जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक के खिलाफ CBI ने चार्जशीट दाखिल कर दी है। इसमें सत्यपाल मलिक पर कई आरोप लगाए गए हैं। CBI ने दावा किया है कि सत्यपाल मलिक ने अपने दो सहयोगियों के जरिए रिश्वत ली थी। यह आरोप जम्मू-कश्मीर के चिनाब नदी पर बन रहे कीरू हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट (HEP) में 2,200 करोड़ रुपये के कथित भ्रष्टाचार के मामले में लगाए गए हैं।
इस मामले में CBI ने पिछले महीन चार्जशीट दाखिल की थी। हिंदुस्तान टाइम्स ने इस मामले से जुड़े दो अधिकारियों के हवाले से बताया है कि वीरेंद्र राणा और कंवर सिंह राणा के जरिए सत्यपाल मलिक को रिश्वत मिली थी। इसका चार्जशीट में भी जिक्र किया गया है। हालांकि, यह नहीं बताया गया है कि कितनी रिश्वत ली गई थी।
सत्यपाल मलिक 23 अगस्त 2018 से 30 अक्टूबर 2019 तक जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहे थे। CBI ने अपनी चार्जशीट में सत्यपाल मलिक का नाम भी शामिल किया है। चार्जशीट में सत्यपाल मलिक के दो सहयोगी, चेनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (CVPPPL) के तत्कालीन मैनेजिंग डायरेक्टर एमएस बाबू, कंस्ट्रक्शन फर्म पटेल इंजीनियरिंग के मैनेजिंग डायरेक्टर रूपेन पटेल और कंवलजीत सिंह दुग्गल का नाम भी इसमें जोड़ा गया है। हालांकि, कोर्ट ने अभी तक इस चार्जशीट पर संज्ञान नहीं लिया है।
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सत्यपाल मलिक पर क्या आरोप?
मामले से जुड़े दो CBI अधिकारियों में से एक ने बताया, 'ती साल की जांच के बाद दस्तावेजी सबूतों और गवाहों के बयान के आधार पर चार्जशीट में यह आरोप लगाया गया है कि पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने अपने दो निजी सचिवों- वीरेंद्र राणा और कंवर सिंह राणा के जरिए रिश्वत ली थी।'
वहीं, दूसरे अधिकारी ने बताया कि सत्यिपाल मलिक के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने से पहले अनुमति की जरूरत नहीं थी। उन्होंने बताया, 'यह मामला जम्मू-कश्मीर रणबीर पीनल कोड (RPC) और जम्मू-कश्मीर प्रिवेंशन ऑफ करप्शन ऐक्ट के तहत आरोप लगाए गए हैं, इसलिए पूर्व गवर्नर के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने से पहले अनुमति लेना जरूरी नहीं है।'
अधिकारियों ने बताया कि चूंकि यह मामला 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने से पहले दर्ज किया गया था, इसलिए RPC के तहत इसे दर्ज किया गया था।
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सत्यपाल मलिक ने क्या दावा किया?
इससे पहले 7 जून को सत्यपाल मलिक ने X पर पोस्ट करते हुए दावा किया था कि जिस टेंडर में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा रहे हैं, उसे उन्होंने खुद ही रद्द कर दिया था।
मलिक ने पोस्ट कर दावा किया था, 'जिस टेंडर में वे मुझे फंसाना चाहते हैं, उसे मैंने खुद रद्द कर दिया था। मैंने उस मामले में भ्रष्टाचार के बारे में प्रधानमंत्री को बताया था और उन्हें बताने के बाद मैंने खुद उस टेंडर को रद्द कर दिया था। मेरे ट्रांसफर के बाद उस टेंडर को किसी और ने मंजूरी दी थी।'
जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल पद से हटने के दो साल अक्टूबर 2021 में सत्यपाल मलिक ने आरोप लगाया था कि किरू प्रोजेक्ट से जुड़ी दो फाइलों को मंजूरी देने के लिए उन्हें 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी।
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2022 में CBI ने दर्ज की थी FIR
आरोप था कि हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट से जुड़े 2,022 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट 2019 में एक प्राइवेट कंपनी को दिया गया था। इस टेंडर को देने में धांधली का आरोप लगा था।
इस मामले में CBI ने 20 अप्रैल 2022 को FIR दर्ज की थी। हालांकि, इस FIR में सत्यपाल मलिक को आरोपी नहीं बनाया गया था। FIR में आरोप लगाया था कि 2,200 करोड़ रुपये का यह टेंडर जारी करते वक्त तय गाइडलाइंस का पालन नहीं किया गया था। आरोप यह भी था कि CVPPPL की 47वीं बोर्ड मीटिंग में इस टेंडर को रद्द कर दिया गया था लेकिन अगली ही मीटिंग में यह टेंडर फिर से पटेल इंजीनियरिंग लिमिटेड को दे दिया गया था।
हालिया सालों में सत्यपाल मलिक और बीजेपी के रिश्ते काफी बिगड़ गए हैं। सत्यपाल मलिक अक्सर किसान आंदोलन और कोविड से निपटने के तरीकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सवाल उठाते रहे हैं।