महाकुंभ मेले में अबतक 50 करोड़ से अधिक लोगों ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई है और यह सिलसिला लगातार जारी है। लोगों की आस्था है और वह कई किलोमीटर पैदल चलकर प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर जाकर स्नान कर रहे हैं, लेकिन इस समय प्रयागराज में गंगा नदी प्रदूषण का सामना कर रही है।
दरअसल, महाकुंभ के दौरान गंगा को लेकर सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) की आई एक रिपोर्ट ने सभी को चौंका दिया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सोमवार को एनजीटी को बताया कि महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में विभिन्न स्थानों पर फेकल कोलीफॉर्म का स्तर स्नान तक के काबिल नहीं है।
फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया क्या है?
फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया जानवरों और मनुष्यों की आंतों में पाए जाते हैं। इन्हें आमतौर पर पानी में संभावित संदूषण (contamination) के संकेत के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि उनकी मौजूदगी से पता चलता है कि पानी में बिमारी पैदा करने वाले तत्व हैं। यह बैक्टीरिया जानवरों और मनुष्यों की आंतों से निकलने वाले मल या मल से उत्पन्न होते हैं। यह रोगजनकों के इंडिकेटर के रूप में काम करता है जो सबसे आम तौर पर दस्त, साथ ही टाइफाइड और आंतों की कई बीमारियों का कारण बनते हैं।
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पानी की गुणवत्ता
पानी की गुणवत्ता को नापने के लिए अक्सर फीकल कोलीफॉर्म का परीक्षण किया जाता है, जिससे कि यह पता लगाया जा सके कि पानी पीने, तैरने या अन्य मनोरंजक गतिविधियों के लिए सुरक्षित है या नहीं।
फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मौजूदगी से फेकल कोलीफॉर्म प्रदूषण गंभीर स्वास्थ्य खतरे पैदा करता है। ये बैक्टीरिया मतली, उल्टी, दस्त और गंभीर संक्रमण सहित विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं। यह रिपोर्ट सामने आने के बाद गंगा में स्नान करने वालों के बीच जागरूकता फैलाने की जरूरत है।
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने बताया है कि गंगा मुख्य रूप से अनट्रीटेड सीवेज की वजह से फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया से ज्यादा प्रदूषित है।