हैं, जिनकी मौत वैष्णो देवी रास्ते पर लैंडस्लाइड की चपेट में आने से हो गई।

 

लगातार भारी बारिश ने न केवल जम्मू में बल्कि कश्मीर घाटी में भी तबाही मचाई। बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा, पुल ढह गए और मोबाइल टावर और बिजली के खंभे टहनियों की तरह टूट गए। फ्लैश फ्लड और लैंडस्लाइड के मद्देनजर वैष्णो देवी मंदिर की तीर्थयात्रा स्थगित कर दी गई।

 

जम्मू में भारी बारिश से यह तबाही तब मची है, जब दो हफ्ते पहले ही किश्तवाड़ जिले के चिसोती गांव में फ्लैश फ्लड के कारण 65 लोगों की मौत हो गई थी। चिसोती गांव में हुई उस घटना में अब भी कई लोग लापता हैं।

 

वैष्णो देवी मंदिर के रूट पर लैंडस्लाइड

अधिकारियों ने बताया कि रियासी जिले की त्रिकुटा पहाड़ियों पर स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर जाने वाले रास्ते पर मंगलवार दोपहर करीब 3 बजे लैंडस्लाइड हुआ जिसकी चपेट में आने से कम से नौ लोगों की मौत हो गई जबकि 21 लोग घायल हुए हैं। आशंका है कि मरने वालों की संख्या और बढ़ सकती है।

 

उन्होंने बताया कि अर्धकुआरी स्थित इंद्रप्रस्थ भोजनालय के पास मलबे में दबे लोगों को निकालने के लिए बचाव दल जुटे हुए हैं और कई लोगों के फंसे होने की आशंका है। उन्होंने बताया कि भूस्खलन कटरा शहर से पहाड़ी पर स्थित मंदिर तक 12 किलोमीटर के घुमावदार रास्ते के लगभग बीच में हुआ।

 

 

मंदिर तक जाने के दो रास्ते हैं। हिमकोटि मार्ग पर सुबह से ही यात्रा स्थगित कर दी गई थी, लेकिन पुराने रास्ते पर दोपहर 1.30 बजे तक यात्रा जारी रही। बाद में बारिश के मद्देनजर एहतियाती कदम उठाते हुए इसे भी स्थगित कर दिया गया।

 

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चश्मदीदों ने क्या बताया?

पंजाब के मोहाली की किरण भी उन लोगों में शामिल थीं जो पत्थरों, पेड़ों और चट्टानें गिरने की चपेट में आ गए।

 

किरण ने कटरा के एक अस्पताल न्यूज एजेंसी PTI को बताया, 'मैं दर्शन करने के बाद पहाड़ी से नीचे आ रही थी, तभी लोग चिल्लाने लगे। मैंने पत्थर गिरते देखे। मैं सुरक्षित जगह पर पहुंची, लेकिन घायल हो गई।'

 

घटना में बाल-बाल बची एक लड़की ने कहा, 'हमारा पांच लोगों का एक समूह था, जिनमें से तीन घायल हैं।'

 

 

जम्मू के रक्षा जनसंपर्क अधिकारी ने बताया कि कटरा और उसके आसपास बचाव और राहत कार्यों में सेना की तीन टुकड़ी तुरंत तैनात कर दी गईं। उन्होंने X पर पोस्ट किया, 'एक टुकड़ी कटरा के अर्धकुआरी में लोगों की जान बचाने में मदद कर रही है। एक टुकड़ी कटरा से ठाकरा कोट जाने वाली सड़क पर भूस्खलन वाले स्थान पर पहुंच गई है और एक टुकड़ी जौरियां के दक्षिण में है। लोगों की जान बचाने, जरूरतमंदों की मदद करने और लोगों को सुरक्षित क्षेत्रों में पहुंचाने के प्रयास जारी हैं।'

 

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डोडा में 4 की मौत, हर जगह सिर्फ तबाही

मंगलवार को जम्मू में भारी बारिश के चलते डोडा जिले में कम से कम 4 लोगों के मारे जाने की सूचना है। इनमें से तीन लोग फिसलकर नदी में गिर गए और तेज बहाव वाले पानी में डूब गए, जबकि एक की घर ढहने से मौत हो गई।

 

अधिकारियों ने बताया कि किश्तवाड़, रियासी, राजौरी, रामबन और पुंछ जिलों के ऊंचाई वाले इलाकों इन्फ्रास्ट्रक्चर को भारी नुकसान पहुंचा है। उन्होंने बताया कि आपदा की असली तस्वीर जमीनी हालात के आकलन के बाद ही सामने आएगी।

