जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में अब 'कुलपति' की जगह 'कुलगुरु' होंगे। विश्वविद्यालय ने वाइस चांसलर का हिंदी नाम 'कुलपति' की जगह 'कुलगुरु' करने का फैसला लिया है। इंडियन एक्सप्रेस ने इसकी जानकारी दी है। यह फैसला वाइस चांसलर की पोस्ट की 'जेंडर न्यूट्रल' बनाने के लिए लिया गया है।
इंडियन एक्सप्रेस ने JNU से जुड़े सूत्रों के हवाले से बताया है कि इस बदलाव के बारे में इस साल की शुरुआत में हुई वर्किंग काउंसिल की बैठक के दौरान जानकारी दी गई थी। यह बदलाव करने का सुझाव JNU की कुलपति शांतिश्री धुलीपुडी पंडित ने दिया था। बताया जा रहा है कि अब डिग्री और बाकी शैक्षणिक दस्तावेजों में 'कुलपति' की जगह 'कुलगुरु' का इस्तेमाल किया जाएगा।
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कैसे जेंडर न्यूट्रल होगा कुलगुरु?
'कुलपति' की जगह 'कुलगुरु' का इस्तेमाल को सही ठहराया जा रहा है। इसे जेंडर न्यूट्रल बताया जा रहा है। अधिकारियों ने अखबार को बताया कि यह जेंडर न्यूट्रल है। संस्कृत ज्यादा सटीक है और यह शिक्षा जगत में बराबरी को दिखाएगा।
ऐसा माना जाता है कि 'कुलपति' शब्द में 'पति' शामिल है, जिसे कुछ लोग पुरुष-केंद्रित मानते हैं। वहीं, 'कुलगुरु' जेंडर न्यूट्रल है, यानी यह पुरुष या महिला दोनों के लिए सही है। इसके अलावा, 'कुलगुरु' शब्द गुरु-शिष्य परंपरा को दर्शाता है, जो भारत की प्राचीन शिक्षा प्रणाली से जुड़ा है।
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राजस्थान में हो चुका है ऐसा
JNU से पहले इस तरह का फैसला राजस्थान सरकार ले चुकी है। राजस्थान सरकार ने इसी साल फरवरी में एक कानून पास किया था, जिससे राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में 'कुलपति' और 'प्रतिकुलपति' को 'कुलगुरु' और 'प्रतिकुलगुरु' से बदल दिया गया। राजस्थान के बिल में कहा गया था कि 'कुलगुरु' भारत की प्राचीन शिक्षा प्रणाली को दर्शाता है, जहां गुरु का स्थान सर्वोच्च था।