J-K के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन, लंबे वक्त से थे बीमार
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• NEW DELHI 05 Aug 2025, (अपडेटेड 05 Aug 2025, 2:21 PM IST)
जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार को निधन हो गया है। उनके निजी सचिव केएस राणा ने उनके निधन की पुष्टि की है।

सत्यपाल मलिक। (File Photo Credit: PTI)
जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का निधन हो गया है। सत्यपाल मलिक काफी लंबे वक्त से बीमार थे और दिल्ली के एक अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। सत्यपाल मलिक के आधिकारिक X अकाउंट पर उनके निधन की पुष्टि की गई है। इस अकाउंट से पिछले महीने ही पोस्ट कर बताया गया था कि सत्यपाल मलिक की हालत बहुत गंभीर है।
सत्यपाल मलिक बहुत लंबे समय से किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे। दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। उनकी सेहत बिगड़ने के बाद 11 मई को उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया था। तब से ही सत्यपाल मलिक ICU में भर्ती थे।
दोपहर 1:10 बजे ली आखिरी सांस
उनके निजी सचिव केएस राणा ने उनके निधन की पुष्टि कर दी है। केएस राणा ने बताया कि लंबी बीमारी के बाद बुधवार को दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में सत्यपाल मलिक का निधन हो गया।
Delhi's Ram Manohar Lohia Hospital says former governor Satyapal Malik passed away at 1.10 pm today. https://t.co/rK0iXcYobN
— ANI (@ANI) August 5, 2025
राम मनोहर लोहिया अस्पताल ने बयान जारी कर बताया है कि सत्यपाल मलिक ने दोपहर 1 बजकर 10 मिनट पर आखिरी सांस ली थी।
11 मई से अस्पताल में भर्ती थे
सत्यपाल मलिक लंबे समय से किडनी से जुड़ी बीमारी से जूझ रहे थे। इस साल 11 मई को उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
इस दौरान उनकी सेहत में कई बार सुधार भी हुआ। 6 जून को उन्होंने X पर पोस्ट कर बताया था कि तबीयत में थोड़ा सुधार जरूर हुआ है और ICU से जनरल वार्ड में शिफ्ट किया गया है। हालांकि, एक दिन बाद ही उनकी तबीयत बिगड़ गई थी और उन्हें दोबारा ICU में शिफ्ट कर दिया गया था।
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कौन थे सत्यपाल मलिक?
सत्यपाल मलिक का जन्म 24 जुलाई 1946 को हुआ था। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही सत्यपाल मलिक राजनीति से जुड़ गए थे। उन्होंने अपनी राजनीति की शुरआत चौधरी चरण सिंह की भारतीय क्रांति दल से की थी। साल 1974 के यूपी विधानसभा में बागपत सीट से चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने थे।
1980 से 1989 तक सत्यपाल मलिक राज्यसभा सांसद थे। सत्यपाल मलिक 1989 से 1991 तक जनता दल के सांसद थे। बाद में 1996 में समाजवादी पार्टी के टिकट में उन्होंने अलीगढ़ से लोकसभा चुनाव जीता।
साल 2004 में सत्यपाल मलिक बीजेपी में आ गए। उस साल हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें चौधरी चरण सिंह के बेटे अजीत सिंह के खिलाफ उतारा लेकिन वे हार गए। हार के बावजूद सत्यपाल मलिक का बीजेपी में कद बढ़ता रहा है। 2012 में पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया।
कई राज्यों के राज्यपाल रह चुके थे
2014 में जब मोदी सरकार आई तो 30 सितंबर 2017 को सत्यपाल मलिक को बिहार का राज्यपाल बनाया गया। करीब 11 महीने बिहार का राज्यपाल रहने के बाद अगस्त 2018 में उन्हें जम्मू-कश्मीर का राज्यपाल बनाया गया।
सत्यपाल मलिक के कार्यकाल में ही जम्मू-कश्मीर की विधानसभा भंग हुई और अनुच्छेद 370 भी हटा। इसके बाद जम्मू-कश्मीर का सारा कामकाज उनके हाथ में आ गया।
नवंबर 2019 में सत्यपाल मलिक को जम्मू-कश्मीर से ट्रांसफर कर गोवा भेज दिया गया। अगस्त 2020 से अक्टूबर 2022 तक मलिक मेघालय के राज्यपाल रहे।
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मोदी सरकार के आलोचक रहे थे मलिक
पद से हटने के बाद सत्यपाल मलिक प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी सरकार के आलोचक बन गए थे। उन्होंने पुलवामा अटैक को केंद्र सरकार की लापरवाही बताया था।
उन्होंने दावा किया था कि जम्मू से श्रीनगर जाने के लिए CRPF ने 5 एयरक्राफ्ट मांगे थे लेकिन केंद्र सरकार उन्हें नहीं दिए। इसलिए उन्हें सड़क से ही जाना पड़ा। उन्होंने आरोप लगाया था कि पुलवामा अटैक और बालाकोट एयरस्ट्राइक का बीजेपी ने चुनावी इस्तेमाल किया था।
सत्यपाल ने मोदी सरकार के तीन कृषि कानूनों की भी आलोचना की थी। जनवरी 2022 में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि जब वे इन कानूनों को लेकर पीएम मोदी से मिलने गए तो 5 मिनट में ही उनसे लड़ाई हो गई और वे बहुत घमंड में थे।
इतना ही नहीं, जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहते हुए सत्यपाल मलिक पर भ्रष्टाचार का आरोप भी लगा था, जिसके बाद 2022 में सीबीआई ने उनके खिलाफ केस भी दर्ज किया था। उनपर जम्मू-कश्मीर के चिनाब नदी पर बन रहे कीरू हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट (HEP) में 2,200 करोड़ रुपये के कथित भ्रष्टाचार का आरोप था। इसे लेकर इस साल जून में ही सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की थी।
इस मामले को लेकर सत्यपाल मलिक ने 7 जून को कहा था कि 'जिस टेंडर में वे मुझे फंसाना चाहते हैं, उसे मैंने खुद रद्द कर दिया था। मैंने उस मामले में भ्रष्टाचार के बारे में प्रधानमंत्री को बताया था और उन्हें बताने के बाद मैंने खुद उस टेंडर को रद्द कर दिया था। मेरे ट्रांसफर के बाद उस टेंडर को किसी और ने मंजूरी दी थी।'
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