बच्चे बन रहे हैं हिंसक! केरल में क्यों गूंज रहा है फिल्मों का मुद्दा?
देश
• THIRUVANANTHAPURAM 04 Mar 2025, (अपडेटेड 04 Mar 2025, 10:53 PM IST)
फिल्मों से बच्चों में आपराधिक प्रवृत्ति आ रही है। इस बात को केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने खुद विधानसभा में आधिकारिक तौर पर माना है।

पिनाराई विजयन। (@pinarayivijayan/ X)
कहा जाता है कि फिल्में समाज का आईना होती हैं। लेकिन इन दिनों भारतीय सिनेमा में कुछ ऐसी फिल्में बनाई जा रही हैं जिनमें मार-काट, चोरी जैसे अन्य अपराध को बड़े ही 'हिरोइंज्म' के तरीके से दिखाया और दर्शाया जाता है। इन किरदारों की एक्टिंग कर रहे नायक और नायिका को मुख्य किरदार के तौर पर दिखाया जाता है, जिससे बच्चे हिंसा सीख रहे हैं।
फिल्मों से बच्चों में आ रही आपराधिक प्रवृत्ति वैसे तो पूरे देश की समस्या है, लेकिन केरल ने इस समस्या को आधिकारिक तौर पर माना है। दरअसल, केरल विधानसभा ने फिल्मों में हिंसा को केरल के युवाओं में बर्बर सोच को बढ़ावा देने वाले कारकों में से एक माना है।
समाज पर फिल्मों का बुरा प्रभाव
3 मार्च को राज्य विधानसभा में केरल में हाल ही में हुई हिंसक घटनाओं पर चर्चा हो रही थी। इन हिंसक घटनाओं पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन समेत विपक्ष के विधायकों ने भी समाज पर फिल्मों के बुरे प्रभाव की बात कही। विधानसभा में इस बात पर आम सहमति बनी कि फिल्में वास्तव में हिंसा को बढ़ावा दे रही हैं।
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने विधानसभा में अपनी बात रखते हुए कहा कि उनके पास एक पुलिस रिपोर्ट सामने आई है। इस रिपोर्ट में दिखाया गया है कि कैसे प्रसिद्ध अभिनेता फहाद फासिल अभिनीत फिल्म 'आवेशम' ने बच्चों पर खतरनाक तरीके से प्रभाव डाला।
यह भी पढ़ें: सुधार मोड में केरल कांग्रेस! थरूर-सुधाकरन करने लगे पार्टी को एकजुट?
मुख्यमंत्री ने विजयन आवेशम में फहाद फासिल के रंगा किरदार के बारे में कहा, 'एडा मोने' यह आदमी युवाओं को इसी तरह से बुलाता है। यह आदमी (फिल्म किरदार) उपद्रवी है।' जब मुख्यमंत्री ने अपनी बातें रखीं तो इसपर विधानसभा के स्पीकर ए एन शमसीर ने भी उनकी हां में हां मिलाया।
हिंसक फिल्म को देखकर आनंद ले रहे युवा
सीएम ने कहा, 'मैंने एक पुलिस रिपोर्ट देखी थी जिसमें कहा गया है कि केरल में कुछ युवा इस फिल्म को देखने के बाद कुछ गैंग लीडरों के पीछे पड़ गए थे।' इसी समय एक विपक्षी विधायक ने सीएम से पूछा कि क्या उन्होंने फिल्म देखी है। इसपर सीएम ने कहा, 'यह मुद्दा मेरे फिल्म देखने या न देखने के बारे में नहीं है। इनसे बच्चों में हिंसक प्रवृत्ति जैसी स्थिति मौजूद है। उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है जैसे बच्चे इस फिल्म को देखकर आनंद ले रहे हैं।
फिल्मों और धारावाहिकों के बुरे प्रभाव- सीएम
उन्होंने कहा, 'फिल्मों और धारावाहिकों के बुरे प्रभाव बहुत बड़े हैं। हिंसा का जश्न मनाया जा रहा है। इसकी जांच होनी चाहिए और सेंसर बोर्ड को इस तरह की फिल्मों की जांच करनी चाहिए। मुझे नहीं पता कि सेंसर बोर्ड के लोग क्या कर रहे हैं।' इसी बीच में कांग्रेस विधायक रोजी एम जॉन ने सेंसर बोर्ड को जमकर लताड़ा। उन्होंने कहा कि सेंसर बोर्ड गहरी नींद में सो रहा है। जॉन ने कहा, 'जब हम कुछ फिल्में देखते हैं, तो हमें आश्चर्य होता है कि इन फिल्मों को सेंसर बोर्ड की मंजूरी कैसे मिल गई।'
मुख्यमंत्री ने चिंता जताते हुए कहा कि अब वह दौर आ गया है जब हमारे पास सिनेमा में हिंसा को गंभीरता से दिखाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा, 'फिल्मों में सबसे ज्यादा हत्या करने वाला व्यक्ति हीरो होता है। ऐसा लगता है कि फिल्मकार ऐसी सोच रखते हैं कि दूसरों को हराने, कुचलने में महानता है।' सीएम ने कहा कि इस तरह की छवि युवा पीढ़ी पर भी हावी हो गई है।
यह भी पढ़ें: लुभाने की हजार कोशिशों के बावजूद भी मुसलमान बसपा से दूर क्यों?
इस तरह की प्रवृत्ति के पीछे कौन है?
विधायक ने सवाल उठाते हुए कहा, 'क्या हमें यह जानने की कोशिश नहीं करनी चाहिए कि बच्चों में इस तरह की प्रवृत्ति के पीछे कौन है?' उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि अपने दोस्त की खोपड़ी तोड़ने वाले लड़के को युवाओं ने इंस्टाग्राम पर बधाई मैसेज भेजे थे। मुनीर ने कहा कि क्या आप जानते हैं कि इन लड़कों की इंस्टाग्राम पर प्रोफाइल पिक्चर क्या है? इनकी प्रोफाइल पर यंग-ही डॉल है। यंग-ही डॉल हिंसक दक्षिण कोरियाई वेब सीरीज 'स्क्विड गेम' का एक किरदार है। मुनीर ने कहा कि ये फिल्में समाज को कहां ले जा रही हैं?
सीपीएम के विधायक लिंटो जोसेफ ने भी आधुनिक मलयालम फिल्मों में दिखाई जाने वाली भयावह हिंसा को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने एक क्लिप का जिक्र करते हुए कहा, जिसमें एक छोटे बच्चे को गैस सिलेंडर से कुचल दिया जाता है। उन्होंने आगे कहा कि सेंसर बोर्ड ऐसे दृश्यों की पहचान क्यों नहीं कर रहा है और उन्हें क्यों नहीं हटा रहा है? हमें लोगों में ऐसी आपराधिक प्रवृत्तियों को बढ़ाने के फिल्मों में ऐसे प्रयासों से गंभीरता से निपटना चाहिए। जोसेफ ने बताया कि यह दृश्य अभिनेता उन्नी मुकुंदन की हिंसक 'मार्को' का है।
और पढ़ें
Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies
CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap