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राष्ट्रपति के लिए चलती थी यह आलीशान ट्रेन, जानिए अब कैसे देख सकते हैं

देश के कई राष्ट्रपतियों ने प्रेसिंडेंट सैलून ट्रेन का इस्तेमाल किया था। अब इस ट्रेन की भव्यता को आप भी महसूस कर सकते हैं क्योंंकि नेशनल रेल म्यूजियम में इसे प्रदर्शनी के लिए लगाया जा रहा है।

Rail Heritage

प्रेसिडेंट सैलून, Photo Credit: @rashtrapatibhvn

नई दिल्ली के चाणक्यपुरी में स्थित रेल म्यूजियम में भारतीय रेलवे के समृद्ध इतिहास की झलक देखने को मिलती है। इसमें रेलवे के करीब 160 सालों के इतिहास की धरोहर की झलक दिखाई देती है। इसमें अलग-अलग प्रकार के इंजन, रेलगाड़ियां और अन्य चीजें देखने को मिलती है। अब इस म्यूजियम में एक और खास किस्म की ट्रेन के डिब्बे देखने को मिलेंगे। रेल म्यूजियम की तरफ से जारी एक विज्ञापन के अनुसार, 19 से 24 अगस्त 2025 तक इस म्यूजियम में प्रेसिंडेंट सैलून देखने का मौका मिलेगा। यह ट्रेन के वह खास आलीशान डिब्बे हैं, जिनमें भारत के राष्ट्रपति सफर करते हैं।

 

देश के राष्ट्रपति के सफर करने के लिए रेलवे ने अलग से सैलून (डिब्बा)तैयार किया था। इस राष्ट्रपति सैलून को 1956 में बनाया गया था। प्रेसिडेंट स्पेशल नाम की इस ट्रेन में दो डिब्बे थे। इसे राष्ट्रपति सैलून और ट्विन (जुड़वां) कार नाम दिया गया था लेकिन अब इस ट्रेन को दिल्ली के नेशनल रेल म्यूजियम में इतिहास की तरह संजोकर रख दिया गया है। अब आप भी इस सैलून को देख सकते हैं और भारत के राष्ट्रपतियों की ट्रेन यात्रा के सफर की भव्यता को महसूस कर सकते हैं। इसके लिए आपको दिल्ली स्थिल नेशनल रेल म्यूजियम में जाना होगा। 

 

कैसे देखें यह खास सैलून?

19 से 24 अगस्त के बीच आम लोग इस राष्ट्रपति सैलून को देख सकते हैं। इसके लिए आपको टिकट लेना होगा। रेल म्यूजियम की आधिकारिक वेबसाइट (www.nrmindia.org) पर जाकर इसका टिकट लिया जा सकता है। 

 

 

  •  www.nrmindia.org पर जाएं
  • होम पेज पर सबसे ऊपर लाल रंग के डिब्बे 'बुक नाव' पर क्लिक करें
  • कैलेंडर में तारीख सिलेक्ट करें
  • व्यस्क या बच्चे का चयन करें
  • प्रोसिड टू पे पर क्लिक करें
  • फीस का भुगतान करे
  • पीडीएफ टिकट डाउनलोड करें

आपको बता दें कि यह सैलून आप सिर्फ 19 से 24 अगस्त के बीच ही देख सकते हो। 12 साल से नीचे के बच्चे को 10 रुपये का टिकट और उससे ज्यादा उम्र के लोगों को 50 रुपये में टिकट मिलेगी। 

जरूरी बातें

यह म्यूजियम सुबह 10 से शाम 5 बजे तक ही खुला रहता है। 4:30 बजे के बाद एंट्री नहीं मिलेगी। इसके साथ ही आप जॉय राइड का भी आनंद ले सकते हैं। जॉय राइड के लिए आपको टिकट के साथ ही बुकिंग करनी होती है इसके लिए 12 साल से कम के लिए 10 रुपये फीस और इससे ज्यादा उम्र के लिए 20 रुपये फीस है। 

क्यों खास है यह ट्रेन?

प्रेसीडेंशियल सैलून का सबसे पहले विक्टोरिया ऑफ इंडिया ने इस्तेमाल किया था। पहले इसे वाइस रीगल कोच के नाम से जाना जाता था। इसमें पर्सियन कारपेट से लेकर सिंकिंग सोफे तक लगे हुए थे। उस समय खस मैट को कूलिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता था। 1950 में सबसे पहले भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने पहले भारतीय के रूप में इसका इस्तेमाल किया। इसके बाद इस शाही सैलून में कई तरह के परिवर्तन किए गए। ट्रेन को समय-समय पर अत्याधुनिक बनाया जाता रहा है। 1956 में इस सैलून को दोबारा से बनाया गया।

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद
पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम

 

 

इस स्पेशल ट्रेन में दो कोच होते थे। पहले कोच में राष्ट्रपति सफर करते थे। दूसरे कोच में उनका स्टाफ सफर करता था। इस ट्रेन में देश के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद से लेकर रामनाथ कोविंद तक कई राष्ट्रपतियों ने सफर किया है। भारत में कई अन्य देशों के प्रेसिडेंट और प्रमुख आते थे तब वे भी इस ट्रेन से सफर करते थे। इस ट्रेन में  राष्ट्रपति के कोच का नंबर 9000 और स्टाफ कोच का नंबर 9001 है। इसमें  एक आलीशान किचन भी है। उसमें 14.5 किलोग्राम चांदी के बर्तन थे, जिनमें राष्ट्रपति खाना खाते थे। राष्ट्रपति के लिए बेडरूम, ड्राइंग हाल, मीटिंग रूम आदि की व्यवस्था थी।

रामनाथ कोविंद ने किया था सफर

इस ट्रेन में देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अंतिम बार साल 2021 में सफर किया था। इससे 15 साल पहले 2006 में  पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम ने सफर किया था।

 

पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के बाद डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन, डॉ जाकिर हुसैन, वी वी गिरी, डॉ नीलम संजीव रेड्डी ने इस ट्रेन से यात्राएं कीं। 1977 में नीलम संजीव रेड्डी ने इस ट्रेन से यात्रा की थी।

 

इसके बाद बहुत दिनों तक ट्रेन का इस्तेमाल कोई राष्ट्रपति ने नहीं किया। बाद में इसमें सुरक्षा इंतजाम किए गए और फिर एपीजे अब्दुल कलाम ने इस ट्रेन में सफर किया। 

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