logo

ट्रेंडिंग:

घर पर मिले कैश के मामले में फंसे जस्टिस यशवंत वर्मा SC क्यों पहुंच गए?

कैश कांड में फंसे जस्टिस यशंवत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने अपने खिलाफ हुई जांच और पद से हटाने की सिफारिश को चुनौती दी है।

justice yashwant varma

जस्टिस यशवंत वर्मा। (Photo Credit: Khabargaon)

इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में का रुख किया है। उन्होंने अपने खिलाफ हुई इन-हाउस इन्क्वायरी कमेटी की जांच पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने पूर्व चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की तरफ से उनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव लाए जाने की सिफारिश को भी चुनौती दी है।

 

घर से 15 लाख रुपये कैश मिलने के बाद जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की कमेटी ने जांच की थी। नकदी बरामद होने के बाद उनका ट्रांसफर दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट में कर दिया गया था।

 

जस्टिस वर्मा ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा ऐसे वक्त खटखटाया है, जब 21 जुलाई से संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने वाला है। ऐसा माना जा रहा है कि मॉनसून सत्र में जस्टिस वर्मा को पद से हटाने के लिए महाभियोग प्रस्ताव लाया जा सकता है।

किस आधार पर दी है चुनौती?

जस्टिस वर्मा ने जांच कमेटी और पूर्व चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की सिफारिशों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

 

अपनी याचिका में जस्टिस वर्मा ने पूर्व चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की तरफ से उन्हें हाई कोर्ट के जज से पद से हटाने की सिफारिश को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की है।

 

 

उन्होंने अपनी याचिका में तीन जजों की इन-हाउस इन्क्वायरी कमेटी पर भी सवाल उठाए हैं। उनका दावा है कि कमेटी ने अपनी रिपोर्ट देने से पहले उन्हें जवाब देने का मौका नहीं दिया था।

 

यह भी पढ़ें-- जस्टिस वर्मा के घर जले हुए नोटों की गड्डियां, SC ने जारी किया वीडियो

महाभियोग लाए जाने की चल रही तैयारी!

मार्च में मामला सामने आने के बाद तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने एक तीन जजों की इन-हाउस इन्क्वायरी कमेटी बनाई थी। इस कमेटी ने जस्टिस वर्मा को दोषी ठहराया था। हालांकि, समिति की जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है।

 

बताया जाता है कि जांच समिति की रिपोर्ट के बाद तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा से इस्तीफा देने को कहा था लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। इसके बाद उन्होंने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई करने की सिफारिश की थी।

 

अब उन्हें पद से हटाने के लिए सरकार महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही है। मॉनसून सत्र में ही यह प्रस्ताव लाया जा सकता है। हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जज या चीफ जस्टिस को हटाने के लिए संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाया जाता है। अगर यह प्रस्ताव संसद के दोनों सदनों से पास हो जाता है तो इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है। राष्ट्रपति अपने आदेश से उस जज को पद से हटा देते हैं।

 

हालांकि, आज तक भारत में किसी भी जज को महाभियोग के जरिए पद से नहीं हटाया गया है। हालांकि, कई बार जजों के खिलाफ महाभियोग लाने की कोशिश जरूर हुई है। इतना ही नहीं, आज तक किसी भी जज को भ्रष्टाचार के मामले में दोषी नहीं पाया गया है। अगर जस्टिस वर्मा को महाभियोग के जरिए हटाया जाता है तो वह इस तरीके से पद से हटने वाले पहले जज होंगे।

 

यह भी पढ़ें-- 15 करोड़ कैश मिले, फिर भी जस्टिस वर्मा पर FIR नहीं? ऐसा क्यों

क्या है पूरा मामला?

इस साल 14 मार्च को जस्टिस वर्मा के घर से करीब 15 करोड़ रुपये कैश मिला था। उस वक्त जस्टिस वर्मा घर से बाहर थे। घर में आग लगने की सूचना मिलने के बाद जब फायर ब्रिगेड यहां पहुंची थी, तो जली हुई नोटों की गड्डियां मिली थीं। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट में कर दिया था।

कौन हैं जस्टिस वर्मा?

जस्टिस वर्मा का जन्म 6 जनवरी 1969 को इलाहाबाद में हुआ था। दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज से बीकॉम करने के बाद उन्होंने एमपी की रीवा यूनिवर्सिटी से LLB की डिग्री हासिल की। जस्टिस वर्मा 1992 में एडवोकेट बने। 13 अक्टूबर 2014 को उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट का एडिशनल जज नियुक्त किया गया। 1 फरवरी 2016 को जस्टिस वर्मा इलाहाबाद हाई कोर्ट के परमानेंट जज बने। जस्टिस वर्मा 11 अक्टूबर 2021 को दिल्ली हाई कोर्ट के जज नियुक्त हुए थे। कैश कांड सामने आने के बाद उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया है।

 

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap