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मनोज जरांगे ने तोड़ा अनशन, कहा- आज दीवाली है जो चाहते थे वह मिल गया

मनोज जरांगे पाटिल ने यह कहते हुए अपना अनशन खत्म कर दिया है कि सरकार ने उनका मांगें मान ली हैं। विखे-पाटिल ने उन्हें जूस पिलाकर उनका अनशन तोड़ा।

Jarnage patil having juice । Photo Credit: PTI

जरांगे पाटिल जूस पीते हुए । Photo Credit: PTI

मराठा आरक्षण के लिए आंदोलन करने वाले मनोज जरांगे-पाटिल ने मंगलवार को अपना पांच दिन का अनशन खत्म कर दिया। महाराष्ट्र सरकार ने उनकी ज्यादातर मांगें मान लीं, जिसमें मराठा समुदाय के योग्य लोगों को कुणबी जाति प्रमाण पत्र देकर ओबीसी कोटा सुनिश्चित करना शामिल है।

 

जरांगे-पाटिल ने भावुक होकर कहा, 'आज हमारे लिए दीवाली है, हमें वह मिल गया जो हम चाहते थे।' उन्होंने खुशी जताते हुए कहा, 'मराठा विजयी झाला, आज विजय झाला, सुखी झाला।' इसके बाद उन्हें मंच से एम्बुलेंस तक ले जाया गया।

 

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विखे-पाटिल ने पिलाया जूस

शाम को महाराष्ट्र के मंत्री राधाकृष्ण विखे-पाटिल ने जरांगे-पाटिल को सरकार के प्रस्ताव की कॉपी सौंपी, जिसमें उनकी मांगें मानी गई थीं। इसके बाद जरांगे-पाटिल ने विखे-पाटिल के हाथ से जूस पीकर अपना अनशन तोड़ा। आजाद मैदान में मौजूद उनके समर्थकों ने तालियों के साथ इस पल का स्वागत किया। अनशन खत्म करने के बाद उन्हें तुरंत अस्पताल में स्वास्थ्य जांच के लिए ले जाया गया।

 

इससे पहले, जरांगे-पाटिल ने घोषणा की थी कि महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांगें मान ली हैं। विखे-पाटिल के नेतृत्व में एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल ने आजाद मैदान में उनसे मुलाकात की, जहां वे पिछले पांच दिनों से अनिश्चितकालीन अनशन पर थे। प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें सरकार के प्रस्ताव का मसौदा सौंपा, जिसमें उनकी मांगें स्वीकार की गई थीं।

कुणबी मानने की मांग थी

हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, सरकार ने हैदराबाद और सतारा गजट को लागू करने, मराठा और कुणबी को एक समान मानने की अधिसूचना, और पिछले साल जारी 'सगे सोयरे' (रक्त और वैवाहिक रिश्तेदार) अधिसूचना को लागू करने की मांग को स्वीकार किया है। जरांगे-पाटिल ने मांग की थी कि मराठवाडा (मध्य महाराष्ट्र) के सभी मराठाओं को निजाम शासन के दौरान की तरह कुणबी माना जाए।

 

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इसके अलावा, सरकार ने मराठा प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने की मांग भी मान ली है। जरांगे-पाटिल की इस जीत को मराठा समुदाय के लिए एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। सरकार ने 58 लाख कुणबी रिकॉर्ड के आधार पर तालुका-स्तर पर समितियां बनाने की मांग को भी माना है।

 

 

ये समितियां कुणबी प्रमाणपत्र जारी करने में मदद करेंगी। साथ ही, जरांगे-पाटिल ने मांग की थी कि जाति सत्यापन समितियां इन प्रमाणपत्रों को तुरंत मंजूरी दें।

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