 

 

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने स्थिति को गंभीर बताया। उन्होंने एक इमरजेंसी मीटिंग की और अधिकारियों को हाई अलर्ट पर रहने का आदेश दिया। अब्दुल्ला ने प्रशासन को प्रभावित परिवारों को समय पर भोजन, पानी और दवा जैसी जरूरी चीजें उपलब्ध कराने और कमजोर समूहों को राहत मुहैया कराने को प्राथमिकता देने का भी आदेश दिया।

 

 

बाढ़ के कारण लगभग सभी नदी-नाले खतरे के निशान से ऊपर बह रहे हैं, जिससे निचले इलाके और प्रमुख सड़कें जलमग्न हो गई हैं। कठुआ में रावी नदी पर बने मोधोपुर बैराज का जलस्तर एक लाख क्यूसेक के स्तर को पार कर गया, जिससे कठुआ जिले में भारी बाढ़ आ गई। तराना, उझ, तवी और चिनाब जैसी प्रमुख नदियां भी अपने खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं।

 

अधिकारियों ने बताया कि NDRF, SDRF, सेना और पुलिस के जवान रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटे हैं। अब तक 3,500 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित जगह पर ले जाया जा चुका है।

 

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22 ट्रेनें रद्द, मोबाइल इंटरनेट सब ठप

जम्मू में एक ही दिन में 250 मिलीमीटर बारिश हुई है। मौसम विभाग के अनुसार, सुबह 8.30 बजे तक पिछले 24 घंटे के दौरान कठुआ जिले में 155.6 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, इसके बाद डोडा के भद्रवाह में 99.8 मिलीमीटर, जम्मू में 81.5 मिलीमीटर और कटरा में 68.8 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई।

 

मौसम विभाग ने 27 अगस्त तक लगातार मध्यम से भारी बारिश और बादल फटने, अचानक बाढ़ और भूस्खलन की संभावना का अनुमान जताया है।

 

भारी बारिश के कारण कई जगहों पर ऑप्टिकल फाइबर को नुकसान पहुंचा है, जिस कारण इंटरनेट सेवाएं भी ठप पड़ गई हैं। टेलीकॉम ऑपरेटरों ने सेवाओं को जल्द से जल्द बहाल करने के लिए तकनीकी टीम को तैनात किया है।

 

 

जम्मू के सभी सरकारी और निजी स्कूल को 27 अगस्त तक बंद रखने का निर्देश दिया गया है। जम्मू कश्मीर विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने बुधवार को होने वाली कक्षा 10वीं और 11वीं की सभी परीक्षाओं को भी स्थगित कर दिया है। 

 

इतना ही नहीं, इस कारण उत्तरी रेलवे ने भी 22 ट्रेनों को रद्द कर दिया है। वहीं, जम्मू और कटरा रेलवे स्टेशनों पर आने-जाने वाली 27 ट्रेनों को रोक दिया है। 

हिमाचल में भी अब तक 310 मौतें

हिमाचल प्रदेश में लगातार बारिश का कहर जारी है। यहां 20 जून से ही बारिश तबाही मचा रही है। इसमें अब तक 310 लोगों की मौत हो चुकी है। 

 

स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (SDMA) ने बताया कि 310 में से 158 लोग लैंडस्लाइड, फ्लैश फ्लड, बिजली गिरने, डूबने या बादल फटने के कारण मारे गए हैं। जबकि 152 लोगों की मौत सड़क हादसों में हुई है। 

 

सबसे ज्यादा 29 मौतें मंडी जिले में हुई है। कांगड़ा में 30, चंबा में 14, किन्नौर में 14 और कुल्लू में 13 लोगों की मौत हो चुकी है। लैंडस्लाइड और फ्लैश फ्लड के कारण कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई है। वहीं डूबने से 33 लोगों की जान चली गई है। 

 

बारिश के कारण सड़कों पर फिसलन आ गई है। विजिबिलिटी भी लो हो गई है। साथ ही साथ लैंडस्लाइड के मलबे के कारण भी सड़क दुर्घटनाएं बढ़ गई हैं। इस कारण चंबा और मंडी में 22-22, कांगड़ा में 19, सोलन में 16 और शिमला में 15 लोगों की मौत हो गई है। बिलासपुर में 7, किन्नौर में 14 और कुल्लू में 13 मौतें हुई हैं।

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